इधर काफी समय हो गया था मोबाइल फोन से पंगे लिए, अभी-२ हाल ही में शायद इसलिए नाराज़ हो गया था!! 😉 आज थोड़ा समय मिलने पर ट्विट्टर(twitter) देख रहा था और सोच रहा था कि मेरे लिए इसका क्या उपयोग हो सकता है। एक उपयोग जो दिमाग में आया वह यह था कि कहीं बाहर जाने पर या घूमने-फिरने जाने पर अपने ट्विट्टर को अपडेट किया जा सकता है, कोई अन्य पढ़े या ना पढ़े, अपने रिकॉर्ड के लिए भी यह काम का हो सकता है। लेकिन इसमें एक दिक्कत वाला कार्य यह है कि इसको मोबाइल से अपडेट करने का सरलतम तरीका एसएमएस(sms) द्वारा है और यह ब्रिटेन में बसी सेवा है, यानि कि इसका जो नंबर है(जिस पर मोबाइल से संदेश भेजना होगा) वह भी ब्रिटेन का है, यानि कि हर बार अंतर्राष्ट्रिय एसएमएस लगेगा। अब मेरा रेगुलर मोबाइल कनेक्शन एमटीएनएल(mtnl) का है और पोस्टपेड है, तो एक अंतर्राष्ट्रीय एसएमएस मुझे ढाई रूपए का पड़ता है। इस तरह तो कुछ बार अपडेट करने में मेरी वाट लग जाएगी, जेब में बड़े वाला छेद हो जाएगा, पहले से ही आने वाला कई पन्नों का बिल और बड़ा हो जाएगा!! 🙁 और जिन लोगों का दूसरा कनेक्शन है उसमें तो और अधिक दर होगी अंतर्राष्ट्रीय एसएमएस की, एयरटेल वाले शायद चार रूपए काटते हैं, तो यदि किसी के पास उनका कनेक्शन है और वो इसको ऐसे अपडेट करता है तो उसकी तो और भी ज़्यादा वाट लगेगी!! तो कैसे बचा जाए वाट लगने से?
डिजिटल कैमरा ..... - भाग ४
On 16, Aug 2007 | 37 Comments | In Photography, Technology, टेक्नॉलोजी, फोटोग्राफ़ी | By amit
पिछले भाग से आगे …..
पिछले भाग में हमने एक सरसरी नज़र डाली थी डीएसएलाआर(dSLR), ब्रिज(bridge)/प्रोज़्यूमर(prosumer) और प्वाइंट एण्ड शूट(point and shoot) कैमरों के फर्क, खूबियों और खामियों पर और एक नई फीचर इमेज स्टेबिलाईज़ेशन(image stabilization) पर।
कैमरा पसंद करते समय एक चीज़ और देखते हैं, कैमरा निर्माता। किसी भी विषय के संबन्ध में साधारणतया तीन तरह के लोग होते हैं:
बैकअप जो लिया होता .....
On 14, Aug 2007 | 16 Comments | In Cartoon, Technology, कार्टून, टेक्नॉलोजी | By amit
कल मेरे मोबाइल को पता नही क्या हुआ, रेडियो सुनते-२ अचानक अटक गया। मैंने सोचा कि बंद कर दोबारा चालू कर लेता हूँ, तो बंद किया, लेकिन बंद होते के बाद चालू न हो कर दिया और एरर(error) संदेश टिका दिया स्क्रीन पर कि फोन चालू होने में समस्या है और मुझे रिटेलर(retailer) को संपर्क करना चाहिए। फोन लेकर मैं नोकिआ के उस डीलर(dealer) के पास पहुँचा जिससे फोन पिछले दिसंबर में लिया था, फोन जाँचने के बाद उसने कहा कि पास ही स्थित नोकिआ केयर(nokia care) में ले जाना चाहिए, फोन के सॉफ़्टवेयर में दिक्कत है जिसको वे कुछ ही मिनट में ठीक कर दे देंगे। यानि कि फोन के सिम्बिअन ऑपरेटिंग सिस्टम(symbian operating system) में कुछ लफ़ड़ा हो गया था। शायद मैंने कुछ दिन पहले जो फर्मवेयर अपडेट(firmware update) किया था वह सही से नहीं हुआ था।
डिजिटल कैमरा ..... - भाग ३
On 13, Aug 2007 | 13 Comments | In Photography, Technology, टेक्नॉलोजी, फोटोग्राफ़ी | By amit
पिछले भाग से आगे …..
