ट्रेन चली जा रही है, कोच में घुप्प अंधेरा है, सब सो रहे हैं। मुझे नींद नहीं आ रही इसलिए शर्मा जी के संगीत का आनंद लिया जा रहा है।
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उठ जाग मुसाफ़िर भोर भई अब रैन कहां जो सोवत है!
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सो पाये?!
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अनूप जी, सोए ही कहाँ जो जागें! 😉
ज्ञान जी, सो नहीं पाए, स्टेशन आने की टेन्शन और एसी की ठंडक बर्थ पर न पड़ने के कारण नींद नहीं ले पाए।
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