आज की तारीख में मोबाइल गेमिंग बहुत बड़ी इंडस्ट्री है, करोड़ों रूपयों की इंडस्ट्री है। आज कोई नया मोबाइल फोन लिया जाता है तो पहले यह देखा जाता है कि उसमें फलानी वीडियो गेम चलेगी कि नहीं और कौन-२ सी वीडियो गेम्स उपलब्ध हैं। पोर्टेबल हैण्ड हैल्ड गेमिंग कनसोल जैसे कि निनटेन्डो डीएस (Nintendo DS) अथवा सोनी प्लेस्टेशन पोर्टेबल (Sony PSP) आदि के दिन लद गए। अब कन्वरजेन्स का ज़माना है, मोबाइल फोन ही इतने सक्षम हो गए हैं कि बढ़िया क्वालिटी की वीडियो गेम बिना पसीना बहाए चला सकें। फिर साथ ही सुविधाजनक भी हो जाता है, पतले हल्के मोबाइल फोन हैण्ड हैल्ड गेमिंग कनसोल की भांति भारी और बेडौल नहीं होते और आपको एक अन्य डिवाइस साथ लेकर नहीं घूमना पड़ता, मोबाइल फोन ही काफ़ी है। यानि कि म्यूज़िक प्लेयर और पोर्टेबल वीडियो प्लेयर तो पहले बना ही लिया अब गेमिंग के लिए भी हो गया; वन डिवाइस टु रूल देम ऑल!! 😀

हालांकि मोबाइल डिवाइसिस पर वीडियो गेम्स की गुणवत्ता बढ़ी है लेकिन यदि आपको गेमिंग कनसोल (जैसे कि एक्सबॉक्स, प्लेस्टेशन, वी) या (विण्डोज़) कंप्यूटर पर मिलने वाली गुणवत्ता अच्छी लगती है तो कदाचित्‌ मोबाइल डिवाइस पर चलने वाली वही वीडियो गेम न भाए, क्योंकि बड़े कंप्यूटर और मोबाइल डिवाइस के हार्डवेयर में और साथ ही वीडियो गेम में भी अंतर है।


नीड फॉर स्पीड – हॉट परसूट (Need for Speed – Hot Pursuit) विण्डोज़ ७ पर



नीड फॉर स्पीड – हॉट परसूट (Need for Speed – Hot Pursuit) एण्ड्रॉयड पर


ऊपर मौजूद स्क्रीनशॉट्स में पहले वाला मैंने अपने विण्डोज़ ७ वाले लैपटॉप पर लिया और दूसरे वाला अपने एण्ड्रॉयड फोन पर। देखने से साफ़ पता चलता है कि इस एक ही गेम के दोनो संस्करणों की ग्राफ़िक रेण्डरिंग में काफ़ी अंतर है। कंप्यूटर वाले संस्करण पर ग्राफ़िक्स अच्छे हैं जबकि मोबाइल वाले संस्करण पर इतने खास नहीं हैं। मोबाइल पर इसके हल्के होने के और भी कारण हैं जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक ऑर्ट्स (नीड फॉर स्पीड गेम्स की निर्माता) ने मोबाइल संस्करण के ग्राफ़िक्स हल्के रखे हैं ताकि थोड़े हल्के हार्डवेयर वाले फोन पर भी यह वीडियो गेम चल जाए। इसको खास उच्च हार्डवेयर वाले मोबाइल डिवाइसिस के लिए नहीं बनाया गया इसलिए यह मेरे गैलेक्सी एस२ पर चलने के बावजूद उसके हार्डवेयर का पूर्ण लाभ उठाने में अक्षम है।

मेरा मानना है कि इस तरह की वीडियो गेम्स बनाने वाली कंपनियों को एप्पल का आईओएस प्लैटफॉर्म इसलिए भाता है क्योंकि नवीन संस्करण में एक ही फोन होता है, ऑपरेटिंग सिस्टम का नवीन संस्करण दो-तीन डिवाइसिस पर ही चलता है इसलिए उसको मैनेज करना आसान हो जाता है। वहीं एण्ड्रॉयड जैसा प्लैटफॉर्म बिखरा हुआ है, किसी भी हार्डवेयर जुगलबंदी के ऊपर डाल के बाज़ार में निकाला जा सकता है और सबको या अधिकतर को साथ लेकर चलना एक सिरदर्दी बन जाती है!! इसका ऊपाय एक ही है, इस तरह की हाई-फाई वीडियो गेम बनाने वाली कंपनियों को उच्च हार्डवेयर क्षमता वाली डिवाइसिस पर ही निशाना साधना चाहिए। कुछ वीडियो गेम ऐसी हैं जो कि सिर्फ़ उन्हीं एण्ड्रॉयड डिवाइसिस पर चलती हैं जिनमें एनविडिया का टेग्रा २ प्रॉसेसर (nVidia Tegra2) लगा हुआ है क्योंकि वे उसकी क्षमताओं के अनुसार बनी हैं और इसलिए ग्राफ़िक आदि की रेण्डरिंग उसके अनुरूप होगी।


एसफॉल्ट6 – अड्रेनलिन (Asphalt 6 – Adrenaline) एण्ड्रॉयड पर


एसफॉल्ट6 को मैंने अपने फोन से हल्के हार्डवेयर वाले फोन पर भी खेल के देखा है, उस पर भी अच्छी चलती है लेकिन ग्राफ़िक्स की वह क्वालिटी नहीं है और फ़िज़िक्स इंजन में वह दमखम नहीं दिखता। साफ़ पता चलता है कि गेमलॉफ्ट ने गेम ऐसे बनाई है कि उपलब्ध हार्डवेयर का यथोचित प्रयोग करे।

सोचने वाली बात है, सोच के मन खराब होना स्वभाविक है कि 376 रूपए खर्चने के बाद भी घस्सी से एक्सपीरियंस वाली वीडियो गेम मिली सिर्फ़ इसलिए क्योंकि निर्माता चाहता है कि हल्के हार्डवेयर के फोन वाला बंदा भी उस गेम को चला सके!! 🙁 अब इसी के मुकाबले यदि गेमलॉफ्ट कृत एसफॉल्ट6 – अड्रेनलिन (Asphalt 6 – Adrenaline) को देखें तो इसके ग्राफ़िक हालांकि इतने हाई-फाई नहीं हैं परन्तु यह उच्च हार्डवेयर का उचित प्रयोग करती है और यह गेम खेलते हुए साफ़ नज़र आता है। बस देखने वाली बात यह है कि गेम स्टूडियोज़ को यह समझ कब आएगी कि वन साइज़ डज़ नॉट फिट ऑल, यदि हाई-फाई गेम बनाई जा रही है तो हल्के हार्डवेयर को टार्गेट मत करो और यदि कर रहे हो तो उच्च स्तरीय हार्डवेयर के लिए अलग वर्ज़न बनाओ जो उसकी क्षमताओं के अनुसार हो, 300-400 रूपए देने के बाद कोई भी उच्च स्तरीय हार्डवेयर पर घस्सी गेम खेलना नहीं पसंद करेगा वरना उच्च स्तरीय हार्डवेयर लेने का लाभ ही क्या!!