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डिजिट ब्लॉग अब हिन्दी में

On 27, Sep 2008 | 5 Comments | In Blogging, ब्लॉगिंग | By amit

काफ़ी समय से यह विचार मन में था कि डिजिट ब्लॉग को पुनः चालू तो किया ही जाए, साथ ही उसका हिन्दी संस्करण भी निकाला जाए जिसमें न केवल अंग्रेज़ी संस्करण के लेखों के अनुवाद होंगे वरन्‌ हिन्दी में मौलिक लेख भी होंगे।

अंततः काफ़ी विचार और मान-मनौव्वल के बाद पेश है डिजिट ब्लॉग (diGit Blog) का हिन्दी संस्करण। :tup:

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दूसरों के ईमेल - इनकी बपौती

अक्सर होता है कि मित्र और परिचित लोग ऐसे ईमेल भेजते हैं जो उन्होंने एकसाथ कई लोगों को भेजे होते हैं। एक मित्र सर्कल में तो ईमेल सामने रहें (यानि कि सब प्राप्तकर्ताओं को अन्य लोगों के ईमेल दिखाई दें) तो चल जाता है, क्योंकि वहाँ तो प्रायः सभी एक दूसरे से परिचित होते हैं और एक दूसरे के ईमेल उनके पास होते ही हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि जो ईमेल आया वह पचास अन्य लोगों को भी गया है और भेजने वाले के अतिरिक्त प्राप्तकर्ता कदाचित्‌ ही किसी को जानता हो। ऐसे में श्रेयस्कर यही होता है कि भेजने वाला सभी को ब्लाइंड कार्बन कॉपी (BCC) भेजे ताकि किसी भी व्यक्ति को अन्य प्राप्तकर्ता का ईमेल न पता चले।

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एक वर्ष.....

 

संसार रूपी कटु-वृक्ष के केवल दो फल ही अमृत समान हैं;
पहला, सुभाषितों का रसास्वाद और दूसरा, अच्छे लोगों की संगति।

— चाणक्य

एक वर्ष में कितना कुछ बदल जाता है, व्यक्ति पहले से अधिक समझदार(अथवा मूर्ख) हो जाता है, पहले से अधिक अनुभवी हो जाता है, आस पास के लोग बदल जाते हैं, स्वयं व्यक्ति पहले सा नहीं रहता। एक पड़ाव पार हुआ और अगले पड़ाव की यात्रा आरंभ हुई। :tup:

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माइक्रोब्लॉगिंग का फंडा फॉर डमीज़.....

माइक्रोब्लॉगिंग? लो अब आप सोचने लग गए होंगे कि यह क्या नया शगूफ़ा आ गया!! अभी तो ब्लॉगिंग, और वह भी यूनिकोडित हिन्दी ब्लॉगिंग और उसके बाद हिन्दी मोब्लॉगिंग (Moblogging), के सदमे से ही न उबरे थे, अब यह नई आफ़त कहाँ से आ गई!!

तो आईये पहले ज़रा फटाफट जानते हैं कि यह माइक्रोब्लॉगिंग (Micro Blogging) आखिर है क्या। विकिपीडिया के अनुसार:

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On 21, Sep 2008 | 3 Comments | In कतरन | By amit

हिन्दी में एक पोस्ट ट्विट्टर के मोबाइल संस्करण से जो कि देखने में बहुत बेकार है!!

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नाम के दीवाने और फैशन के मारे.....

यह आज की बात नहीं है, सालों से ऐसा होता आया है कि सिर्फ़ फैशनेबल लगने के लिए लोग किसी चीज़ का अनुसरण करने लग जाते हैं चाहे वह चीज़ उनकी समझ के दायरे से कोसों दूर हो। लेकिन अभी पिछले कुछ वर्षों में महानगरों में यह चलन कुछ खासा बढ़ते देखा है। जैसे-२ कॉस्मोपॉलिटन (Cosmopolitan) टाइप के समाज का दायरा बढ़ता जा रहा है, जैसे-२ अधिक व्यय करने के सामर्थ्य वाले मध्यम वर्ग का विकास होता जा रहा है वैसे-२ इन भेड़ चाल चलने वालों की तादाद बढ़ती जा रही है। जहाँ पहले एकाध ही कोई नज़र आता था वहीं आजकल ये लोग हर गली नुक्कड़ पर चरने निकले भेड़-बकरियों के झुंड की भांति जुगाली करते मिल जाते हैं।

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ऐसे चलाएँ विन्डोज़ मोबाइल पर हिन्दी.....

