….. बना वोट पाने का माल ऽऽ,
कांग्रेस भी चाहे पाना इसको करुणा के साथ ऽऽ ॥
हमरी फोटू लगी गैलरी मा
On 18, Sep 2007 | 12 Comments | In Mindless Rants, Photography, Technology, टेक्नॉलोजी, फोटोग्राफ़ी, फ़ालतू बड़बड़ | By amit
ईयहाँ वहाँ सुनत रहे एकठौ जगह पढ़े भी रहे कि फलां की फोटुओं की फलां गैलरी मा प्रदर्शनी हो रही है, फलां जगह डिसप्ले पर लगी है!! कई बार फोटू बहुत अच्छे होते तो कई बार ऐवईं चलती फिरती चवन्नी छाप फोटू होती कि सोच मा पड़ जाते कि ऐसन लोग जब प्रदर्शनी लगा सकत हैं और लोग-बाग़ देखन भी जात है, एकाध फोटू बिक भी जात(जिस मा प्रदर्शनी वगैरह की लागत लगभग सारी निकल आत है) हैं, तो हम काहे नाही अपनी भी लगा लें!! कोई रोके थोड़े ही है, ठीक ठाक तो हम भी खींच लेत हैं कभी कभार, तो आखिरकार हम भी अपनी प्रदर्शनी लगा लिए। अभी का है कि लगा लिए, लेकिन ऊ का प्रमाण का है? उधर नीरज दद्दा के ब्लॉग पर पढ़े रहे कि परभू राम को भी प्रमाण दे की जरूरत है, हम ठहरे मामूली गरीब आदमी, तो हमार को प्रमाण देई की जरूरत पड़े ही पड़ेगी!! तो प्रमाण हम तैयार कर लिए, प्रदर्शनी को हटाई दिए, ई है ऊ प्रमाण का फोटू जो साबित करे कि हम प्रदर्शनी लगाए थे!!
हमहू भी स्केचियाएँ.....
On 15, Sep 2007 | 12 Comments | In Blogger Meetups, Photography, फोटोग्राफ़ी | By amit
जुलाई में जीतू भाई के आगमन पर हुई रेगुलर ब्लॉगर मीट के कुछ लम्हें मैंने यहाँ दिखाए थे। उस दिन ली सभी तस्वीरों में से एक फोटो से मैं कुछ दिन पहले समय मिलने पर पंगे ले रहा था, अलग-२ कुछ प्रयोग से कर रहा था, नतीजन एक बढ़िया सा स्केच बन गया तो आखिरकार आज उसको अपलोड कर दिया अपने फ्लिकर गैलरी में। लीजिए आप भी देखिए और मौज लीजिए। 🙂
अथ श्री घिसा पिटा प्रलाप आरंभम् भवति
On 07, Sep 2007 | 8 Comments | In Mindless Rants, Satire, व्यंग्य, फ़ालतू बड़बड़ | By amit
लो जी, फिर वही घिसा पिटा बदहज़मी युक्त प्रलाप शुरु हो गया कुछ लोगों का। किसी ने बताया कि दिल्ली में फैशन सप्ताह(fashion week) शुरु हो गया है और कई नामी देशी डिज़ाईनर भाग ले रहे हैं, अपनी कृतियाँ दिखा रहे हैं। वहीं किसी ने बताया कि फलां लोगों ने पुराना नग्नता और अश्लीलता का फटा बाँस फूँकना शुरु कर दिया है। अब भई अपने पल्ले ये नहीं पड़ता कि क्यों लोग कला और अश्लीलता में अंतर नहीं समझते!! किसी ने कहा कि पारंपरिक परिधानों को दर-किनार किया जा रहा है तो कोई बोला कि इस तरह के फैशन शो में प्रदर्शित होने वाले परिधान आम जनता के लिए नहीं होते। परिवर्तन प्रकृति का नियम है अन्यथा एक कोशिका वाले जीव से लेकर आज लाखों कोशिकाओं वाले जीवों का सफ़र कभी न हुआ होता। तो कोई आवश्यक नहीं है कि परंपरा को पकड़े हुए बाबा आदम के स्टाईल के परिधान ही पहने जाएँ। ऐसा नहीं है कि पारंपरिक परिधानों को त्यागा जा रहा है, लेकिन उनमें डिज़ाईनर अपनी रचनात्मक्ता और समझ के अनुसार बदलाव लाकर उनको बाज़ार में उतार रहे हैं। रीना ढाका, रितु बेरी, मनीष मल्होत्रा, रोहित बल जैसे नामी डिज़ाईनर औरतों के लिए साड़ियाँ और मर्दों के लिए कुर्ते, शेरवानी आदि भी डिज़ाईन करते हैं, तो इसलिए यह नहीं कह सकते कि परंपरागत परिधानों को त्याग दिया