पिछले कई दिनों से यूपीए सरकार द्वारा टीवी पर ठेले जा रहे फालतू के विज्ञापनों ने टीवी देखना दुश्वार कर रखा था। जैसे ही यह फालतू विज्ञापन शुरु होता, मैच का सारा मज़ा किरकिरा हो जाता, खीज इतनी उठती कि मन करता कि कमबख्त टेलीविज़न को फोड़ डालूँ!! 😡 लेकिन फिर ऊपरी माले में समझ का प्रकाश फैलता कि काहे अपना खुद का नुकसान किया जाए, इस नाकारा अयोग्य सरकार को तो कोई फर्क पड़ेगा नहीं लेकिन नया टेलीविज़न लाने से मेरी जेब खामखा हल्की हो जाएगी!! 🙁
मुझे यह समझ नहीं आता कि सरकार किसको बेवकूफ़ बना रही है? चुनावों का मौसम आने पर सरकार को भारत निर्माण की अक्ल आ रही है, महँगाई दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, इंफ्लेशन का दर 8% तक पहुँच गया है, सूखी रोटी भी पकवान के दर्जे की हो रही है और ये लोग गाना गा रहे हैं कि भारत निर्माण – चलें एक नई आज़ादी की ओर!! 😡 क्या ये समझते हैं कि लोग इतने बेवकूफ़ हैं कि जो हो रहा है उसको वे भूल जाएँगे यह बेकार सा विज्ञापन देख कर? आठ साल बाद सत्ता में आई काँग्रेसी सरकार ने अपनी प्यास तो बुझा ली और लोगों की दुश्वारी बढ़ा दी। और ऊपर से प्रधानमंत्री जी सलाह दे रहे हैं कि लोगों को सरकार से हर हफ़्ते किसी करिश्मे की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए, चीज़ों में वक्त लगता है धीरे-२ सब नॉर्मल हो जाएगा। अब माननीय मंत्रीवर से कोई पूछे कि सोनिया मादाम ने एक साल को एक हफ़्ते के माफ़िक समझने के लिए कहा है क्या? आपका कार्यकाल समाप्त होने को आया और आपने कितने झंडे गाड़े हैं अभी तक? क्या यह रोज़ाना बढ़ती महँगाई पिछले काफ़ी समय से दबा के रखी गई भाप नहीं है जो कि अब अत्यधिक दबाव बन जाने के कारण एकदम से निकली है? और क्या सरकार फिर उसी कार्य में नहीं लगी हुई तेल कंपनियों के मामले में? चुनाव तक ये लोग भाव रोक के रखेंगे ताकि इनकी वोट संख्या पाताल का रुख न कर जाए और फिर एकदम से भाव ऐसे बढ़ेंगे जैसे छोटा सा गुब्बारा फूल के एकदम बड़ा हो जाता है!! हर चीज़ पर टैक्स इतना लगाया जाता है कि उसका भाव दोगुणा हो जाता है और फिर सब्सिडी आदि की नौटंकी की जाती है। 🙄 काहे नहीं टैक्स ही कम कर देते कि सब्सिडी देने की ज़रूरत ही न पड़े??
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