इधर मेरे मित्र अभिषेक ने मुझे अपने मोबाइल पर हिन्दी दिखाई, उधर अपनी उत्सुक्ता बढ़ गई कि क्या उपाय किया, क्या जुगाड़ लगाया जो ऐसा महान कार्य हुआ और विन्डोज़ मोबाइल पर हिन्दी चली!! बहुत कहने पर आखिरकार अभिषेक ने वह राज़ बता ही दिया कि कैसे यह काम किया और साथ ही अपने ब्लॉग पर भी पोस्ट ठेल दी। उपाय पता लगते ही मैंने भी तुरंत सॉफ़्टवेयर डाऊनलोड कर अपने विन्डोज़ मोबाइल वाले फोन पर इंस्टॉल किया और जब सॉफ़्ट रीसेट (soft reset) होकर फोन दोबारा चालू हुआ तो उस पर हिन्दी दिख रही थी, न केवल दिख रही थी बल्कि लिखी भी जा रही थी। ऐसी बढ़िया हिन्दी लिखी जा रही थी कि मैंने एक पोस्ट मोबाइल पर लिखकर ब्लॉग पर ठेल दी। 😉

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ये तो कमाल हो गया जी, मोबाइल पर हिन्दी चल रही है एकदम मस्त तरीके से और मैं यह ब्लाग पोस्ट अपने विन्डोज मोबाइल से लिख रहा हूँ। :tup:

इसका मतलब यह है कि अब हिन्दी की ब्लाग पोस्ट भी विन्डोज मोबाइल से लिखी जा सकेगी। नोकिआ के तीसरे संस्करण वाले सिम्बिअन मोबाइल में हिन्दी चलती थी लेकिन उसमे हिन्दी लिखने के लिए मोबाइल की भाषा बदलनी पडती थी। साथ ही एक समस्या यह थी कि कुंजीपटल का भान नहीं था और अंदाजे से काम करना पडता था। यहाँ इस विन्डोज मोबाइल पर कुँजीपटल स्क्रीन पर ही दिख जाता है इसलिए अधिक दिक्कत नहीं होती। 🙂

एक समस्या जो इस साफ्टवेयर में दिख रही है वह यह है कि इसमें नुक्ता लगाने का कोई साधन नहीं है। 🙁

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संगीत जो दे मन को शांति.....

एकाध सप्ताह पहले गुड़गाँव में लैन्डमार्क स्टोर में एक उपन्यास देख रहा था पढ़ने के लिए। उससे एकाध दिन पहले ही एक उपन्यास, रिवर गॉड (River God), पढ़ के समाप्त किया था और उसका अगला भाग, द सेवन्थ स्क्रॉल (The Seventh Scroll), खोज रहा था। परन्तु वह लैन्डमार्क वालों के पास था नहीं तो फिलहाल काम चलाने के लिए मैंने एक अन्य उपन्यास ले लिया।

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विन्डोज़ मोबाइल पर हिन्दी.....

पिछले सप्ताह मेरे मित्र अभिषेक ने अपने विन्डोज़ मोबाइल पर हिन्दी दिखाई, रोमन अक्षरों में नहीं वरन्‌ देवनागरी लिपि में एकदम मस्त चलती हुई। हिन्दी दिख ही नहीं रही थी वरन्‌ इंस्क्रिप्ट (Inscript) टंकण पद्धति का कीबोर्ड भी था जिससे हिन्दी लिखी भी जा सकती थी। पूछने पर अभिषेक ने बताया कि अभी ट्रांसलिटरेशन की व्यवस्था नहीं है यानि कि फोनेटिक कीबोर्ड नहीं चलेगा, इसलिए टंकण करने के लिए फिलहाल इंस्क्रिप्ट सीखनी ही होगी! 🙁 मैंने कहा कि देखो अगर हो सके तो ट्रांसलिटरेशन का भी जुगाड़ कराओ, क्या झक मारने के लिए माइक्रोसॉफ़्ट में बड़े साहब हो। तो यह तो भविष्य के गर्भ में है कि ट्रांसलिटरेशन आता है कि नहीं परन्तु अभी तो देवनागरी लिपि का जुगाड़ आ गया वही बड़ी बात है।

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