कॉमिक्स की एक अपनी अलग ही दुनिया है और इससे लोग अलग-२ मुकाम पर जुड़ते और बिछुड़ते रहते हैं। कुछ लोग बचपन में शुरुआत करते हैं, कुछ लोग अल्प-वयस्क वर्षों में तो कुछ लोग बाद में भी शुरू करते हैं। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो बीच में आते-जाते रहते हैं। हर किसी का अपना एक तरीका होता है, मैं यहाँ अपने विचारानुसार इस विषय पर थोड़ा प्रकाश डालूँगा।
देशी या विदेशी?
सबसे पहले विचारणीय बात यह है कि आप कौन सी कॉमिक्स पढ़ने में रूचि रखते हैं। भारतीय कॉमिक्स एक अलग ढर्रे पर चलती हैं और विदेशी कॉमिक्स जैसे कि मार्वल, डीसी, डार्क हॉर्स आदि एक अलग ढर्रे पर चलती हैं। आपको किस कॉमिक्स ने, किस किरदार ने, किस कहानी ने अपनी ओर आकर्षित किया है यह एक अहम् मुद्दा है।
भारतीय कॉमिक्स
भारतीय कॉमिक्स बाज़ार कह सकते हैं कि कई दशक पुराना है लेकिन अभी भी शैशव अवस्था में है, परिपक्व नहीं हुआ है। यहाँ पर हर तरह की कॉमिक्स मिल जाएँगी लेकिन वे किसी एक मान्य-स्तर पर नहीं होती और वह किस प्रकार चल रही हैं यह सिर्फ़ प्रकाशक पर निर्भर करता है। तो जहाँ एकल कहानी (वन शॉट) वाली कॉमिक्स मिल जाएँगी, वहीं पर श्रृंखला के रूप में चलने वाली भी बहुतया मिल जाएँगी।
यदि अमर चित्रकथा का उदहारण लें तो उनकी कॉमिक्स वन शॉट ही होती हैं – वे सब या तो किसी पौराणिक कथा पर आधारित होती हैं या फिर किसी ऐतिहासिक किरदार अथवा घटना पर। इनमे कुछेक कहानियाँ एक कॉमिक्स में समा जाने जितनी छोटी नहीं होती तो वह एक से अधिक अध्याय वाले कलेक्शन में मिलेंगी जैसे कि सम्पूर्ण महाभारत, सम्पूर्ण रामायण आदि।
इसी तरह यदि राज कॉमिक्स को देखें (विभाजन से पूर्व और विभाजन के बाद) तो उसमे कई किरदार और उन पर लिखी गई काफ़ी सारी कॉमिक्स हैं। कई कॉमिक्स वन शॉट हैं जिनका पिछली और अगली कहानी से कोई लेना देना नहीं है और कई बार उसी किरदार की कोई-२ कहानी एक श्रृंखला के रूप में भी प्रकाशित हुई है क्योंकि कहानी एक कॉमिक्स में समा जाने जितनी छोटी नहीं होती। कई बार ऐसा भी हुआ है कि किसी किरदार की कहानियाँ एक ही कहानीकार लिख रहा है तो पिछली कॉमिक्सों का लिंक भी रखने की कोशिश की गई है। कई बार एक ही लेखक ने लगातार किसी किरदार की कहानियाँ लिखी हैं तो उस किरदार का एक पूरा यूनिवर्स बना कर हर कॉमिक्स द्वारा एक निरंतरता बनाने का प्रयत्न किया गया है। पिछले दस वर्षों में राज कॉमिक्स में संयुक्त संस्करण का भी चलन शुरू हुआ जिसके अंतर्गत एक ही श्रृंखला की कॉमिक्सों को एक ही पुस्तक में समाहित कर निकाला गया ताकि यदि कोई उस श्रृंखला को पूर्ण रूप में पढ़ना चाहता हो तो उसे उस श्रृंखला के अलग-२ कॉमिक्स एकत्र करने का झंझट न हो।
डायमंड कॉमिक्स में उनके सभी किरदारों की अधिकतर वन शॉट कॉमिक्स ही आती थी जिनको समय-२ पर संग्रह करके डाइजेस्ट के रूप में भी निकाल दिया जाता था।
अब जो नए कॉमिक्स प्रकाशक उभर कर आ रहे हैं उनका एक तय ढांचा अथवा पैटर्न सामने है। एक किरदार पर सिंगल कॉमिक्स आती हैं और जब उसके कुछ सिंगल कॉमिक्स आ जाते हैं तो उनको एकत्र करके एक संयुक्त संस्करण निकाल दिया जाता है। कुछ प्रकाशक एक से अधिक भाषा में अपनी कॉमिक्स निकालते हैं लेकिन अधिकतर एक ही भाषा में निकालते हैं। कुछ प्रकाशकों, जैसे होली काऊ, का प्रकाशन द्विभाषी रहता है – उनके सिंगल कॉमिक्स अंग्रेज़ी में आते हैं और जब संयुक्त संस्करण आता है तो उसको हिंदी में अनुवाद करके निकाला जाता है। इस तरह से जिसको अंग्रेज़ी में पढ़ना हो वह सिंगल कॉमिक्स ले सकता है और जिसको हिंदी में पढ़ना हो वह संयुक्त संस्करण की प्रतीक्षा करता है। मैंने अभी तक इनके संयुक्त संस्करण ही लिए हैं, (कोई भी) सिंगल कॉमिक्स लेना मुझे अब पसंद नहीं।
