अब भई, अल्का ने मुझे टैग कर अपना शिकार बनाया है तो हर्जाने के रूप में मुझे भी उनके विषय “निपुण प्रेमी”(perfect lover) पर अपनी राय व्यक्त करनी है कि मेरे अनुसार मेरी निपुण अथवा अद्वितीय प्रेमिका कैसी हो, अथवा यूँ कहें कि मेरे मन में क्या छवि है एक आदर्श प्रेमिका की। इस खेल के कुछ नियम हैं जो मुझे अल्का द्वारा ही पता चले, और वे हैं:
- टैग हुए शिकार को अपने निपुण प्रेमी के बारे में आठ बातें बतानी हैं।
- अपने प्रेमी का लिंग बताना है।
- आठ शिकार चुनने हैं जो कि इस खेल को आगे बढ़ाएँ और उनके ब्लॉग आदि पर टिप्पणी दर्ज कर उन्हे इस बात से अवगत कराना है।
- यदि आपका दूसरी बार शिकार हुआ है(यानि कि आपको दूसरी बार टैग किया गया है) तो दोबारा खेलने की कोई आवश्यकता नहीं है।
हाँ तो विषय पर दोबारा आते हुए, मैं यही कहूँगा कि आज तक मैंने कभी इस पर विचार नहीं किया, मतलब कि कभी एकाध बार विचार अवश्य किया लेकिन अधिक तवज्जो न दी इस विषय पर क्योंकि इससे अधिक महत्वपूर्ण बहुत सी बातें रहीं हैं ध्यान देने के लिए, प्यार-मोहब्बत-इश्क आदि की ओर इसलिए कभी ध्यान ही नहीं दिया, और वैसे भी, अभी कौन सा बुढ़ापा आ गया है, अभी तो मात्र बाईस बसंत देखे हैं, सारी उम्र पड़ी है चोंच लड़ाने के लिए!! 😉
बहरहाल, अल्का ने कदाचित सोचा कि वे मुझे फ़ांस लेंगी इस विषय पर, परन्तु शायद वे यह नहीं जानती कि मेरी कल्पनाशक्ति की उड़ान अत्यधिक तीव्र है जिसकी पराकाष्ठा का स्वयं मुझे ज्ञान नहीं है, इसलिए मैं बहुत कुछ सोच सकता हूँ, अब क्या कहूँ(अधिक “अपने मुँह मिया-मिट्ठु” तो नहीं बन सकता न)। परन्तु हिन्दी से कई वर्ष परे रहने का दुष्परिणाम यह है कि मुझे अंग्रेज़ी में तो शब्द ज्ञात हैं परन्तु उनके समानार्थ शब्द हिन्दी में नहीं मिल रहे(लगता है अंग्रेज़ी से हिन्दी शब्दकोष लेना ही पड़ेगा)। खैर, तो ज्यादा बकवास न करके, शुरू करते हैं अपनी कल्पना की उड़ान!! मेरा प्रयत्न होगा कि अपनी आशाओं को यथार्थवादी ही रखूँ, उन्हें कल्पना की चोटियों तक न उड़ने दूँ कि वे विश्वसनीयता की सीमाओं को ही लांघ जाएँ!! 😉
तो मेरी प्रेमिका स्त्रीलिंग होगी, क्योंकि नवाबी शौक तो भई मैं रखता नहीं!! 😉
तो किसी विशेष क्रम में नहीं, मेरे अनुसार, मेरी प्रेमिका में निम्न विशेषताएँ होनी चाहिए:
- प्रथम विशेषता तो उसमें यह होनी चाहिए कि उसे एक अच्छा मनुष्य होना चाहिए, जब वह मनुष्यता की न्यूनतम मापदण्ड पर नहीं खरी उतर सकती तो वह एक मनुष्य की अच्छी प्रेमिका कैसे होगी? भई हम सबसे पहले मनुष्य हैं, तदोपरान्त कुछ और, तो यदि हम मनुष्यता के मापदण्ड पर खरे नहीं उतर सकते तो कुछ और कैसे हो सकते हैं?
