चक दे इंडिया के प्रोमो आदि टीवी पर काफ़ी समय से आ रहे हैं, न्यूज़ चैनलों और बॉलीवुड के खबरी कार्यक्रमों में भी इसकी काफ़ी चर्चा है, कुल मिला के इस फिल्म से काफ़ी आशाएँ रखी जा रही हैं, आखिर किंग खान की फिल्म है जिसमें वो (मेरी जानकारी अनुसार) दूसरी बार किसी खेल टीम के कोच के रूप में नज़र आएँगे। इससे पहले वह अपनी एक शुरुआती फिल्म चमत्कार, जो कि 1992 में रिलीज़ हुई थी, में एक कॉलेज की क्रिकेट टीम के लल्लू कोच के रूप में नज़र आए थे जिसमें उनका साथ दिया था भूत बने नसीरुद्दीन शाह ने। उस समय तो कोच की लाज भूत बादशाह ने मैच जीत के बचा ली थी, लेकिन इस बार कौन बचाएगा? 😉
अभी तक चक दे इंडिया के जो ट्रेलर आदि देखे हैं, उससे फिल्म की कहानी का कुछ-२ अंदाज़ा हो गया है। पिछले साल, 2006 में, हॉलीवुड की एक फिल्म आई थी, ग्लोरी रोड (Glory Road) जो कि अमेरिकी कॉलेज टेक्सस वेस्टर्न(Texas Western) की बास्केटबॉल टीम के कोच डॉन हैस्किन्स की वास्तविक ज़िन्दगी के उस हिस्से पर बनी थी जब वो टेक्सस वेस्टर्न के कोच बने थे। टेक्सस वेस्टर्न कॉलेज बास्केटबॉल लीग में बहुत पिछड़ी हुई टीम थी जिसके लिए कोई अच्छा खिलाड़ी खेलना नहीं चाहता था। यह वह दौर था जब सिर्फ़ गोरे प्रोफ़ेशनली खेलते थे, काले नीग्रो खिलाड़ियों को कोई नहीं लेता था और यदि लेता था तो एकाध ही होता था एक टीम में और वह भी रिज़र्व। डॉन हैस्किन्स को जब कोच बनाया गया तो कॉलेज के प्रधानाचार्य ने खिलाड़ियों को सिर्फ़ छात्रवृत्ति(scholarship) दे सकने में ही समर्थता जताई थी, लेकिन कोई भी अच्छा गोरा खिलाड़ी इस टीम के लिए खेलने को तैयार नहीं था। चिढ़कर डॉन हैस्किन्स ने रीति के विरुद्ध जाते हुए देश भर में से बढ़िया खेलने वाले नीग्रो खिलाड़ियों को टीम में लिया, ऐसे खिलाड़ी जो सबसे बेहतरीन खेलते थे लेकिन उनके काले रंग के कारण उनको कोई अपनी टीम में नहीं लिए हुए था। सब ने इस टीम का मज़ाक उड़ाया और एक्सपर्ट्स(experts) ने पहले से ही कह दिया कि डॉन का यह प्रयोग जल्द ही अपने मुँह पर गिर असफ़ल हो जाएगा। लेकिन उन सबके मुँह पर ज़ोरदार तमाचा तब पड़ा जब इस टीम ने खेलना आरंभ किया, कोई टीम इसके आगे टिक नहीं सकी और 17 मैच लगातार जीतकर लीग में चौथा स्थान हासिल किया और उसके बाद इक्कीस मैच जीत और सिर्फ़ एक मैच हारकर इस टीम ने NCAA में तीसरे स्थान पर प्रवेश किया था। 1966 के ऐतिहासिक फाइनल में इसका सामना हुआ था उस समय की मौजूदा नंबर एक और चैम्पियन टीम केन्टकी विश्वविद्यालय(University of Kentucky) से जिसके कोच अडोल्फ रुप्प को शताब्दी का कोच(coach of the century) कहा जा रहा था। उस फाइनल में डॉन हैस्किन्स ने पहले पाँच खिलाड़ी जो कोर्ट में उतारे वो सभी नीग्रो थे, चैम्पियनशिप इतिहास में यह पहली बार हुआ था। कड़े मुकाबले के बाद आखिरकार डॉन हैस्किन्स की टेक्सस वेस्टर्न माइनर्स ने केन्टकी विश्वविद्यालय को धूल चटाई थी और टेक्सस वेस्टर्न की इस टीम ने वह साल 28 जीत और 1 हार के रिकॉर्ड पर समाप्त किया था। यह फाइनल मैच विश्व खेल इतिहास में one of the biggest upsets के तौर पर दर्ज हुआ और इस वर्ष सितंबर में 1966 की इस टीम को नाएस्मिथ मेमोरिअल बास्केटबॉल हॉल ऑफ़ द फेम(Naismith Memorial Basketball Hall of Fame) में शामिल किया जाएगा। कोच हैस्किन्स को इसी हॉल ऑफ़ फेम मे 1997 में बतौर कोच शामिल किया गया।
तो कहने का अर्थ यह है कि चक दे इंडिया मुझे तो ग्लोरी रोड से ही प्रभावित लग रही है, क्या यह भी एक और हॉलीवुड इंस्पायर्ड फिल्म होने वाली है!! अब कहीं से भी इंस्पायर्ड हो इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, यदि फिल्म अच्छी होती है तो मुझे पसंद आती है, चाहे वह रीमेक(remake) हो या किसी फिल्म से प्रभावित हो। तो प्रश्न अब यह है कि जोश लूकस ने डॉन हैस्किन्स की जो शानदार भूमिका निभाई थी, क्या शाहरुख इस देसी फिल्म में जानदार भूमिका निभा सकेंगे? कोच का किरदार रोमांटिक हीरो के किरदार से अलग होता है, इसलिए अलग तरह के अभिनय की दरकार होगी। सुना है कि आज यह फिल्म रिलीज़ हो रही है, तो अब तो यह फिल्म देखने के बाद ही पता चलेगा कि शाहरुख है कि नहीं!! 😉
वैसे मैं ग्लोरी रोड देखने का सुझाव अवश्य दूँगा, बहुत अच्छी फिल्म है और मेरी पसंदीदा फिल्मों की सूचि में इसने जगह बना ली है। 🙂
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