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Search Results for: बरिस्ता

ई-बुक और उसमें विकल्प

पिछले वर्ष मैंने ई-बुक्स के विषय में लिखा था कि कैसे आखिरकार कागज़ पर छपी किताबों का त्याग कर मैंने ई-बुक्स को अपनाया। उस समय कोई विकल्प उपलब्ध नहीं था, सिर्फ़ ऐमैज़ॉन (Amazon) का किण्डल (Kindle) ही ढंग का उपाय था। लेकिन किण्डल डिवाइस की जगह मैंने एण्ड्रॉय्ड टैबलेट को तरजीह दी, आखिर ऐमैज़ॉन किण्डल सॉफ़्टवेयर विण्डोज़ (Windows), मैक (Mac), एण्ड्रॉय्ड (Android), विण्डोज़ फोन (Windows Phone), आईफोन (iPhone), आईपैड (iPad) आदि सभी के लिए उपलब्ध है।

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द कॉन्टीनेन्टल ब्रेकफास्ट.....

कुछ अरसा पहले मैंने अपने घर के नज़दीक स्थित ज्ञानी के अड्डे पर हुआ चॉकलेट आईस्क्रीम और नए मुल्लाओं का वाकया बयान किया था (यदि आपने नहीं पढ़ा है तो एक बार अवश्य पढ़ लें, मौज की मौज और कंटेक्सचुअल अर्थ भी समझ आएगा)। उसके अंत में मैंने ज़िक्र एक साहब और कॉन्टीनेन्टल खाने का किया था, आज मन में आया कि वो किस्सा भी बाँच दिया जाए। 🙂

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क्नॉट प्लेस टू चांदनी चौक .....

On 04, Jun 2009 | 10 Comments | In Blogger Meetups | By amit

उधर इलाहाबाद और आसपास के लोग एक के बाद एक ब्लॉगर मीट ठेले जा रहे थे और इधर मैं सोचने में लगा हुआ था कि ऐसा क्या हुआ कि यहाँ दिल्ली में बेतकल्लुफ़ी वाली कॉफ़ी छाप ब्लॉगर मीट बंद हो गईं??!! दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में फौज है ब्लॉगरों की, एक समय था जब दूसरे शहरों के लोग हमसे ईर्ष्या किया करते थे कि हम लोग आए दिन ब्लॉगर चौपाल लगाए चाय-कॉफ़ी सुड़क रहे होते थे और वे लोग सोचते थे कि हम लोग वेल्ले हैं जो इतना टाइमपास किया करते हैं!! कहाँ गई वो ईर्ष्या? अब कोई क्यों नहीं करता? कोई ईर्ष्या करेगा कैसे, सोवियत यूनियन की ही भांति लोगों के पास फालतू टैम खत्म हो गया, जैसे बर्लिन (Berlin) की दीवार गिरी थी वैसे ही ब्लॉगर मीटों की कतार टूट गई!!

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On 31, May 2009 | 9 Comments | In Blogger Meetups, कतरन | By amit

आज दो ब्लॉगर मीट में शिरकत करी। पहली वाली थी दिल्ली ब्लॉगर मीट जो शाम को क्नॉट प्लेस से शुरु होकर चांदनी चौक स्थित परांठे वाली गली के परांठों पर खत्म हुई। दूसरी हिन्दी ब्लॉगर मीट थी जो रात साढ़े नौ बजे आलोक भाई और चिट्ठाजगत वाले डॉ. विपुल के साथ बरिस्ता की चाय/कॉफी से शुरु होकर बरकोस के थाई खाने पर साढ़े बारह समाप्त हुई!

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हुआ न हुआ परसों की ब्लॉगर भेंटवार्ता में .....

On 16, Jul 2007 | 16 Comments | In Blogger Meetups | By amit

परसों शनिवार को एक हिन्दी ब्लॉगर भेंटवार्ता हुई, ऐसी हुई कि बस क्या कहें कैसी हुई, वैसे शैलेश बाबू ने विवरण तो लिख ही दिया है। जैसा कि होता है, चूंकि मैं भी इस भेंटवार्ता में गया था तो मुझसे भी कुछ परिचितों ने कहा कि मैं भी लिखूँ। तो क्या लिखूँ? वैसे यह भी किसी ने कहा कि हर कोई अपने तरीके से लिख रहा है भेंटवार्ता के बारे में तो भई एक जीवित व्यक्ति लिख रहा है तो अपने नज़रिए से ही लिखेगा ना, मशीन तो नहीं कि निष्पक्ष रूप से लिखे, निष्पक्ष कोई नहीं रह सकता(चाहे बेशक ऊपर से न दिखाए)। भेंटवार्ता के बारे में खैर मैंने इसलिए नहीं लिखा क्योंकि मुझे पता है कि यदि मैंने अपने नज़रिए से अपनी शैली में लिखा तो कुछ को चुभन अवश्य होगी, ज़्यादा भी हो सकता है, क्योंकि मेरे जो दिल में होता है वह मैं कह देता हूँ, सूडो(psuedo) चरित्र/मानसिकता/व्यवहार नहीं है मेरा और यदि मैं नहीं समझता कि कहने योग्य बात है तो चुप रहता हूँ।

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बिन्दास मूर्खता!!