- उसकी रूचियाँ आदि मुझसे विपरीत होनी चाहिए, अंग्रेज़ी में कहावत है “ओपोज़िट्स अट्रैक्ट”(opposites attract) अर्थात विपरीत बिन्दु एक दूसरे के प्रति आकर्षित होते हैं, और जहाँ तक मैंने जाना है, वास्तविक जीवन में भी ऐसा होता है। कोई आवश्यक नहीं कि ऐसा हो, अखिरकार जीवन किसी मापदण्ड पर स्थिर नहीं है, परन्तु मैं यही चाहता हूँ कि मेरी प्रेमिका मुझसे भिन्न होनी चाहिए, क्योंकि मैं अपने जैसे एक और व्यक्ति को बर्दाश्त नहीं कर सकता, अपने को कर लेता हूँ, वही पर्याप्त है!!
- उसे सुन्दर होना चाहिए, केवल तन से ही नहीं अपितु मन से भी, किसी नकचढ़ी को कोई क्योंकर पसन्द करेगा, और मैं तो कदापि नहीं करूँगा क्योंकि ऐसे लोग तो मुझे कतई सहन नहीं होते।
- उसमें अधिक नहीं तो सामान्य स्तर की बुद्धि की अपेक्षा है, अगर आपने ब्लाँड्स पर चुटकले सुनें हैं तो आप समझ जाएँगे कि मैं ऐसा क्यों कह रहा हूँ, अंग्रेज़ी में कहा जाता है “ब्यूटी एण्ड ब्रेन्स, अ रेअर कांबिनेशन”(beauty and brains, a rare combination) अर्थात सौन्दर्य और बुद्धि का मेल दुर्लभ होता है। किन्तु मेरे इस नज़रिए को लैंगिकवाद का मुद्दा न बनाएँ, मैं लैंगिकवादी नहीं हूँ, क्योंकि वैसे यह नज़रिया लड़कों पर भी लागू हो सकता है, परन्तु अमूमन यह लड़कियों के बारे में अधिक कहा जाता है(अच्छा ठीक है, मैं क्रोध महसूस कर सकता हूँ इसलिए आगे इस पर नहीं कहूँगा)!! और जिन्होनें वे चुटकले न सुने न पढ़े हैं, अर्थात जो उनके बारे में नहीं जानते, उनका इस तर्क के बारे में जानना आवश्यक भी नहीं है!! 😉
- उसे अनुराग़ी भी होना चाहिए, भई यदि प्रेमी-प्रेमिका में अनुराग़ न हो फ़िर वे प्रेमी-प्रेमिका ही कैसे!! मैंने अपनी अभी तक की लघु जीवन यात्रा में यह भी देखा है कि कई बार प्रेमी प्रेमिका के बीच सब कुछ होता है सिवाय अनुराग़ के, तो ऐसा मैं नहीं चाहता!!
- मेरी प्रेमिका ऐसी होनी चाहिए कि वह दूसरों के(खासतौर से मेरे) सभी तर्कसंगत निर्णयों का आदर करे, उसमें आत्मसम्मान तो होना चाहिए परन्तु दूसरों के सम्मान का भी ध्यान रखना चाहिए।
- स्वत्वबोधक होना मैं समझता हूँ कि कोई बुरी बात नहीं है यदि एक सीमा में रहा जाए। अति हर चीज़ की बुरी होती है, इसलिए उसे यह ज्ञात हो कि कहाँ पर अति हो जाती है।
- यदि आपस में कुछ मन मुटाव हो जाता है तो मुँह फुला के एक कोने में बैठ कर मेरे मनाने की प्रतीक्षा न करे, ताली दो हाथों से बजती है, तो यह कहीं से तर्क संगत नहीं कि झगड़ा होने पर मैं ही मनाऊँ!! पर मैं यह नहीं कहता कि उसे मुझसे लड़ना या रूठना ही नहीं चाहिए, यह दो चीज़े अनुराग़ की ही भांति प्रेम जीवन के लिए अनिवार्य हैं।
- विषाद की शिकार अथवा नकारात्मक रवैया रखने वाले लोगों से मुझे चिढ़ है, इसलिए मैं ऐसा अपनी प्रेमिका में भी नहीं चाहता।
- कहते हैं कि यदि एक झूठ से किसी का जीवन बचता है तो वह झूठ अनेक सत्यों से ऊपर है, और यह भी कहा जाता है कि सत्य जानना सदैव हितकारी नहीं होता। तो जहाँ मैं यह चाहता हूँ कि उसे मुझे अपना मित्र जानकर राज़दार बनाना चाहिए और झूठ को हमारे बीच नहीं लाना चाहिए, वहीं मैं यह भी चाहता हूँ कि उसे इतनी समझ होनी चाहिए कि कब कहाँ क्या बोला जाता है, यानि कि न तो सदैव असत्य अथवा सत्य बोलना चाहिए, और न ही कान का कच्चा होना चाहिए कि कोई बात पेट में पचा ही न सके(यह भी एक खूबी है जो अमूमन स्त्रियों में नहीं पाई जाती)।
