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हेवलेट्ट पैकर्ड ने उड़ाया अपना डॉटासेन्टर .....

मशहूर तकनीकी कंपनी हेवलेट्ट पैकर्ड(Hewlett Packard) ने डॉटासेन्टर संबन्धी अपनी डिसास्टर प्रूफ(disaster proof) तकनीक का प्रमाण देने के लिए एक टैस्ट किया, एक डॉटासेन्टर को विस्फोट से उड़ा दिया यह नापने के लिए कि जो सर्वर उस विस्फोट में नष्ट हुए कितने समय में उनके बैकअप सर्वर ऑनलाईन आते हैं। नतीजे अच्छे रहे और 4 अलग-२ ऑपरेटिंग सिस्टम वाले 4 सर्वर 13 सेकन्ड से 2 मिनट के समय के अंदर वापस ऑनलाईन हो गए!! इस बारे में अंग्रेज़ी में पढ़ने और विस्फोट का वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें। आश्चर्य है कंपनियाँ आजकल कैसे-२ तरीकों से अपने माल की गुणवत्ता का प्रमाण देती हैं। इससे साबित होता है कि ग्राहक ही बाज़ार का राजा है। 🙂

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कुछ झलकें ..... आमों के त्योहार से .....

7 जुलाई को नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में (दो दिन चलने वाले) उन्नीसवें वार्षिक मैंगो फैस्टिवल(mango festival) यानि कि आमों के त्योहार का आरंभ हुआ। एक परिचित द्वारा उसके पास जुगाड़े गए और अपन पहुँच गए पहली बार मैंगो फैस्टिवल देखने, नाम तो बचपन से अब तक कई बार सुना था लेकिन कभी देखा नहीं था। दिल्ली पर्यटन विभाग(delhi tourism and transportation development corporation) पिछले अट्ठारह वर्षों से लगातार इसे आयोजित करता आ रहा है जहाँ देश भर में पैदा होने वाले भिन्न-२ आमों को प्रदर्शित किया जाता है और आंगतुक इनको खरीद भी सकते हैं और निर्यात संबन्धी जानकारी भी दी जाती है। इस बार 500 से अधिक भिन्न-२ आमों को प्रदर्शित किया गया। आमों की भिन्न प्रजातियों के साथ ही प्रदर्शित किया जाता है पाक-कला को भी जिसे कई अनुभवी और नए खानसामें आमों द्वारा बनाए गए लज़ीज़ और सुंदर पकवानों को प्रदर्शित करते हैं।

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रेगुलर ब्लॉगर मीट - कुछ लम्हें .....

On 18, Jul 2007 | 18 Comments | In Blogger Meetups | By amit

आज की (रेगुलर)ब्लॉगर भेंटवार्ता में जीतू भाई तो खैर आ ही गए, साथ ही श्रीश से भी पहली बार मिलना हुआ। प्रस्तुत हैं उसी भेंटवार्ता से कुछ लम्हें। 🙂


( बाएँ से दाएँ – नीरज दादा, जगदीश जी )


( जीतू भाई )


( श्रीश )


दोपहर का भोजन – सरवण भवन में
( बाएँ से दाएँ – श्रीश, सृजन शिल्पी जी, जगदीश जी )


दोपहर के भोजन के पश्चात – कैफ़े कॉफी डे में
( बाएँ से दाएँ – सृजन शिल्पी जी, श्रीश )

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हुआ न हुआ परसों की ब्लॉगर भेंटवार्ता में .....

On 16, Jul 2007 | 16 Comments | In Blogger Meetups | By amit

परसों शनिवार को एक हिन्दी ब्लॉगर भेंटवार्ता हुई, ऐसी हुई कि बस क्या कहें कैसी हुई, वैसे शैलेश बाबू ने विवरण तो लिख ही दिया है। जैसा कि होता है, चूंकि मैं भी इस भेंटवार्ता में गया था तो मुझसे भी कुछ परिचितों ने कहा कि मैं भी लिखूँ। तो क्या लिखूँ? वैसे यह भी किसी ने कहा कि हर कोई अपने तरीके से लिख रहा है भेंटवार्ता के बारे में तो भई एक जीवित व्यक्ति लिख रहा है तो अपने नज़रिए से ही लिखेगा ना, मशीन तो नहीं कि निष्पक्ष रूप से लिखे, निष्पक्ष कोई नहीं रह सकता(चाहे बेशक ऊपर से न दिखाए)। भेंटवार्ता के बारे में खैर मैंने इसलिए नहीं लिखा क्योंकि मुझे पता है कि यदि मैंने अपने नज़रिए से अपनी शैली में लिखा तो कुछ को चुभन अवश्य होगी, ज़्यादा भी हो सकता है, क्योंकि मेरे जो दिल में होता है वह मैं कह देता हूँ, सूडो(psuedo) चरित्र/मानसिकता/व्यवहार नहीं है मेरा और यदि मैं नहीं समझता कि कहने योग्य बात है तो चुप रहता हूँ।

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