पहली बात, मैंने कस्टर्ड की बात क्यों कही? अब ऐसा नहीं है कि मुझे हर समय खाने पीने की बात ही सूझती है, लेकिन वो ऐसा है कि “royale” शब्द का अर्थ जानने के लिए मैंने गूगल से पूछा तो उत्तर मिला:
a thin custard cooled and cut into decorative shapes. Used to garnish soups primarily.
अब क्या करें, अपनी तो कोई गलती नहीं है ना इसमे!! 😉
बहरहाल, अब हुआ यूँ कि कल(रविवार) का पिरोगराम बनाया जेम्स बांड (James Bond) की नई फ़िल्म “कसीनो रोयाल”(Casino Royale) देखने का। टिकट पहले दिन ही PVR की वेबसाइट पर बुक करवा ली थी और सीटें भी बीचों बीच अपनी पसंद की चुन ली थीं। तो बस फ़िर क्या था, अपने मित्र को ले पहुँच गए क्नॉट प्लेस के पीवीआर रिवोली पर और काउन्टर पर बुकिंग का नंबर दे अपनी आरक्षित टिकटें हासिल की और सिनेमा में प्रवेश किया। समय से कुछ मिनट पहले पहुँच गए थे इसलिए कोई टेन्शन नहीं थी, हॉल के द्वार अभी खुले नहीं थे। कुछ मिनट प्रतीक्षा के बाद खुले और एक महिला अटेन्डेन्ट ने हमको हमारी सीटें दिखाई। कुछ मिनट और कुछ विज्ञापनों के बाद फ़िल्म भी आरंभ हो गई।
अब फ़िल्म का ट्रेलर देख मुझे लगा था कि शायद फ़िल्म बेकार होगी, लेकिन ऐसा नहीं है। फ़िल्म में बांड परंपरा के विपरीत कोई चमत्कारी उपकरण आदि नहीं दिखाए हैं लेकिन उसके बावजूद फ़िल्म सही लगी। परंपरागत तरीके से, फ़िल्म की शुरुआत एक एक्शन से भरपूर दृश्य से होती है जब अपना नया और हट्टा-कट्टा बांड 40-50 मंज़िल उँची क्रेन और गर्डर आदि से छलांग लगाता है और इस प्रकार फ़िल्म सही चलती रहती है। जैसा कि बांड फ़िल्मों में अक्सर होता है, मध्य तक आते आते फ़िल्म धीमी सी हो जाती है, ऐसा इसलिए भी लगता है क्योंकि आरम्भ लगभग हर बांड फ़िल्म का विस्फ़ोटक तरीके से होता है इसलिए मध्य तक आते आते फ़िल्म धीमी लगने लगती है।
लेकिन इस सब के बावजूद फ़िल्म बढ़िया है, खूबसूरत जगहों पर इसको फ़िल्माया गया है, संगीत आदि भी सही है। फ़िल्म के अंत तक आते आते एक जबरदस्त ताश का खेल होता है एक शाही से जुआघर में जिसमें बांड को हर हाल में जीतना आवश्यक होता है नहीं तो 15 करोड़ डॉलर आतंकवादियों के हाथ चले जाएँगे!! और इस खेल के दौरान बांड लगभग मर जाता है क्योंकि उसे कोई ज़हर दे देता है!! 😉
खैर, फ़िल्म की कथा का तो मैं खुलासा नहीं करूँगा, क्योंकि यदि आपने नहीं देखी तो इसको देख अवश्य लीजिए। यदि आपको बांड की फ़िल्में अच्छी लगती हैं और इससे पहले आपने शॉन कॉनरी(पहला जेम्स बांड) या पियर्स ब्रॉसनैन(पिछला जेम्स बांड) की फ़िल्में देखी हैं तो इस फ़िल्म को देखने से पहले अपने मन में कोई आशाएँ आदि नहीं रखना। नए बांड डेनिएल क्रेग का प्रदर्शन औसत है, आने वाली फ़िल्मों में ही पता चलेगा कि इसमे कितना दम है।
फ़िल्म से बिना कोई आशा रखे उसे देखो तो वो बहुत अच्छी लगेगी। इसलिए कोई आशा नहीं रखी जाए और मौज ली जाए।
वैसे एक रोचक बात यह है कि सोनी पिक्चर की भारतीय साइट पर इस फ़िल्म के भारत में आने की तारीख़ 15 दिसंबर की है, जबकि यहाँ यह फ़िल्म 17 नवंबर को रिलीज हुई जब सारे विश्व में हुई, तो क्या यहाँ के सिनेमा वालों के पास पाईरेटिड कापी है?? 😉 साइट का रखरखाव करने वाले ऐसे आलसी और बेकार हैं कि सही जानकारी लिख नहीं सकते और गलत जानकारी को अपनी साइट पर ठीक भी नहीं कर सकते!!
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