इंटरनेट पर सबसे अधिक प्रयोग होने वाला पोर्टल बनने की होड़ में सबसे आगे हैं तीन महारथी; याहू, गूगल और एमएसएन। अभी तक इनका युद्धक्षेत्र कंप्यूटरों तक ही सीमित था परन्तु नित नई तकनीक वाले मोबाईल फोनों के बाज़ार में उतरने और प्रयोगकर्ताओं के मोबाईल सेवाओं के प्रति जागृत होने से अब इस युद्धक्षेत्र का दायरा बढ़ रहा है और अब युद्ध मोबाईल फोनों पर भी होगा।
तकरीबन एक वर्ष पहले याहू ने Y!Go(याहू गो) बाज़ार में उतारा, इसका मोबाईल सॉफ़्टवेयर एकदम मुफ़्त और उसमें उसने ईमेल, चैट आदि सेवाएँ उपलब्ध करा लोगों को याहू सेवाएँ उनके मोबाईल फोन पर ही दे डालीं। अब यह सॉफ़्टवेयर बीटा में था, लोगों की इसके प्रति मिली-जुली प्रतिक्रिया थी, लेकिन कुछ तो अपनी विकृत मानसिकता के चलते खामखा इसके पीछे पड़ गए, सॉफ़्टवेयर की गलतियाँ कम गिनाई उसके निर्माताओं की अधिक। 🙄
बहरहाल, मैंने अपना पहला सिम्बियन एस60 फोन(नोकिआ एन 70 म्यूज़िक एडिशन) पिछले दिसम्बर में लिया जिसमें याहू गो पहले से डला हुआ आया था। कुछ क्लिक में वह इंस्टॉल हुआ और मैंने पहली बार जब उसे चलाया तो प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाया। याहू मेसेन्जर तो एकदम बढ़िया चल रहा था और ईमेल भी चका-चक चल रही थी। लेकिन एक-दो बार चलाने के बाद मैं उसको कुछ समय तक दोबारा प्रयोग नहीं कर पाया और अब जब हाल ही में कुछ दिन पहले उसे प्रयोग करने की कोशिश की तो उसे मेरा मोबाईल ऑपरेटर पसंद नहीं आया(पिछली बार मैंने दूसरे फोन से चिप निकाल चलाई थी क्योंकि मेरे रेगुलर नंबर पर जीपीआरएस सेवा उपलब्ध नहीं थी)। तो नए वर्जन को ढूँढने की गरज से मैं पहुँचा याहू गो की वेबसाईट पर तो पता चला कि सीमित संख्या में 2.0 गामा वर्जन(यह भी अभी टैस्ट वर्जन है) उपलब्ध है। अपने मोबाईल पर इसको डाऊनलोड करने के लिए लिंक भिजवाया और बिना किसी दिक्कत के सॉफ़्टवेयर डाऊनलोड हो गया। जावा में बने इस सॉफ़्टवेयर को तुरंत इंस्टॉल कर चालू किया।
चालू होते ही इसने जीपीआरएस का एक्सेस प्वायंट चुनने को कहा और उसके बाद यह पूर्ण रूप से लोड हो गया। पहली नज़र में ही इसके इंटरफेस ने प्रभावित किया, इसमें अलग-२ सेवाओं को चुनने के लिए स्क्रीन पर नीचे एक पट्टी नज़र आती है जिसमें दाएँ-बाएँ स्क्रॉल कर अलग-२ सेवाओं को चुना जा सकता है। अभी याहू गो में सर्च, ईमेल, मौसम, खेल समाचार, वित्त समाचार, नक्शे, समाचार, मनोरंजन की सेवाएँ हैं। साथ ही इसमें प्रसिद्ध फ़्लिकर सेवा को भी जोड़ दिया है। पर जिस सेवा की कमी लोगों को सबसे अधिक खलेगी(मुझे भी) वह है चैट सुविधा, जिसको पाने के लिए मैं समझता हूँ अधिकतर लोग(मैं भी) अन्य नगण्य सेवाओं जैसे वित्त समाचार और खेल समाचार आदि का भी त्याग करने को तैयार हो जाएँगे। 