परसों उरी – द सर्जिकल स्ट्राइक (Uri: The Surgical Strike) देखी; बॉलीवुड से ढंग की वॉर फिल्म नहीं बनती लेकिन इस फिल्म ने फिर एक उम्मीद बंधा दी है कि शायद बॉलीवुड सुधर रहा है। फिल्म की पटकथा और निर्देशन कसा हुआ है और अभिनय भी ठीक-ठाक है। विक्की कौशल ने काम अच्छा किया है, यामी गौतम मुझे अभी भी कोई ख़ास नहीं लगी हालाँकि उनके चाहने वालों की अलग बिरादरी है। अब चाहने वालों की तादाद यदि निर्णय लेती कि कौन बढ़िया अभिनेता/अभिनेत्री है तो ऐश्वर्या राय एक महान अभिनेत्री के रूप में जानी जाती।
बहरहाल, इस फिल्म ने एक आशा बाँधी है कि बॉलीवुड भी अच्छी वॉर फिल्म बना सकता है। परन्तु बॉलीवुड से यह दिखलाए बिना नहीं रहा जाता कि वह बॉलीवुड है और ऐसा ही दो जगह इस फिल्म में देखने को मिलता है। यदि यह फिल्म नहीं देखी है और स्पॉइलर (spoiler) नहीं पसंद तो आगे न पढ़ें।
पहला वाकया – आतंकवादियों पर जासूसी और हमले के लिए अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए एक जासूस ड्रोन (drone) आतंकवादियों के इलाके में भेजा जाता है और एक मकान में अंदर झाँकने के लिए उसे खिड़की से बिलकुल ऐसे सटा दिया जाता है कि यदि खिड़की खुले तो ड्रोन से टकराए (और ऐसा ही होता है)। ज़ूम वाले कैमरे बहुत पहले ईजाद हो चुके हैं, तो पटकथा लिखने वाले को यह क्यों नहीं समझ आया कि ड्रोन खिड़की से थोड़ी दूरी बना के भी अंदर झांक सकता था?
दूसरा वाकया – फिल्म के अंतिम भाग में हमारा हीरो (विक्की कौशल) आतंकवादियों के सरगना से दो-२ हाथ करता है और विलन हीरो को हेडलॉक (headlock) में जकड़ लेता है। इस फिल्म में हीरो का किरदार भारतीय सेना के पैरा कमांडो दल के अफसर का दिखाया है – पैरा कमांडो दल में भर्ती जवान लड़ने के मामले में दुनिया की बेहतरीन तालीम पाते हैं और भारतीय सेना का पैरा कमांडो दल दुनिया की सबसे अधिक प्रशिक्षित और घातक टुकड़ियों में से एक है। असली जीवन में पैरा कमांडो दल के जवान ने ऐसे आतंकवादी की गर्दन बिना ख़ास मेहनत के मरोड़ के आगे बढ़ जाना था। लेकिन बॉलीवुड क्योंकि मेलोड्रामा (melodrama) करने से बाज़ नहीं आता इसलिए एक दो-टके के आतंकवादी को एक अनुभवी और घातक पैरा कमांडो दल के अफसर को हेडलॉक में लिए दिखा दिया कि कैसे अपना हीरो मशक्कत से उस आतंकवादी की गिरफ्त से बाहर निकलता है।
बहरहाल फिल्म अच्छी है और मैं इसे 5 में से 3.5 अंक दूँगा।
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