पिछले अंक से आगे …..

सावित्री मंदिर से नीचे आकर हम प्रसिद्ध ब्रह्मा मंदिर की ओर बढ़ चले। वैसे प्रचलित मान्यताओं के अनुसार रचियता ब्रह्मा का संसार में एक ही मंदिर है और वह पुष्कर में है, लेकिन बाद में एन्सी ने खोज करके बताया कि यह सत्य नहीं है, ब्रह्मा के और भी मंदिर हैं। बहरहाल, हम मंदिर हो आए और वहाँ तस्वीरें भी लीं।


( पुष्कर का ब्रह्मा मंदिर )


हर जगह की भांति यहाँ भी हमने पढ़े लिखे गंवारों के अस्तित्व के साक्षात प्रमाण मिले जो हर जगह जाकर ऐतिहासिक धरोहरों और जन संपदा का सत्यानाश करने के पुण्य कार्य में जी और जान से जुटे हुए हैं!! 🙄


( पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर की दीवारों का हुआ सत्यानाश पढ़े-लिखे गंवारों की कलमों द्वारा )


ब्रह्मा मंदिर से बाहर आकर हम पास सामने ही मौजूद बाज़ार की ओर बढ़ गए। अब हम अलग-२ गुटों में बंट गए थे, जिसका सींग जिधर समाया वह उधर ही निकल लिया। योगेश के ऑफ़िस में काम करने वाली एक सहकर्मी भी अपनी माताजी के साथ पुष्कर आई हुई थी, तो योगेश ने बाज़ार में उनसे भेंट कर अच्छे रेस्तरां आदि की जानकारी ली। इधर तीनों लड़कियाँ एक कपड़ों की दुकान पर पहुँच गई और अपने लिए कपड़े देखने लगीं। उस दुकान से आगे बढ़े, हितेश को अपनी माताजी के लिए एक साड़ी लेनी थी, तो एक साड़ियों की दुकान में गए। वहाँ हितेश और शोभना साड़ियाँ देखने लगे, मुझे वहाँ अच्छे प्रिंट वाली चादरें दिखाई दी तो मैं और योगेश चादरें देखने लगे, स्निग्धा और एन्सी बगल वाली एक चूड़ियों की दुकान में व्यस्त थीं। कई चादरें देखने के बाद मुझे एक पसन्द आई, उसे लेने ही वाला था कि योगेश को उसमें डिफ़ेक्ट दिखाई दिया, दुकानदार के पास वैसा दूसरा पीस नहीं था तो मैंने एक दूसरे प्रिंट की चादर पसंद की, जाँच-परख की, मोल-भाव किया और भुगतान कर चादर खरीद ली। तब तक एन्सी और स्निग्धा भी अपनी खरीददारी कर वापस आ चुकीं थी। अब हम सब लोग सनसेट प्वायंट रेस्तरां की ओर चल पड़े(वापस जाकर ड्राईवर को उस रेस्तरां पर पहुँचने को बोल आए थे)।

रात्रि के तकरीबन नौ बज रहे थे, तो अब दुकानें बंद हो रही थीं। आखिरकार हम पूछते-२ रेस्तरां तक पहुँच ही गए। योगेश की सहकर्मी ने बताया था कि यह पुष्कर में खाना खाने के लिए सबसे बढ़िया जगह है। रेस्तरां में हल्की रोशनी थी, तीले की कुर्सियाँ थी और लगभग सभी मेहमान विदेशी पर्यटक थे। बहरहाल, खाना खाने से पहले और बाद कोई खास घटना नहीं घटी, सभी कुछ लगभग शांतिपूर्वक हो गया। जब वापस होटल पहुँचे तो थकान के मारे बुरा हाल था, मैं सोने जा रहा था लेकिन बाकियों ने जाने नहीं दिया, स्निग्धा-एन्सी के कमरे में महफ़िल जमनी थी सो जबरन मुझे वहाँ रोका गया। खैर अब क्या कर सकते थे, ओखल में सिर दिया तो मूसल से क्या डरना!! 😉 बाकी सभी बिस्तर पर लद गए थे, अब जगह शेष नहीं थी तो अपन पास ही पड़ी एक कुर्सी पर पसर गए और गप्पों और बातों का दौर चालू हो गया। बातें कब तक चली यह पता नहीं लेकिन बहुत देर हो गई थी, अब सभी सोना चाहते थे, तो इसलिए अपन अपने कमरे में आ बिस्तर पर लंबे हो गए।

अगली सुबह मोबाईल में अलार्म बजने पर नींद खुली। रविवार की सुबह बहुत सुहावनी थी, जबरदस्त थी!! आराम से उठे और तैयार हुए, कोई जल्दी नहीं, कोई भागम-भाग नहीं। नाश्ते और दोपहर के भोजन का सम्मिलित रूप यानि कि ब्रंच लिया गया, होटल से चेकऑऊट कर सामान गाड़ी में लादा और हम लोग निकल पड़े पैदल ही बाज़ार में, ड्राईवर को ताकीद कर दिया कि वह ब्रह्मा मंदिर पर पहुँच हम लोगों की प्रतीक्षा करे। लड़कियों का शॉपिंग का बुखार अभी उतरा नहीं था, तो हम बेचारे भी उनका साथ देने उनके साथ-२ चले जा रहे थे, अब आखिर वे हम लोगों को थोड़ा-बहुत झेलती हैं तो हमारा भी फ़र्ज़ बनता है कि उनको काफ़ी-कुछ झेलें। 😉 लेकिन बीच में कहीं पुनः गुट अलग हो गए, मैं और योगेश साथ-२ आगे बढ़े जा रहे थे। कई जगह पूछने के बाद आखिरकार प्रसिद्ध राधे हलवाई की दुकान पर पहुँचे और वहाँ से स्वादिष्ट मालपुए लिए। थोड़ा आगे जाकर प्रसिद्ध नटराज गुलकंद की दुकान भी मिल गई, तो मैंने और योगेश ने गुलकंद भी लिया। थोड़ा आगे जाकर बाकी के लोग भी मिल गए। जगह-२ चित्रकारी की हुई टीशर्ट दिखाई दे रही थीं जो देखने में काफी सुंदर लग रही थी।


( हस्तकला का नमूना, हाथ से चित्रित टीशर्ट )


मुझे एक बहुत सही से चित्र वाली एक टीशर्ट पसंद आई लेकिन वह केवल छोटे साईज़ में उपलब्ध थी, वही चित्र बड़े साईज़ की टीशर्ट में भी था लेकिन दूसरे रंग में जिसमें मुझे वह जंचा नहीं। तो आखिरकार कई चित्रों को देखने के बाद मुझे एक ऐल्फ़ के चित्र वाली टीशर्ट पसंद आई जो मैंने खरीद ली।


( ऐल्फ़ के चित्र वाली टीशर्ट )


काफी देर बाद आखिरकार सभी की खरीददारी समाप्त हुई तो हम सभी गाड़ी में लद लिए और वापसी की राह पकड़ी।


( हम लोग )


यह यात्रा अभी तक की मेरी यात्राओं में सबसे अधिक थकान भरी थी, क्योंकि देखने के लिए बहुत कुछ था जो कि हमने बहुत कम समय में देखा।