पिछले भाग में मैंने सुझाव दिया एक नई सूचि बनाएँ जिसमें हो कि आपको कैमरे में क्या-२ चाहिए या आप कैमरे का प्रयोग कैसे करेंगे। साथ ही रिव्यू आदि पढ़ने का सुझाव दिया, मेगापिक्सल मिथ(myth) से सावधान रहने का मश्वरा दिया और ऑप्टिकल ज़ूम(optical zoom) की बात की। इससे पहले कि आगे बढ़े, पिछली पोस्ट की कुछ रोचक टिप्पणियों पर एक नज़र डाली जाए।
चक दे ..... हो चक दे इंडिया ......
चक दे इंडिया के प्रोमो आदि टीवी पर काफ़ी समय से आ रहे हैं, न्यूज़ चैनलों और बॉलीवुड के खबरी कार्यक्रमों में भी इसकी काफ़ी चर्चा है, कुल मिला के इस फिल्म से काफ़ी आशाएँ रखी जा रही हैं, आखिर किंग खान की फिल्म है जिसमें वो (मेरी जानकारी अनुसार) दूसरी बार किसी खेल टीम के कोच के रूप में नज़र आएँगे। इससे पहले वह अपनी एक शुरुआती फिल्म चमत्कार, जो कि 1992 में रिलीज़ हुई थी, में एक कॉलेज की क्रिकेट टीम के लल्लू कोच के रूप में नज़र आए थे जिसमें उनका साथ दिया था भूत बने नसीरुद्दीन शाह ने। उस समय तो कोच की लाज भूत बादशाह ने मैच जीत के बचा ली थी, लेकिन इस बार कौन बचाएगा? 😉
डिजिटल कैमरा ..... - भाग २
On 07, Aug 2007 | 20 Comments | In Photography, Technology, टेक्नॉलोजी, फोटोग्राफ़ी | By amit
पिछले भाग से आगे …..
पिछले भाग में मैंने सुझाव दिया था कि आपको डिजिटल कैमरा किसलिए चाहिए उन कारणों की सूचि बना लें, आगे कैमरे का चुनाव करने में भी सहायक होगी। तो उस सूचि से अब उन कारणों को लेकर एक नई सूचि बनाएँ जिसमें हो कि आपको कैमरे में क्या-२ चाहिए या आप कैमरे का प्रयोग कैसे करेंगे। उदाहरणार्थ, आप अधिकतर किस तरह की फोटोग्राफी करेंगे; पोर्ट्रेट(portrait) लेंगे या लैन्डस्केप(landscape), खेलों(sports) आदि की फोटो लेंगे या मैक्रो(macro) लेंगे, या फिर इस बारे में अनिश्चित हैं और सभी प्रकार की फोटोग्राफी करेंगे? क्या आप प्रोफेशनल फोटोग्राफर हैं/बनना चाहते हैं? या सिर्फ़ शौकिया फोटोग्राफी करेंगे? क्या आप सिर्फ़ कुछ अवसरों(घर आदि में किसी पार्टी फंक्शन या कहीं सैर-सपाटे पर गए) पर ही तस्वीरें लेना चाहेंगे या फोटोग्राफी की कला को सीखना चाहेंगे? क्या आपके लिए कैमरे का आकार और वज़न अधिक मायने रखता है; क्या आपको छोटा और हल्का कैमरा चाहिए या आप अच्छे फीचर(features) वाले बड़े कैमरे को लेना पसंद करेंगे? क्या आपको कैमरों और फोटोग्राफी का कोई पूर्व अनुभव है? यदि अनुभव है तो कितना है? आप कैमरे में किन खास फीचर्स(features) को चाहेंगे? और सबसे महत्वपूर्ण, आपका बजट कितना है?
