पता नहीं क्या हो रहा है, आजकल कुछ लिखने का मन ही नहीं करता। मेरा यह ब्लॉग जिस पर मैंने सोचा था कि अपने दिल की भड़ास निकाला करूँगा, यह अभी पिछली कुछ पोस्ट से लग रहा है कि एक ट्रैवल ब्लॉग बन के रह गया है, सिर्फ़ यात्राओं का वर्णन होता है और कुछ नहीं। या यूँ कहें कि लिखने के लिए कोई प्रेरणा नहीं मिल रही। अब यह मत पूछना कि प्रेरणा कौन है, क्योंकि अभी तो मुझे भी नहीं पता!! 😉
अभी पिछले सप्ताह नारद जी ने अपने मेज़बान(जिनके यहाँ विराज रहे थे) को अपनी निरंतर आवजाही से नाराज़ कर दिया, तो कड़क कर मेज़बान ने कह दिया कि या तो आवाजाही बन्द करो या फ़िर बोरिया बिस्तर समेट फूट लो!! अब नारद जी क्या करें, आदत से मजबूर, इधर उधर की खबर ना रखें तो खाना कैसे हजम हो, उनपर तो हाजमोला भी असर नहीं करती!! तो नए मेज़बान की तलाश आरम्भ हुई, उधर हमने सोचा कि नारद जी के अंतर्ध्यान हो हर जगह की खबर रखने वाली तकनीक को जाँचा जाए, वरना दूसरा मेज़बान भी धक्का दे देगा अपने यहाँ से। लगा कि उनके टेलीपोर्टर में कुछ पंगा है, कदाचित् बहुत आवाज़ करता होगा जिससे मेज़बान के बच्चे डर जाते होंगे। तो हमने सोचा कि चलो नया बना देते हैं। अभी नया बना ही रहे थे कि दिमाग में विचार कौंधा कि क्यों ना मौजूदा टेलीपोर्टर में फ़ेर-बदल कर देखा जाए? समय और मेहनत दोनों ही बच भी सकते हैं, अधिक भी लग सकते हैं(काम ना बनने की स्थिति में)। पंगा ले लिया और Feeder लगा दिया अस्थाई जुगाड़ के रूप में, सोचा कि बल्ले भई, चकाचक चल रिया है, मौज हो गई।
पर नई खबर तो ला नहीं रहा था यह जुगाड़, असमंजस की स्थिति थी। नारद के प्रमुख डिप्टी अपने जीतू भाईसाहब को पुकारा। एक नज़र अन्दरूनी मशीनरी पर डाल उनकी प्रतिक्रिया ऐसी थी कि यदि मैं सामने होता तो मेरे को डंडा मार देते!! बोले कि नाम डुबो दिया मैंने, एक काम ढंग से नहीं हुआ। मेरी हवा टाईट हो गई, पूछा बताओ कहाँ गलती हुई। गलती पता चली, वापस आधे पुर्जे हटा के दोबारा उनकी देखरेख में लगाए तब जाकर कुछ संतोषजनक काम हुआ। लेकिन सेमीकंडक्टर घटिया क्वालिटी का था, लेकिन अब कुछ कर नहीं सकते, इसलिए उसके साथ थोड़ी छेड़खानी की और मामला कुछ और संतोषजनक हुआ।
उधर खबर मिल रही थी कि नारद जी के लिए नया मेज़बान ढूँढ लिया गया है, अब उनके साथ कुछ सेटिंग आदि चल रही है। इधर हमने नारद के टेलीपोर्टर का जो फ़ेरबदल कर नवीनतम मॉडल बनाया वो बढ़िया परफ़ॉर्मेन्स दे रहा है। बस नारद जी के नए घर में सेटल होते ही उनको ये नया टेलीपोर्टर सौंप दिया जाएगा। इधर एक समस्या नारद जी को शिफ़्ट करने में भी थी, खर्चा कुछ अधिक होना था। इस पर भक्तजन तनिक भी ना घबराए, पूछे जाने पर बहुतों ने अपनी रज़ामन्दी दी, और देने के नाम पर दिल खोल भेंटें दीं जो कि अभी भी थमी नहीं हैं। 🙂 वाह जी वाह, क्या भक्ति है।
सोच रहा हूँ कि इधर बहुत दिनों से जादु वाली नज़र बन्द पड़ी है, तो क्यों ना उससे दुनिया का कुछ नज़ारा किया जाए। या फ़िर श्रद्धालु जनों को फ़िर अपनी आवाज़ में कुछ ज्ञान दिया जाए। चलो देखते हैं, जैसे समय लगता है वैसे ही कुछ ना कुछ पकाएँगे। फ़िलहाल अभी कुछ चीज़ों ने व्यस्त कर रखा है, एक के बारे में जल्द ही घोषणा की जाएगी, जीतू भाईसाहब ऐसा कह ही चुके हैं। तो उसका भी इंतज़ार कीजिए और हमारा भी!! 😉
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