15 फ़रवरी को दिल्ली से निकले और 16 फ़रवरी को खजुराहो पहुँच गए। इस बार यात्रा पर निकले सिर्फ़ मैं और योगेश, दिल्ली से झांसी और झांसी से वापस दिल्ली, बस ये दो ट्रेन की टिकटें पहले से आरक्षित करवाई थीं, इसके अतिरिक्त कहीं कोई बुकिंग नहीं, हम दोनों अपने-२ बैग उठाए चल दिए थे 3 दिन वाले सप्ताहांत की यात्रा पर, कार्यक्रम था खजुराहो और फिर ओरछा घूमने का।

यात्रा का विवरण लिखना हो नहीं पा रहा है, इसलिए प्रस्तुत हैं कुछ तस्वीरें।



( लक्षमण मंदिर )



( कन्द्रिया महादेव )




( मंगतेश्वर महादेव – खजुराहो के प्राचीन हिन्दु मंदिरों में से केवल यह अभी भी कार्यरत है जहाँ भक्तजन पूजा करते हैं। यहाँ पुजारी आपकी पूजा नहीं करवाते, भक्त स्वयं प्रसाद चढ़ा पूजा करते हैं। 16 फ़रवरी को शिवरात्रि थी जब हम लोग यहाँ गए थे। )



( विश्वनाथ मंदिर – खजुराहो के सबसे सुन्दर मंदिरों में से एक )



( विश्वनाथ मंदिर की बाहरी दीवारों पर काम कला का चित्रण )



( कन्द्रिया महादेव और जगदम्बी मंदिर )



( चित्रगुप्त मंदिर का द्वार – यह सूर्य का मंदिर है जिसमें सूर्य को अपने सात अश्वों वाले रथ पर दिखाया गया है )



( जगदम्बी मंदिर के बाहर एक सिंह की प्रतिमा )



( जगदम्बी मंदिर की बाहरी दीवारों पर काम कला का चित्रण )



( योगेश और पृष्ठभूमि में जगदम्बी मंदिर )



( कन्द्रिया महादेव )


अगले भाग में जारी …..