- हालांकि मैं स्वत्वबोध का अर्थ जानता हूँ, परन्तु मैं यह चाहता हूँ जब तक वो मेरी प्रेमिका है, तब तक केवल मैं ही उसका प्रेमी रहूँ, क्योंकि इस मामले में मैं मिल बाँट कर खाने में विश्वास नहीं रखता!! 😉
मेरा अनुमान है कि अब कुछ अति ही हो गई है, आठ की जगह ग्यारह बातें बता दीं, परन्तु मेरा मानना है कि “परफ़ैक्ट” जैसी कोई चीज़ नहीं होती, कहीं न कहीं कोई कमी रह ही जाती है। कमियों को सुधारना ही जीवन लक्ष्य होना चाहिए!! इसलिए ये न सोचें कि मैंने “परफ़ैक्ट” अनुमोदन करते हुए अपनी आशाएँ व्यक्त की हैं, मैंने अपनी अपेक्षाओं को इस मामले में बहुत ही सरल रखने का प्रयत्न किया है ताकि ये यथार्थवादी ही रहें, जोकि सार्थक हो सकें। यदि इनमें से आधी से ज्यादा अपेक्षाएँ पूर्ण हो जाएँ, तो मैं यकीनन अपने को धन्य मानूँगा(तो कोई है?)!! 🙂
और अब समय है अपनी हिट लिस्ट को व्यक्त करने का!! तो (किसी क्रम में नहीं)वे (दुर्)भाग्यशाली व्यक्ति हैं:
- सुर — अभी तक जितना मैंने इन्हे पढ़ा है, एक कड़ा रवैया पाया है, इस बारे में इनके कोमल विचार जानने के लिए उत्सुक हूँ!!
- साँझ परी — ट्वाईलाईट फ़ेयरी(twilight fairy) के नाम से लिखने वाली मोहतरमा, अल्का के विचारों पर बढ़िया टिप्पणियाँ दी थी, जानने के लिए उत्सुक हूँ कि इनके अपने विचार क्या हैं!!
- प्रत्यक्षा — अधिक तो इनके बारे में नहीं जानता, पढ़ना भी इनको हाल ही में शुरू किया परन्तु इनकी लिखने की शैली सरल और अच्छी लगती है, तो इनके विचार जानना भी रोचक रहेगा।
- तरूण — इनके विचार सदैव ही पठनीय होते हैं, देखें ये क्या कहते हैं!!
- ई-स्वामी — स्वामी जी ईलेक्ट्रानिक युग के, आगे कहने की नहीं, इनके विचार जानने की आवश्यकता है। 😉
- जीतू — अब इनकी क्या कहें, इनके विचार पढ़ने से ही बात बनेगी!! 🙂
- साकेत — एक बार मिलने का अवसर मिला था, चीज़ों के प्रति इनके विचार मुझे कुछ अलग लगते हैं, तो इस बारे में भी इनका क्या सोचना है, वो तो जानना ही चाहिए।
- शिवम — इनसे भी एक बार मुलाकात हुई, आगे भी होगी, तो जानें कि क्या सोच है इस विषय पर, पढ़ना अवश्य रोचक होगा!!
- विनी — एक खास शिकार, विनी के किसी भी विषय के प्रति विचार जानना मुझे सदैव ही ज्ञानवर्धक लगा है, तो देखें वह इस बारे में क्या कहता है।
(english translation: one special victim, Vinnie. knowing Vinnie’s thoughts about any topic has always sort of added to my knowledge, so it’ll be quite interesting to see what he has to say on this one!! so Vinnie, will it be Cathy or …..)
तौबा, इस हिट लिस्ट को बनाना बड़ा ही दुष्कर सिद्ध हुआ, अपनी आदर्श प्रेमिका के बारे में लिखने से भी अधिक दुष्कर!! अब इतने सारे व्यक्ति हैं, किसको अपना निशाना बनाउँ, किसको बक्श दूँ, समझ नहीं आ रहा था!! पर आखिरकार इस बाधा को भी सफ़लतापूर्वक पार कर ही लिया!! 😀 अब प्रतीक्षा है अपने शिकारों की प्रतिक्रिया का!! 😉
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