समस्या है.....
On 31, Dec 2007 | 4 Comments | In Cartoon, Here & There, इधर उधर की, कार्टून | By amit
क्या आप चोर हैं? - भाग ३
On 21, Dec 2007 | 6 Comments | In Mindless Rants, फ़ालतू बड़बड़ | By amit
पिछले भाग से आगे …..
अभी हाल ही में हिन्दी ब्लॉगजगत में पोस्ट आदि की चोरी का मुद्दा उठा था और बहुत से लोगों ने पुरज़ोर इसका विरोध करते हुए इस पर अपने कड़े विचार व्यक्त किए थे। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि कुछ लोग जो अपने ब्लॉगों से पोस्ट चोरी होने पर व्यथित और क्रोधित थे(इतने कि उनका वश चलता तो चोर को फांसी पर चढ़ा देते और उसके कपड़े बीच बाज़ार नीलाम कर देते) यदि उनके ब्लॉग देखें जाएँ तो बहुत सा चोरी का माल उनके पास ही मिल जाएगा। क्यों भई, आपका माल चोरी हो तो वह गलत, लेकिन आप किसी का माल चोरी करो तो वह गलत नहीं है? मेरा इरादा किसी व्यक्ति विशेष का नाम लेकर उनको सरेआम बेइज़्ज़त करना नहीं है, मैं विनम्र शब्दों में सिर्फ़ यह बताना चाहता हूँ कि जिस तरह आपका लिखा आपका कॉपीराइट है उसी प्रकार किसी अन्य का माल भी उसकी संपत्ति है जिसे आप बिना उस व्यक्ति की आज्ञा के नहीं प्रयोग कर सकते।
क्या आप चोर हैं? - भाग २
On 10, Dec 2007 | 9 Comments | In Mindless Rants, फ़ालतू बड़बड़ | By amit
पिछले भाग से आगे …..
पिछले भाग पर कुछ शंकाएँ और प्रश्न माननीय पाठकों ने किए जिनके उत्तर तो मैंने वहीं टिप्पणी में दे दिए थे लेकिन यहाँ भी इसलिए छाप रहा हूँ कि जिन्होंने नहीं पढ़े वे लाभ उठा सकें क्योंकि ये कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और शंकाएँ हैं जो कि एकाध को नहीं वरन् कई लोगों को हैं।
क्या आप चोर हैं?
On 06, Dec 2007 | 18 Comments | In Mindless Rants, फ़ालतू बड़बड़ | By amit
क्या आप –
किसी भी वेबसाईट या ब्लॉग आदि पर कोई फोटो (photo) या इमेज (image) या अन्य कोई चीज़ पसंद आने पर उसको सेव (save) कर लेते हैं और फिर बाद में उसको किसी वेबसाईट अथवा ब्लॉग आदि पर प्रयोग करते हैं?
गूगल आदि किसी सर्च इंजन में किसी खोज के दौरान आई किसी फोटो या इमेज या अन्य चीज़ को अपने मन-माफ़िक बिना उस चीज़ के मालिक की आज्ञा के प्रयोग करते हैं?
यदि इन दोनो प्रश्नों में से किसी भी प्रश्न का उत्तर हाँ में है तो सावधान, यह लगभग तय है कि आप चोरी कर रहे हैं।
ऐडसेन्स या नॉनसेन्स? - भाग २
On 03, Dec 2007 | 14 Comments | In Blogging, Mindless Rants, Satire, ब्लॉगिंग, व्यंग्य, फ़ालतू बड़बड़ | By amit
पिछले भाग से आगे …..
अज्ञानीलाल तो खैर अज्ञानी थे, मृगतृष्णा के पीछे भागे और बहक गए। लेकिन उनके साथ जो हुआ यह कोई आवश्यक नहीं कि हर बहके हुए व्यक्ति के साथ हो, या फिर, सिर्फ़ बहके हुए व्यक्ति के साथ ही हो। एक पुरानी कहावत है:
गेहूँ के साथ घुन भी पिस जाता है
और यह बिलकुल सत्य है, इस संदर्भ में तो बिलकुल से भी बिलकुल सत्य है, अनेकों प्रमाण ढूँढने वाले की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
ऐडसेन्स या नॉनसेन्स?
On 01, Dec 2007 | 14 Comments | In Blogging, Mindless Rants, Satire, ब्लॉगिंग, व्यंग्य, फ़ालतू बड़बड़ | By amit
अज्ञानीलाल ने कहीं पढ़ा कि ब्लॉगस्पॉट पर फोकट में ब्लॉग बनाया जा सकता है और उस पर गूगल के ऐडसेन्स (AdSense) वाले विज्ञापन लगा दो और फिर बस बैठकर देखते जाओ, डॉलरों की बरसात हो जाती है। बस फिर क्या था, तुरत-फुरत अज्ञानीलाल ने ब्लॉग बनाया, टशन वाली टेमप्लेट (template) लगाई, थोड़ा इधर से थोड़ा उधर से पोस्ट करने के लिए माल मसाला जुगाड़ा। ऐडसेन्स (AdSense) के खाते की मंजूरी भी थोड़े दिन में आ गई और बस फिर क्या था, अज्ञानीलाल ने पूरे ब्लॉग को विज्ञापनों से सजा दिया और डॉलरों की बरसात की प्रतीक्षा करने लगा। एक दिन बीता, दो दिन बीते, दिन पर दिन बीते, लेकिन एक फूटी कौड़ी भी न आई बेचारे के खाते में। उसने फिर कंप्यूटर के चूहे को दौड़ाया, कुछ क्लिक वगैरह किए और कहीं पढ़ा कि विज्ञापन पर क्लिक होगा तभी कुछ उसका भला होगा। फिर किसी समझदार मित्र ने समझाया कि दूसरे की बाट क्यों देखो कि वह तुम्हारा भला करने आएगा। अज्ञानीलाल को बात जंच गई और उसने अपना भला स्वयं ही करने की सोची। लेकिन पहले उसने इस बात को परखना उचित समझा कि क्या वह अपना भला स्वयं कर सकता था कि नहीं। उसने कुछ क्लिक किए, नतीजा सामने आया, कई डॉलरों की तो नहीं लेकिन कुछ आधे, कुछ पूरे, कुछ चौथाई डॉलरों की एन्ट्री अवश्य हो गई उसके खाते में!!