असीमित क्या है? कुछ भी असीमित नहीं होता, हर चीज़ की एक सीमा होती है एक दायरा होता है। असीमित तो यह ब्रह्माण्ड भी नहीं है, इसका भी कोई न कोई छोर तो अवश्य है, वह बात अलग है कि अभी हमारी समझ और नज़र से दूर है।
लेकिन हम लोग यह सब जानते बूझते हुए भी मार्केटिंग वालों के “अनलिमिटेड …..” नामक इस नागपाश रुपी झांसे में फंस ही जाते हैं। “अनलिमिटेड” मानों हमारे कानों में कोई आकर्षण में लिप्त संगीत घोल देता है, बाज़ार ने इसे मंत्र बना दिया है और हम सब कुछ जानते बूझते हुए भी इस मंत्र के वशीभूत हो जाते हैं।