विदेशी कॉमिक्स
विदेशी कॉमिक्स में काफ़ी बड़े और नामी प्रकाशक हैं जैसे मार्वल, डीसी, इमेज कॉमिक्स, डार्क हॉर्स, वैलिएंट, बूम स्टुडिओज़, आदि। इनमे जापानी मांगा कॉमिक्स वाले भी कई प्रकाशक हैं। फिलहाल मांगा प्रकाशकों की बात नहीं करते तो इन विदेशी प्रकाशकों में दो प्रकाशक सबसे अधिक लोकप्रिय हैं – मार्वल और डीसी। तो इन्हीं को उदाहरण स्वरुप लेकर हम बात आगे बढ़ाते हैं।
ये प्रकाशन कई दशकों से कॉमिक्स निकाल रहे हैं और इनके कई किरदार ऐसे हैं जो लगभग शुरुआत से चले आ रहे हैं। समय-२ पर उनमे बदलाव हुए हैं, उनकी कहानियाँ कई अलग-२ कहानीकारों ने लिखी हैं। तो इनमे आपको एक तय पैटर्न देखने को मिल जाता है। सिंगल कॉमिक्स आती हैं और फिर जब एक कहानी या श्रृंखला समाप्त हो जाती है तो उसका एक कलेक्शन प्रकाशित कर दिया जाता है। अब यह कलेक्शन पेपरबैक में भी आता है और कई बार हार्डबाउंड में भी आ जाता है।
उसी प्रकार यदि किसी एक कहानीकार द्वारा किसी एक किरदार पर कहानी लिखी जा रही है तो वह अमूमन एक समय अवधि के दौरान लिखी जाती है जिसकी एक बड़े स्तर पर शुरुआत होती है और एक ग्रैंड फिनाले भी होता है। अधिकतर आपको यह देखने को मिलेगा कि इस पूरी यात्रा में एक से अधिक कहानियाँ या लघु श्रृंखलाएँ होती हैं जो आपस में सम्बंधित होती हैं और ये सब मिलकर एक बड़ी कहानी को अंजाम देती हैं। तो इस बड़ी कहानी की समाप्ति के पश्चात प्रकाशक इन सभी कॉमिक्स को एकत्र करके एक संयुक्त संस्करण निकाल देता है जिसको ओम्नीबस कहा जाता है।
इन प्रकाशकों के कॉमिक्स किरदारों की दुनिया आपस में जुड़ी हुई है। तो मार्वल के सभी किरदार अमूमन एक ही यूनिवर्स में मिल जाते हैं और उनकी कहानियाँ कई बार आपस में सम्बंधित भी होती हैं। इसी प्रकार डीसी के किरदारों का अपना अलग संसार है और वे सभी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। समय-२ पर इनमें एक घटनाक्रम (event) पर कहानी आधारित होती है जिसमे कई किरदार अलग-२ रूप में भूमिका निभाते हैं। तो उस घटनाक्रम की कहानी की समाप्ति के पश्चात् भी प्रकाशक एक (या अधिक) ओम्नीबस निकाल देते हैं ताकि किसी को वह कहानी पूर्ण रूप में पढ़नी हो तो सिंगल कॉमिक्स या छोटे-२ कलेक्शन का झंझट न रहे।
डीसी के एब्सोल्यूट संस्करण भी आते हैं तो लगे हाथ उसकी भी बात कर लेते हैं। कुछेक कहानियाँ (ओम्नीबस जितनी बड़ी नहीं) काफ़ी लोकप्रिय हो जाती हैं, तो डीसी उनका एक ख़ास संस्करण निकाल देता है जो कि बड़े आकार और प्रीमियम रूप में प्रकाशित होता है स्लिपकेस के साथ जिसका दाम भी प्रीमियम होता है। यह एक कलेक्टर्स एडिशन होता है संग्राहकों के लिए।
कुछ वर्ष पूर्व हमारे भारतीय प्रकाशक राज कॉमिक्स वालों को किसी ने बताया होगा कि डीसी वाले ऐसे एब्सोल्यूट संस्करण निकालते हैं जिस पर अधिक पैसा बनता है तो बस राज कॉमिक्स वालों ने आव देखा न ताव और आधी अधूरी समझ के अनुसार एक ही श्रृंखला की कॉमिक्स बाइंड कर और उनपर गत्ता लगा के उनको कलेक्टर्स एडिशन के रूप में निकालना शुरू कर दिया। यह चलन आज राज कॉमिक्स के तीन टुकड़े हो जाने के बाद भी मौजूद है जहाँ लगभग सभी कलेक्टर्स एडिशन और कुछ नहीं बस पेपरबैक कॉमिक्स को गत्ता लगा के बाइंड कर ऊँचे दाम पर निकाल दिए जाते हैं। आज भी एक समझ की कमी है कि कलेक्टर्स एडिशन और हार्डबाउंड कलेक्शन अथवा संयुक्त संस्करण में वही फ़र्क होता है जो कि मारुती और मर्सिडीज़ में होता है। 😉
पढ़ना कहाँ से शुरू करें?