फ्री की मोबाइल सेवा ......
On 05, Aug 2007 | 9 Comments | In Here & There, इधर उधर की | By amit
….. क्या आप भुगतने के लिए तैयार हैं??
भुगतना? हाँ जी भुगतना, अब ऐसे ही तो फ्री में मोबाइल से फुनवा लगा गाँव में अम्मा से या बगल के ऑफिस में, अपने जगमग एलसीडी(LCD) स्क्रीन के सामने बैठी, रीता से गप्पें तो नहीं ना मार सकोगे ना!! तो उसके लिए का भुगतना होगा? अरे भई ज्यादा कछु नहीं, सिर्फ़ कुछ विज्ञापन झेलने होंगे। नहीं समझे? लो, कल्लो बात, कौन से झाड़ में घुसे रहते हो भई?? ऊ ससुरा गुगलवा ने अपने फुनवा का प्रोटोटाइप(prototype) बना लिया है जिसको ऊ एक बरस में बाज़ार में उतार सकता है, फिलहाल अमरीका के मोबाइल सेवा प्रदाताओं और मोबाइल फुनवा बनाने वालों के साथ सांठ-गाँठ करने में लगा है ताकि मोबाइल निर्माता उसके अनुसार फोन बनाएँ और सेवा प्रदाता उसके अनुसार सेवा प्रदान करें।
हिन्दी? तुम्हारा दिमाग तो सही है??
On 05, Aug 2007 | 5 Comments | In Mindless Rants, फ़ालतू बड़बड़ | By amit
मसिजीवी जी ने कुछ अंग्रेज़ी के सरमायेदारों के बारे में, या कहें एक अंग्रेज़ी के सरमायेदार के बारे में बताते हुए लिखा कि इंटरनेट पर हिन्दी भाषी दुनिया में अंग्रेज़ी के विरुद्ध इतने लोग नहीं हैं जितने हिन्दी विरोधी भारतीय अंग्रेज़ी ब्लॉगरों की जमात में हैं।
अधिक तो खैर कुछ नहीं लिखूँगा क्योंकि यदि लिखने लगा तो कदाचित् बहुत कुछ लिख जाउँगा, लेकिन इतना अवश्य कहना चाहूँगा कि यह बताने का भी मसिजीवी जी को कष्ट करना चाहिए था कि इस लिंक पर कितने लोग हिन्दी के प्रति ऐसी हेय दृष्टि रखे हुए थे और कितने अंग्रेज़ी वाले उस व्यक्ति को लताड़ रहे थे। लिंक पर क्लिक कर कोई भी देख सकता है कि वह सिर्फ़ एक बीमार मानसिकता वाला डॉलर का गुलाम व्यक्ति था जो विक्षिप्त प्रलाप कर रहा था जबकि बाकी उसको समझाने का प्रयत्न कर रहे थे। और साथ ही यह बात भी गौरतलब है कि वह पोस्ट 2 वर्ष पुरानी है; यहाँ 2 दिन में दुनिया बदल जाती है, तो क्या दो वर्षों में हालात कुछ सुधरे नहीं हैं? थोड़ा ही सही लेकिन मैं समझता हूँ कि सुधार हुआ है। और वैसे भी इस तरह के लोग दोनों ओर हैं, यदि हिन्दी को भला-बुरा कहने वाले अंग्रेज़ भारतीय हैं तो यहाँ हिन्दी वालों में भी अंग्रेज़ी को खामखा गरियाने वाले कम नहीं हैं!! लेकिन इन लोगों से क्या कोई फर्क पड़ता है? मैं नहीं समझता पड़ता है, मेरे अनुसार ये लोग गौण उत्पादन(by-product) हैं जिनको अनदेखा कर बिना कोई भाव दिए आगे बढ़ना चाहिए, न कि उनसे वाद-विवाद में अपना समय नष्ट करना चाहिए, क्योंकि समझ वही सकता है जिसमें अक्ल हो, जिसमें अक्ल नहीं उन लोगों को समझाना भैंस के आगे बीन बजाना है!!
