एक नया सर्च इंजन मैदान में आया है, बोला जाता है कूल (Cool) और लिखा जाता है Cuil जो कि आईरिश (Irish) से लिया गया शब्द है। यह नया सर्च इंजन दुनिया में सबसे बड़ा सर्च इंडेक्स होने का दावा करता है और यह भी दावा करता है कि इसका डाटाबेस गूगल से लगभग तीन गुणा बड़ा है। इस नए शगूफ़े के पीछे हैं एन्ना पैटरसन (Anna Patterson) जो कि प्रसिद्ध अमेरिकी विश्वविद्यालय स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी (Stanford University) में रिसर्च साइंटिस्ट हुआ करती थीं जब इन्होंने एक ऐसी तकनीक बनाई जिससे कम समय में अधिक वेब पेज क्रॉल (Crawl) किए जा सकते थे और उनकी रैंकिंग की जा सकती थी, और जिस तकनीक को बाद में गूगल ने अपने सर्च इंजन के लिए इनसे खरीद लिया और इनको अपने यहाँ मुलाज़मत दी जहाँ इन्होंने दो वर्ष आर्कीटेक्चर (architecture) और रैंकिंग पर काम किया।

अब ये मोहतरमा अपने पति और कुछ पुराने गूगल मुलाज़िमों के साथ मिलकर एक नई तकनीक की बदौलत यह नया सर्च इंजन लाई हैं जो कि कम कंप्यूटरों प्रयोग करने पर भी ऐसा कमाल दिखाएगा कि गूगल से अधिक दूर तक पहुँच सकेगा, कम से कम कंपनी का तो यही दावा है। और इस बार यह तकनीक बिकाऊ नहीं है(क्या यह हम हर दूसरे से नहीं सुनते?)!!

बहरहाल अपने को इस बात से कोई लेना देना नहीं है कि इनका माल बिकाऊ है कि नहीं है, पर इनका माल बहुत ही घटिया है और किसी को इन पर पहचान हरने और गुमराह करने के लिए मुकदमा ठोकना चाहिए। क्यों? वो हुआ यूँ कि अभी कुछ दिन पहले इसके बारे में जाना, जाकर देखा और सबसे पहले अपने नाम को सर्च किया, जैसा कि अपेक्षित था शुरुआती नतीजों में अपना नाम और ब्लॉग दिख गया परन्तु उसके साथ किसी अजनबी की तस्वीर देख बहुत आश्चर्य हुआ। 🙁

लेकिन अभी आश्चर्य थमा नहीं था, कुछ नीचे सूचि में था मेरा ग्लोबल वॉयसिस की प्रोफाईल का पन्ना और उसके साथ किसी अन्य साहब की तस्वीर लगी हुई थी। मन में आया कि यह क्या बकवास है, ऐसा भी कहीं होता है क्या। तस्वीर दिखा रहे हैं तो दिखाएँ लेकिन मेरी पहचान की वाट काहे लगा रहे हैं, मैं कोई बहुरूपिया थोड़े ही हूँ कि मेरे कई चेहरे होंगे!! 😡

और देखा तो दूसरे नंबर पर एक और अमित गुप्ता की लिंक्डइन प्रोफाइल वाला पन्ने था और उसके साथ किसी अन्य साहब की तस्वीर जो कि गलत थी। क्यों गलत थी? क्योंकि इन अमित गुप्ता को मैं जानता हूँ, अभी हाल ही में जब ये दिल्ली आए थे तो मिलना भी हुआ था, तो यह तस्वीर तो उनकी बिलकुल भी नहीं है!!

मामला यहाँ तक नहीं था, कल पुनः जाँचा तो इस बार तस्वीरें अगल-बगल हो गई थी, जो तस्वीर पहले कहीं और थी वो अब अपने पन्ने के लिंक के साथ लग गई थी और जो अपने पन्ने के साथ थी वो कहीं और लग गई थी। 😡


( बड़ा देखने के लिए चित्र को क्लिक करें )


ऐसी फालतू की हरकत कहीं से भी इनका प्रोफेश्नलिस्म (professionalism) नहीं दिखाती। :tdown: सर्च नतीजे इनके हूबहू गूगल जैसे ही दिखते हैं, और जैसा कि रवि जी बता चुके हैं हिन्दी इस पर किसी काम की नहीं, अन्य भाषाओं के होने की भी कोई गारंटी नहीं, जब अंग्रेज़ी का ही मामला ठीक नहीं है तो किसी और भाषा की अपेक्षा करना ही बेकार है। अब यह गूगल किलर कहाँ से है मुझे यह नहीं समझ आता और जो ऐसी बातें करते हैं वे नासमझ ही प्रतीत होते हैं।

पहचान गड़बड़ाने की वाहियात हरकत करके यह कूल तो कहीं से ना दिखे है। और जब खोजने और रैंकिंग का मामला ही गड़बड़ है तो इनके 120 अरब पन्नों के डाटाबेस को कोई सिर में मारेगा क्या? 🙄 अभी कहीं पढ़ा था कि गूगल 1000 अरब पन्नों को जाँचता है लेकिन उसमें से सिर्फ़ 40 अरब पन्नों को ही गुणवत्ता के आधार पर रखता है। लोग इस सर्च इंजन के बड़े डाटाबेस का क्या करेंगे, किसी भी सर्च के सौंवे पृष्ठ के आगे कदाचित्‌ ही कोई जाता होगा। और जब रैंकिंग सिस्टम ही गड़बड़ाया हुआ है तो फिर डाटाबेस चाहे तीन गुणा हो या सौ गुणा, क्या फर्क पड़ता है, नतीजे तो झोला छाप ही मिलेंगे ना? 🙄

अब जो लोग यह कहने की सोच रहे हैं “ज़रा टैम तो दो इनको भई, अभी नए-२ हैं सुधार कर लेंगे” तो उनके लिए उत्तर यह है कि बकौल खुद इसी कंपनी के, इनका सर्च इंजन पिछले दो साल से बन रहा है, यानि कि अब तक ऐसे लोचे सुधारने का इनके पास वक्त रहा है। और यह कोई छोटा मुद्दा नहीं है, यह इनको भी पता होगा कि सर्च इंजन बना रहे हैं तो रैंकिंग का मसला निपटाना सबसे अहम है चाहे डाटाबेस थोड़ा छोटा हो ले!! यदि इनको यह नहीं पता था तो इनकी दुकान चार दिन में बढ़ जाएगी। और यदि इनको यह पता था और फिर भी यह नहीं सुधार पाए हैं, जैसा कि दिख रहा है, तो कोई क्यों इनके माल को प्रयोग करेगा! :tdown: