अभी हाल ही में, यानि कि कुछ दिन पहले ही, पर्वतों में नव-वर्ष का स्वागत किया परन्तु घूमने फ़िरने का कीड़ा पुनः कुलबुला रहा था, इसलिए फिर कहीं घूम आने की सोची। इस बार किसी पर्वतीय स्थल की ओर न जाने का निर्णय लिया, सर्दियों का मौसम है इसलिए धूप से नहाया राजस्थान हमें आवाज़ दे बुला रहा था। पिछले वर्ष नवंबर के अंत में उर्स के दौरान जहाँ हम न जा पाए, उस वीरों के देश अजमेर घूम आने का हमने मन और प्रोग्राम बनाया। जैसे कि अब आदत हो गई है और जैसा कि अब अपेक्षित रहता है, इस यात्रा के आरम्भ में भी वही पुरानी नौटंकियाँ हुई, कलाकार लोगों की आदत आराम से थोड़े ही छूटती है!! 😉 बहरहाल, हमेशा की तरह अपना इरादा पक्का था, साथ देने वालों की कमी नहीं थी, तो अपना रायता नहीं बिखरा। 26 जनवरी का शुक्रवार था, इसलिए तीन दिन की सप्ताहांत की छुट्टी थी, तो मैं, योगेश, एन्सी और शोभना 25 जनवरी की रात को अजमेर की ओर निकल पड़े। साथ में एन्सी के मित्र मनीष भी थे जो अपने घर जयपुर जा रहे थे, अब चूँकि जयपुर अजमेर के रास्ते में ही पड़ता है इसलिए हमने उनको जयपुर तक लिफ़्ट देना सहर्ष स्वीकार लिया। स्निग्धा और हितेश 26 की शाम तक अजमेर पहुँचने वाले थे क्योंकि स्निग्धा की बंगलूरू से दिल्ली की उड़ान 26 तारीख़ की सुबह की थी।
Click here to read full article »»