डिजिटल कैमरा .....
On 04, Aug 2007 | 10 Comments | In Photography, Technology, टेक्नॉलोजी, फोटोग्राफ़ी | By amit
….. अब लें कि बाद में? कौन सा लें? कैसे पसंद करें?
यदि ये प्रश्न आपके दिमाग में घर किए हुए हैं तो इसका अर्थ है कि आप भी डिजिटल कैमरा लेना चाहते हैं और फिलहाल उधेड़बुन में हैं। घबराईये नहीं, कोई नई बात नहीं है, लगभग हर डिजिटल कैमरा लेने वाला इसका शिकार होता है। इसका समाधान बहुत आसान है, बस कुछ बातें ध्यान में रखनी चाहिए। जैसे कि कैमरा कब लेना चाहिए? अब यह कोई मौसम पर तो निर्भर करता नहीं है!! यदि आपको डिजिटल कैमरे की आवश्यकता महसूस हो रही है और जेब में माल है तो खरीद लीजिए, किसी मौसम की प्रतीक्षा मत कीजिए। साधारणतया लोग ऐसी चीज़ों की खरीददारी तब करते हैं जब कंपनियाँ भारी डिस्काऊँट आदि देती हैं। जैसे भारत में दीपावली के आसपास बहुत कंपनियाँ अपने उत्पादों पर तरह-२ की छूट और गिफ़्ट आदि देती हैं, अमेरिका में क्रिसमस के समय पर बहुत बढ़िया ऑफ़र आदी मिलते हैं। तो आप कहाँ से अपना कैमरा ले रहे हैं इस पर भी निर्भर करेगा आपकी खरीद का समय; यदि स्वयं या किसी के द्वारा अमेरिका से मंगवा रहे हैं तो क्रिसमस का समय उपयुक्त रहेगा, पर ध्यान रहे कि उस समय कुछ उत्पादों का स्टॉक जल्दी समाप्त हो जाता है, इसलिए इस बात के लिए तैयार रहें। यदि भारत में खरीद रहे हैं तो फिलहाल तो दीपावली की प्रतीक्षा करना कोई खास लाभकारी नहीं होता क्योंकि (मेरी जानकारी अनुसार)डिजिटल कैमरों पर अभी कोई खास ऑफ़र नहीं मिलते कंपनियों से। यदि सिंगापुर या दुबई से खरीद रहे हैं तो ध्यान रखें कि इन जगहों पर लोगों को आकर्षित करने के लिए हर साल शॉपिंग फेस्टिवल होते हैं जिस दौरान बहुत से अच्छे-२ ऑफ़र सामने आते हैं।
अमरीका जो बन जाए .....
On 03, Aug 2007 | 12 Comments | In Cartoon, Mindless Rants, Satire, कार्टून, व्यंग्य, फ़ालतू बड़बड़ | By amit
अमेरिका….. अमेरिका….. ओऽऽ अमेरिका ऽऽऽऽ
जीतू भाई ने इस बार की अनुगूँज में हिस्सा लेते हुए पाँच बातें लिखी हैं कि यदि हिन्दुस्तान अमेरिका बन जाए तो कैसा होगा। कुछ बातें जो उजागर होती हैं:
तो क्या बच्चे आज ऐसे नहीं हैं? बिलकुल हैं, महानगरों में उच्च-मध्यमवर्गीय और उच्च वर्गीय परिवारों में तो क्या, छोटे शहरों में भी ऐसे बच्चे मिल जाएँगे। पहचाना नहीं? ये राज-दुलारे हैं, लाड़ले, ज़रूरत से अधिक लाड़ किए हुए लाड़ले!!