😉 इसकी ईमेल सुविधा साधारण है लेकिन कंप्यूटर से दूर आवश्यक ईमेल पढ़ने और उनका उत्तर आदि देने के लिए बहुत अच्छी है, खासतौर से जब आप यात्रा कर रहे हैं। खेल और अन्य समाचार आपको दीन-दुनिया से बेखबर नहीं होने देंगे चाहे आप कहीं भी हों(यदि आपका मोबाईल नेटवर्क पकड़ रहा है तो)। और तो और, यदि आपने अपने मोबाईल फोन के कैमरे से कोई फोटो खींची है तो उसे भी तुरंत आप अपने फ़्लिकर पर डाल सकते हैं और अपनी पिछली तस्वीरों पर लोगों द्वारा छोड़ी गई टिप्पणियाँ आदि भी देख सकते हैं। चूंकि यह सेवा और सॉफ़्टवेयर अभी टैस्टिंग के दौर से गुजर रहे हैं, मैं समझता हूँ कि आने वाले समय में इनमें और अधिक सुधार आएगा।
लेकिन कुछ लोग कदाचित् सोच रहे होंगे कि गूगल कहाँ गया?? टेन्शन नहीं लेने का, सबसे बड़ा सर्चइन्जन अधिक पीछे नहीं है। अभी हाल ही में गूगल वालों ने भी याहू की तरह अपना पोर्टल बाज़ार में उतार दिया है और थोड़े समय पहले उन्होंने जीमेल के लिए मोबाईल सॉफ़्टवेयर भी निकाला था। बस अपने मोबाईल के ब्राऊज़र में gmail.com/app पते पर जाएँ और यदि आपके मोबाईल को गूगल सपोर्ट करता है तो आपको सॉफ़्टवेयर डाऊनलोड करने दिया जाएगा। सॉफ़्टवेयर इंस्टॉल करने के बाद आप उसके द्वारा अपने जीमेल में लॉग-इन कर सकते हैं और जावा में बने इस सॉफ़्टवेयर में जीमेल की पहचान, एक साफ़ सुथरा और हल्का इंटरफेस लोड हो जाएगा जो आपको आपका इन्बॉक्स तो दिखाता ही है साथ ही आपको लेबल आदि द्वारा अपनी ईमेल छांटने भी देता है। ईमेल लिखने वाली स्क्रीन साज-सज्जा की दृष्टि से न्यूनतम है जो आपको तुरत-फुरत ईमेल लिख भेजने देती है। यह सॉफ़्टवेयर एकदम साधारण है, इसमें कोई अधिक साज-सज्जा नहीं है लेकिन एक लाभ यह है कि यह सुस्त नहीं है और अनावश्यक बाइट्स डाऊनलोड नहीं करता जो कि उन लोगों के लिए बहुत आवश्यक है जो जीपीआरएस के लिए प्रति किलोबाइट पैसे देते हैं। वैसे गूगल के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी रखने वाला यह अनुमान लगा सकता है कि यह सॉफ़्टवेयर भविष्य में अधिक सुविधाओं और फ़ीचर के साथ आएगा और याहू गो जैसा सुईट बन जाएगा, गूगल वाले शुरुआत साधारण करते हैं लेकिन फिर छक्के मारने में पीछे नहीं रहते!! 😉 लेकिन एक दिक्कत जो अपने हिन्दी चिट्ठाकारों को आएगी वह यह कि हिन्दी में लिखी गई ईमेल कदाचित् नहीं पढ़ पाएँगे क्योंकि यह मोबाईल और उस पर डले ऑपरेटिंग सिस्टम पर निर्भर करता है कि वह यूनिकोड दिखाएगा कि नहीं। फिलहाल मेरा सिम्बियन एस60 द्वितीय वर्जन वाला मोबाईल यूनिकोड हिन्दी नहीं दिखाता।
एमएसएन को अभी इस फैलते युद्धक्षेत्र में कदम रखना है। जितना मुझे पता है उसके अनुसार अभी वह विन्डोज़ मोबाइल तक ही सीमित है परन्तु यदि उसे जीतने के लिए खेलना है तो एक से अधिक प्लेटफ़ॉर्म सपोर्ट करने होंगे जिनमें सिम्बियन को नज़रांदाज़ करना उसके लिए हानिकारक होगा। वैसे कुछ भी हो, इस मुकाबले को कोई भी जीते,उपभोगता तो सदैव ही विजेता रहेगा, प्रतियोगिता ज़िन्दाबाद!! 😀
(इस लेख को अंग्रेज़ी में यहाँ पढ़ें)
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