देशी और विदेशी कॉमिक्स और उनके प्रकार आदि का ज्ञान तो बाँच दिया। लेकिन यदि कोई शुरू से नहीं पढ़ रहा है तो वह कॉमिक्स पढ़ना कहाँ से शुरू करे? चाहे देशी हो या विदेशी, कई किरदारों की कहानियाँ तो दशकों से चल रही हैं।
तो मेरा मश्वरा है कि आप जहाँ कहीं से भी पढ़ना चाहते हैं वहाँ से पढ़ना आरंभ कर सकते हैं।
देशी कॉमिक्सों में अभी इतनी जटिलता नहीं है कि बीच में कहीं से पढ़ना शुरू करेंगे तो समझ नहीं आएगा। मैं सिंगल कॉमिक्स नहीं लेता और संयुक्त संस्करण लेना ही पसंद करता हूँ। इसका लाभ यह होता है कि एक सम्पूर्ण कहानी मिल जाती है और उसके अलग-२ भाग एकत्र नहीं करने पड़ते। वन शॉट कॉमिक्स भी काफ़ी उपलब्ध हैं तो उनको पढ़ना और भी आसान रहता है। नए प्रकाशकों की कॉमिक्स संख्या बहुत अधिक नहीं है तो उनकी कॉमिक्स शुरुआत से पढ़ी जा सकती है कहानी और किरदार के कारनामों का पूर्ण स्वाद लेने के लिए।
विदेशी कॉमिक्स का बाज़ार काफ़ी परिपक्व है। तो यदि आपको मार्वल डीसी आदि का कोई किरदार या कहानी पसंद आ गई है और वह कहानी पूर्ण हो चुकी है तो मेरा सुझाव रहेगा कि उसके विषय में यह देख लें कि उस कहानी में कितनी कॉमिक्स हैं और उनको पढ़ने का क्रम क्या है। यदि आप उस कहानी की ओम्नीबस ले रहे हैं तो आपको यह क्रम आदि देखने का झंझट नहीं रहेगा। यदि आप कलेक्शन ले रहे हैं तो वे क्रमानुसार आते हैं 1, 2, 3, आदि। यह सब जानकारी इंटरनेट पर आसानी से मिल जाती है, तो कॉमिक्स खरीदने और पढ़ने से पहले देख लेना ठीक रहता है। इसी प्रकार यदि आप किसी किरदार से वाकिफ़ नहीं हैं तो उसके विषय में (संक्षेप में) थोड़ी जानकारी इंटरनेट पर खोज कर पढ़ लेंगे तो कॉमिक्स और उसकी कहानी पढ़ने में थोड़ी आसानी रहेगी। किसी कहानी से पहले न्यूनतम अनुशंसित पठन (minimum recommended reading) के विषय में ज्ञान भी इंटरनेट पर आसानी से मिल जाता है। इसका लाभ यह रहता है कि जो कहानी आप पढ़ने जा रहे हैं उसका प्रसंग आपको पता होता है और पूरी जन्म कुंडली जानने की आवश्यकता नहीं रहती। और फिर जैसे-२ आप कहानियाँ पढ़ते जाते हैं आपका उस विषय में ज्ञान बढ़ता जाता है और वैसे-२ आप अपने पठन का दायरा भी बढ़ा सकते हैं।
उन्नीसवीं शताब्दी के एक चित्रकार फ्रेडरिक बर्नार्ड ने कहा था कि एक चित्र सहस्त्र शब्दों के बराबर होता है।
ग्राफ़िक नॉवेल, कॉमिक्स, चित्रकथा – इनका संसार बहुत ही रोचक होता है। किसी कहानी को काले अक्षरों के रूप में पढ़ अपने मनस पटल पर उसका दृश्य बनाने की एक अलग बात है और उस सबकी ज़हमत उठाए बिना चित्रों के माध्यम से कही गई कहानी को पढ़ने की एक अलग बात है।
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