नहीं, न ही मैं पागल हो गया हूँ न ही मैं कोई कहानी नहीं लिख रहा हूँ, अलबत्ता कहानी के बारे में बता अवश्य रहा हूँ!! और कहानी वो जोकि अब फ़िल्म बनकर आ रही है(वैसे तो पिछले दिसम्बर में ही आ चुकी है परन्तु यहाँ भारत में 26 जनवरी को सिनेमा में लग रही है)। मैं बात कर रहा हूँ वाल्ट डिज़नी द्वारा प्रस्तुत, सी.एस.लुईस के लिखे उपन्यास पर बनी फ़िल्म “द क्रानिकल्स आफ़ नारनिया – द लायन, द विच एण्ड द वार्डरोब” की, जो कि एक फ़ैन्टसी फ़िल्म है!!
फ़िल्म की कहानी कुछ इस तरह से है। सन् 1940 में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन की लड़ाई लड़ी जा रही थी जब लुफ़्तवाफ़े(नाज़ी हवाई सेना) ब्रिटेन पर बमबारी कर रही थी, क्योंकि हिटलर ने लंदन को मिटा देने की ठानी थी। तो इस समय कई लोग लंदन छोड़ कर दूर छोटे शहरों और गांवो की ओर जा रहे थे। एक माँ भी अपने चार बच्चों को ऐसे ही लंदन से दूर भेज देती है। जिस घर में वे चार बच्चे पहुँचते हैं, वहाँ उन्हें एक अलमारी मिलती है जिसमें से एक दूसरी दुनिया की ओर जाने का रास्ता है, जिसका नाम है नारनिया!! वह दुनिया जादुई है, वहाँ जानवर बोल सकते हैं और वहाँ कई किंवदन्तियों में प्रसिद्ध काल्पनिक जीव भी हैं जैसे साईक्लोप्स, सेन्टॉर इत्यादि। पर वहाँ कोई मनुष्य नहीं है, क्योंकि वहाँ सफ़ेद जादूगरनी का राज है जिसने नारनिया को अनंत शीतकाल में जकड़ रखा है और भविष्यवाणी थी कि आदम के दो बेटे और ईव की दो बेटियाँ(चार मनुष्य, दो लड़के और दो लड़कियाँ) वहाँ आएँगे और उस सफ़ेद जादूगरनी को हरा कर उस शीत ॠतु को समाप्त करेंगे, और वहाँ का असली राजा असलान(एक शेर) पुनः वहाँ राज करेगा।
कहानी कुछ ज़ोरदार लग रही है और उत्सुकता और भी बढ़ जाती है क्योंकि मैंने यह उपन्यास नहीं पढ़ा!! नारनिया केवल इस एक उपन्यास में ही सीमित नहीं है, इसकी कहानी कुछ अन्य उपन्यासों में भी फ़ैली हुई है, तो आशा कर सकते हैं कि शायद वाल्ट डिज़नी इस पर और भी फ़िल्में बनाए।
फ़िल्म का ट्रेलर यहाँ उपलब्ध है, और इसे देखकर आपका मन भी अवश्य इसको पूरी देखने का करेगा। ट्रेलर देखकर मैं तो कुछ बेचैन सा हो उठा हूँ, जैसा कि हर बार होता है जब मैं किसी चीज़ को लेकर बहुत उत्साहित(और बेसब्र) होता हूँ और मुझे वह चीज़ मिलने से पहले थोड़ी प्रतीक्षा करनी होती है, अब से पहले आखिरी बार मैं “ट्राय” के लिए ऐसा उत्साहित था। (बेसब्री से)प्रतीक्षा है केवल 26 जनवरी की, जब यह भारतीय सिनेमाघरों में लग रही है। 🙂
ट्रेलर देखकर और फ़िल्म(तथा कहानी) के बारे में पढ़कर मैं इतना तो कह सकता हूँ कि इसके चलने के आसार तो हैं, परन्तु रिलीज़ का समय सही नहीं लगता, क्योंकि यह फ़िल्म बच्चों को अधिक आकर्षित करेगी, और यह समय स्कूलों में पढ़ाई और वार्षिक परीक्षाओं की तैयारी का है, साथ ही दसवीं और बारहवीं के छात्र भी अपनी बोर्ड की परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। यदि यह फ़िल्म पिछले दिसंबर में ही यहाँ भी रिलीज़ हो जाती तो इसके अच्छा व्यापार करने के अधिक आसार थे। पर कुछ कहा नहीं जा सकता, चलने को फ़िल्म अभी भी चल सकती है।
यह फ़िल्म चले या न चले, परन्तु काफ़ी अच्छी होगी इसमें मुझे कोई शक नहीं। यदि आप यह पढ़ रहे हैं और यदि अभीतक यह फ़िल्म नहीं देखी है तो देखने अवश्य जाएँ, समय बर्बाद नहीं होगा यह मेरा विश्वास है। 🙂
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