गया है। लेकिन इनके द्वारा डिज़ाईन किए गए परिधान आम जनता के लिए नहीं होते यह बात सत्य है। अब जब पचास हज़ार से लेकर लाख रूपए से उपर कीमत की साड़ियों और शेरवानियों की बात करेंगे तो आम जनता कहाँ से लेगी?? लेकिन इस तरह के परिधानों को डिज़ाईन करते समय ये लोग आम जनता को टार्गेट करते ही नहीं!! और यह कहाँ लिखा है कि फैशन शो आदि में सिर्फ़ आम जनता के पहनने लायक ही परिधान प्रदर्शित किए जाएँ? यदि किसी नामी चित्रकार की कलाकृतियों की प्रदर्शनी लगती है तो ये लोग वहाँ कला की तारीफ़ करने लगते हैं कि क्या कलाकार है और क्या कला का नमूना है। क्या उसके सभी चित्र आदि इतने सस्ते होते हैं कि आम जनता खरीद सके? लाखों रूपयों में बिकने वाले चित्रों के एक अलग दर्जे के ग्राहक होते हैं; प्रशंसक बहुत हो सकते हैं लेकिन सभी खरीददार नहीं हो सकते। अमां कोई समाजवादी कम्यूनिस्ट राष्ट्र में रह रहे हो क्या जहाँ जो कार्य हो समस्त जनता-जनार्दन के भले के लिए हो? यदि आपके सामाजिक वृत्त (social circle) में कोई ऐसे परिधान नहीं पहनता तो इसका अर्थ यह नहीं कि कोई पहनता ही नहीं, आखिर समाज आपकी या मेरी या कल्लू की सामाजिक परिधि (social circle) तक ही तो सीमित नहीं है!!
ओपन सोर्स सॉफ़्टवेयर का दिल्ली बारकैम्प
On 06, Sep 2007 | 7 Comments | In Technology, टेक्नॉलोजी | By amit
दिल्ली का तीसरा बारकैम्प और कदाचित् पहला ओपन सोर्स सॉफ़्टवेयर कैम्प(open source software camp) यानि कि मुक्त स्रोत सॉफ़्टवेयर का असम्मेलन इस सप्ताहांत, 8 तथा 9 सितंबर 2007, को नोएडा में इंपेटस इन्फोटेक के कार्यालय परिसर में होने जा रहा है। इसमें भिन्न-२ विषयों पर सत्र होंगे जिनको अलग-२ कैम्प का नाम दिया गया है, जैसे माईसीकुअल कैम्प(MySQL Camp), पीएचपी कैम्प(PHP Camp), द्रुपल कैम्प(Drupal Camp), जूमला कैम्प(Joomla Camp), ओपन सोर्स टेक्नॉलोजी कैम्प(Open Source Technologies Camp), ओपन सोर्स टूल्स कैम्प(Open Source Tools Camp), पाईथन कैम्प(Python Camp), वेब 2.0 कैम्प(Web 2.0 Camp), आदि। देश भर से तो प्रोग्रामर, डेवेलपर, डिज़ाईनर आदि आ ही रहे हैं, कुछेक विदेशों से भी आ रहे हैं। यदि आप भी इसमें भाग लेना चाहते हैं तो इसकी विकि(wiki) में यहाँ अपना नाम अवश्य जोड़ दें। इसमें भाग लेने की कोई फीस/शुल्क वगैरह नहीं है, निश्चित स्थान पर पहुँचने और वहाँ से वापस जाने का जुगाड़ आपको स्वयं करना होगा। यदि आप दिल्ली या राजधानी क्षेत्र(नोएडा/गुड़गाँव) के बाहर से आ रहे हैं तो अपने रहने आदि की व्यवस्था आदि भी आपको स्वयं करनी होगी।
कुछ लम्हें पालमपुर यात्रा से
On 05, Sep 2007 | 9 Comments | In Memories, Photography, Wanderer, घुमक्कड़, फोटोग्राफ़ी, यादें | By amit
चार महीने हुए जब पिछली बार कहीं घूमने फिरने गया था, मन व्याकुल हो रहा था, तो प्रोग्राम बना पालमपुर जाने का। जी, यह वही पालमपुर है जहाँ जाने का कार्यक्रम जुलाई में मैंने प्रस्तावित किया था लेकिन वह यात्रा उस समय हो नहीं पाई थी!! बहरहाल, उस समय न सही तो अब सही, पिछले सप्ताहांत का कार्यक्रम बना और हम 6 लोग निकल लिए अगस्त के आखिरी दिन की रात्रि को अपनी चौदह घंटे की ड्राईव पर!! 😉
ब्लॉग दिवस.....
