पिछले भाग से आगे …..
अज्ञानीलाल तो खैर अज्ञानी थे, मृगतृष्णा के पीछे भागे और बहक गए। लेकिन उनके साथ जो हुआ यह कोई आवश्यक नहीं कि हर बहके हुए व्यक्ति के साथ हो, या फिर, सिर्फ़ बहके हुए व्यक्ति के साथ ही हो। एक पुरानी कहावत है:
गेहूँ के साथ घुन भी पिस जाता है
और यह बिलकुल सत्य है, इस संदर्भ में तो बिलकुल से भी बिलकुल सत्य है, अनेकों प्रमाण ढूँढने वाले की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
मस्तलाल एक मस्त व्यक्ति, शौकिया अपना ब्लॉग लिखता और कोई टेन्शन नहीं लेता। गूगल ऐडसेन्स (AdSense) आया तो कौतुहलवश उसने भी अर्ज़ी लगा दी और अर्ज़ी मंज़ूर होकर भी आ गई। फिर कुछ समय बाद न जाने क्या सोच उसने आज़माने की सोची और अपने ब्लॉग पर ऐडसेन्स (AdSense) के विज्ञापन लगा दिए यह सोच कि देखा जाए कितनी कमाई हो सकती है। कुछ दिन बीते, महीना बीता, खाते में सिर्फ़ कुछ सेन्ट ही आए लेकिन मस्तलाल को कोई टेन्शन नहीं। फिर एक दिन ऐडसेन्स (AdSense) वालों की ओर से एक ईमेल आई जिसमें मस्तलाल को सूचित किया गया कि उसकी वेबसाइट पर विज्ञापनों पर खामखा के क्लिक हुए हैं और इसलिए उसका ऐडसेन्स (AdSense) खाता रद्द किया जाता है। मस्तलाल ने कहा भी कि उसने कोई क्लिक नहीं किए हैं और यदि कोई और उसकी वेबसाइट पर आकर एक के बाद एक क्लिक कर देता है तो उसमें उसकी क्या गलती!! लेकिन ऐडसेन्स (AdSense) विभाग में बैठे मूर्ख के पास कदाचित् भाषा का अभाव था इसलिए उसने एक पहले से तैयार झाड़ू छाप उत्तर कॉपी-पेस्ट कर भेज दिया। मस्तलाल तो फिर मस्त बंदा, उसने कहा भाड़ में जाओ और ऐडसेन्स (AdSense) के विज्ञापन ब्लॉग से हटा दिए जो कि खाता रद्द होने के बाद भी उसके ब्लॉग पर आ रहे थे!!!
यानि कि अपना भला स्वयं करना तो बुरा है ही, कोई अन्य भी आपका इसी तरह भला करके जा सकता है!! अज्ञानीलाल और मस्तलाल पात्र बेशक काल्पनिक हैं लेकिन दोनो वाकये काल्पनिक नहीं हैं, ऐसा होता है, हुआ है और होता आ रहा है। यानि कि यदि आपने अपनी वेबसाइट या ब्लॉग आदि पर ऐडसेन्स (AdSense) के विज्ञापन लगा रखे हैं तो कोई व्यक्ति जिसकी आपसे खुन्नस हो वह आकर क्लिकों की झड़ी लगा सकता है और यदि आपकी वेबसाइट औसतन कम क्लिक पैदा करने वाली है तो यह क्लिकों की झड़ी गूगल के अपंग रडार पर तुरंत दिखाई दे जाएगी जिसका सीधा हल उनके पास आपका खाता रद्द करने और आपकी कमाई रकम को जब्त करने के रूप में है। अज्ञानीलाल के वाकये को बेशक मैंने ज़रा अतिश्योक्ति में चित्रित किया लेकिन मस्तलाल(काल्पनिक नाम) वाला वाकया एक वास्तविक व्यक्ति के साथ हुए वाकये का उल्लेख है। और यह सिर्फ़ एक मस्तलाल की कहानी नहीं है, ज़रा गूगल पर ही खोज लीजिए अनेकों ऐसे उदाहरण मिल जाएँगे। अब मैं यह नहीं कह रहा कि ऐडसेन्स से निष्कासित प्रत्येक व्यक्ति सत्य कहता है कि उसने कुछ गलत नहीं किया लेकिन बात यहाँ गेहूँ के साथ पिस रहे घुन की है।
गूगल यहाँ ईश्वर की भूमिका निभा रहा है, जो वह कहे वही सत्य है। उसको कोई प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं है कि आपने कोई गलत कार्य किया, कह देना ही काफ़ी है। आज ऐडसेन्स (AdSense) से अधिक प्रयोग होने वाला शायद ही कोई विज्ञापन नेटवर्क हो। लेकिन कदाचित् ऐडसेन्स (AdSense) विभाग अपने रडार में मौजूद कमियों को सुधारने में न तो यकीन रखता है और न ही कोई रूचि। कदाचित् वह आगे निकल चुके खरगोश की तरह यह सोच बैठा है कि उससे आगे कोई निकल नहीं सकता इसलिए वह आराम कर रहा है, सुस्ता रहा है। हाएपोथेसिस साफ़ है, बड़ी वेबसाइटें जहाँ क्लिकों की भरमार है उनको कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, उनके यहाँ कम-ज़्यादा क्लिक कोई संदेह कदाचित् ही उत्पन्न करें लेकिन छोटी वेबसाइट चलाने वाले पूरे के पूरे खतरे में हैं, उनकी कोई भी वाट लगा सकता है और वाट लगने के बाद अपील तो कर सकते हो लेकिन सुनवाई होगी इसकी संभावना एक प्रतिशत से भी कम है।
और खामखा हुए क्लिकों की तो बात छोड़िए, यदि ईमानदारी वाली कमाई आपके गूगल खाते में है तो तथाकथित बेईमानी वाली कमाई के साथ-२ वह भी छिन जाएगी। क्योंकि लगता है कि गूगल का मानना है कि जो पकड़ा जाए वह चोर है और हर चोर पैदायशी चोर है जिसने चोरी के अतिरिक्त न तो कुछ किया है और न ही कुछ करेगा। कुछ समझ आता है कि इसका अर्थ क्या है? इसका अर्थ यह है कि इस सिस्टम को बनाने वाले मूढ़ इंजीनियर बहुत अर्से से मशीनों के साथ रहते आए हैं जहाँ ० और १ की ही भाषा चलती है, अन्य कुछ नहीं। कदाचित् मैनेजमेन्ट को चाहिए कि उन बेचारे इंजीनियरों को उनके बाड़े से बाहर निकालें और कुछ समय जीवित मनुष्यों और जानवरों के साथ बिताने दें। साथ ही अपने ज्ञान के दंभ के नीचे दबे उन इंजीनियरों को चाहिए कि सच्चाई का सामना करें, उनका सिस्टम फूलप्रूफ़ नहीं है, इसका कोई भी गेम बजा सकता है। इस बात को न स्वीकारना ठीक वैसा है जैसा पाकिस्तान के हुक्मरानों का यह सोचना कि अमेरिका उसका सगा है और चीन उसके लिए आया खुदाई मददगार!! या फिर शतुरमुर्ग की तरह सोचना कि रेत में मुंडी छुपा लेने के कारण उसको कोई देख नहीं सकता!!
जिन लोगों को इस बात से झटका लगा है उनको यही कहूँगा, साईबरस्पेस में आपका स्वागत है। 🙂 यहाँ पर गूगल एक ऐसा दानव है जिससे पंगा लेकर कोई जीवित नहीं रह सकता। 😉
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