On 31, Aug 2007 | 8 Comments | In Blogging, Here & There, इधर उधर की, ब्लॉगिंग | By amit
आज, 31 अगस्त 2007 को, तीसरा ब्लॉग दिवस मनाया जा रहा है। इसकी शुरुआत सन् 2005 में नीर ओफिर ने की थी। 31 अगस्त को ब्लॉग दिवस रखने का कारण यह है कि 3108 का अंक देखने में BlOg जैसा लगता है। वैसे 3106 का अंक BlOG जैसा अधिक लगता लेकिन जून के महीने में सिर्फ़ तीस दिन होते हैं इसलिए 31 वहाँ संभव नहीं था!! 😉
ब्लॉगर मीट फॉर टू
On 30, Aug 2007 | 10 Comments | In Blogger Meetups | By amit
अब मिश्रा जी तो 27 अगस्त 2007 की ब्लॉगर मीट की घोषणा कर दिए लेकिन डिफॉल्टिंग पार्टी भी वही थे, यानि कि स्वयं ही लेट हुए, एक बजे की जगह मुझे टेलीफोन पर पाँच बजे का समय दिया लेकिन फिर पाँच बजे भी पहुँचने में असमर्थता जताई। यह सुन मैंने सोचा कि चलो बढ़िया है, मैं भी ऑफिस के कार्य में फंसा हुआ था इसलिए मेरा भी आना दिक्कत वाला कार्य लग रहा था, कम से कम मेरे सिर दोष नहीं मढ़ा जाएगा। 😉 कोई अन्य भेंटवार्ता स्थल पर पहुँचा होगा इसकी कोई जानकारी नहीं है।
Harry Potter and Plot Holes?
On 27, Aug 2007 | 17 Comments | In Here & There, Mindless Rants, इधर उधर की, फ़ालतू बड़बड़ | By amit
So, I came across Matt’s blog on the Delhi Bloggers mailing list and the post that I saw right up on top there was some list of points regarding the Elder Wand in the last of Harry Potter books, Harry Potter and the Deathly Hallows!! This post was a sort of follow up on his earlier post he wrote a month back indicating several plot holes in the last book and the whole story in seven books.
विजेट ही विजेट
On 22, Aug 2007 | 5 Comments | In Technology, टेक्नॉलोजी | By amit
इधर काफी समय हो गया था मोबाइल फोन से पंगे लिए, अभी-२ हाल ही में शायद इसलिए नाराज़ हो गया था!! 😉 आज थोड़ा समय मिलने पर ट्विट्टर(twitter) देख रहा था और सोच रहा था कि मेरे लिए इसका क्या उपयोग हो सकता है। एक उपयोग जो दिमाग में आया वह यह था कि कहीं बाहर जाने पर या घूमने-फिरने जाने पर अपने ट्विट्टर को अपडेट किया जा सकता है, कोई अन्य पढ़े या ना पढ़े, अपने रिकॉर्ड के लिए भी यह काम का हो सकता है। लेकिन इसमें एक दिक्कत वाला कार्य यह है कि इसको मोबाइल से अपडेट करने का सरलतम तरीका एसएमएस(sms) द्वारा है और यह ब्रिटेन में बसी सेवा है, यानि कि इसका जो नंबर है(जिस पर मोबाइल से संदेश भेजना होगा) वह भी ब्रिटेन का है, यानि कि हर बार अंतर्राष्ट्रिय एसएमएस लगेगा। अब मेरा रेगुलर मोबाइल कनेक्शन एमटीएनएल(mtnl) का है और पोस्टपेड है, तो एक अंतर्राष्ट्रीय एसएमएस मुझे ढाई रूपए का पड़ता है। इस तरह तो कुछ बार अपडेट करने में मेरी वाट लग जाएगी, जेब में बड़े वाला छेद हो जाएगा, पहले से ही आने वाला कई पन्नों का बिल और बड़ा हो जाएगा!! 🙁 और जिन लोगों का दूसरा कनेक्शन है उसमें तो और अधिक दर होगी अंतर्राष्ट्रीय एसएमएस की, एयरटेल वाले शायद चार रूपए काटते हैं, तो यदि किसी के पास उनका कनेक्शन है और वो इसको ऐसे अपडेट करता है तो उसकी तो और भी ज़्यादा वाट लगेगी!! तो कैसे बचा जाए वाट लगने से?