अभी एकाध दिन पहले मैं यूट्यूब पर एक वीडियो देख रहा था, जो कि एबीसी न्यूज़ के एक प्रसारण की रिकॉर्डिंग है जिसका शीर्षक दिया गया है “भारत उदय“। अब इस वीडियो में भारत के तेज़ी से होते विकास को भी बताया गया है, पर भारत को दिखाया गया है मुम्बई के स्लम इलाकों से लेकर दिल्ली की सब्ज़ी मन्डियों आदि तक। एक बात मुझे समझ नहीं आती, और वह यह कि इन अमरीकियों आदि को भारत में बस यही दिखाई देता है, स्लम इलाके, नंग धड़ंग घूमते बच्चे, गरीबी रेखा के नीचे रहते लोग? क्या इनको वातानुकूलित शॉपिंग मॉल, मैकडॉनल्ड के रेस्तरां, बरिस्ता आदि के कॉफ़ी पब, कनॉट प्लेस इलाके की बढ़िया सड़कें, नई दिल्ली मुम्बई आदि की सड़कों पर घूमती महंगी गाड़ियाँ, दुनिया में सबसे ज्यादा लखपतियों की तादाद नहीं दिखाई देते? 🙄

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एक और शाम, ब्लॉग बंधुओं के नाम!!

तो रविवार १९ फरवरी २००६ को एक और ब्लॉगर भेंटवार्ता थी, या यूँ कहें कि फ़्लॉगर भेंटवार्ता थी। 😉 सुबह सवेरे समय में यात्रा करने जाने के कारण मैं वैसे ही नहीं सोया था, क्योंकि रात सोने में देर हो गई थी और फ़िर २-३ घंटे सोकर क्या करता, ठीक समय पर उठ न पाता!! वापस आकर भी भारत-पाकिस्तान का मैच देखने का लोभ सोने न दे। आखिरकार सोचा कि थोड़ी नींद ले ली जाए, क्योंकि सांय ब्लॉगर भेंटवार्ता के लिए कनॉट प्लेस जाना था और नींद के अभाव से पीड़ित आँखों के संग ड्राईविंग करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। शाम भी हो गई और निश्चित समय पर मेरी घड़ियों में अलार्म भी बज उठा। फ़टाफ़ट तैयार हो मैं कनॉट प्लेस के निकट स्थित जंतर मंतर की ओर चल दिया।

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दोषहीन, निपुण, अद्वितीय प्रेमी!!

अब भई, अल्का ने मुझे टैग कर अपना शिकार बनाया है तो हर्जाने के रूप में मुझे भी उनके विषय “निपुण प्रेमी”(perfect lover) पर अपनी राय व्यक्त करनी है कि मेरे अनुसार मेरी निपुण अथवा अद्वितीय प्रेमिका कैसी हो, अथवा यूँ कहें कि मेरे मन में क्या छवि है एक आदर्श प्रेमिका की। इस खेल के कुछ नियम हैं जो मुझे अल्का द्वारा ही पता चले, और वे हैं:

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एक शाम ब्लॉगर्स के साथ!!

आज की शाम मैंने पहली बार दिल्ली ब्लॉगर्स की मासिक भेंटवार्ता में भाग लिया। और शायद आज मौसम भी कुछ अधिक ही कृपालु था कि सुबह से ही बरसने को तैयार था। जैसे ही मैं सवा छह बजे निकलने को हुआ, अचानक बारिश चालू हो गई। कुछ देर बाद जब आकाश ने बरसना बंद किया तो मैंने शुक्र मनाया और कनॉट प्लेस की ओर निकल पड़ा। रास्ते में दो-तीन बार हल्की बौछार तो पड़ी लेकिन मैं ढृढ़ निश्चय के साथ आगे बढ़ता रहा। दिमाग मेरा तब खराब हो गया जब लक्ष्मी-नारायण मंदिर की ओर मुड़ते ही जैसे आसमान फ़ट पड़ा और तेज़ बारिश शुरु हो गई, जय हो लक्ष्मी-नारायण!! फ़िर भी मैं निर्विकार आगे बढ़ता रहा और गोल मार्किट, बंगला साहिब होता हुआ कनॉट प्लेस पहुँचा। चूँकि मुझे ज्ञात नहीं था कि “बरिस्ता” कहाँ है, मैं बाहरी परिधि की परिक्रमा करने लगा। रूबी ट्यूसडे के बाद आया फ़ेडरल बैंक और उसके बाद मुझे आखिरकार दिखाई पड़ा “बरिस्ता”!! 🙂 आख़िरकार मैं पहुँच ही गया, तब तक बारिश भी थम चुकी थी, पर मैं पूरा भीग चुका था और मेरी पतलून थोड़ी गंदी भी हो चुकी थी। ख़ैर, मैंने अपनी मोटरसाईकिल पार्किंग में खड़ी की, और सीट के नीचे से एक सूखा कपड़ा निकाल कर अपना बैग और हैलमेट और अपने कपड़ों को पोंछा(लगता है कि मुझे एक गाड़ी लेनी ही पड़ेगी)। मैं एक घंटा देरी से पहुँचा था, तो इसलिए बिना अधिक विलम्ब किए मैं “बरिस्ता” की ओर लपका।

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दिल्ली ब्लॉगर्स भेंटवार्ता...

जी हाँ, आज जब मैंने साकेत के ब्लॉग पर यह घोषणा देखी तो मुस्कुराए बिना नहीं रह सका। नए साल 2006 की पहली दिल्ली ब्लॉगर्स भेंट महीने के पहले रविवार की जगह 2 जनवरी(सोमवार) को आयोजित की जाएगी। स्थान होगा नई दिल्ली स्थित कनॉट प्लेस का क़ाफ़ी पब बरिस्ता और दिल्ली के ब्लॉगर्स की इस पाँचवीं मासिक भेंट के आयोजन का जिम्मा संभाला है शिवम विज ने। मुझे इसके बारे में एक-आध महीने पहले ही पता चला था परन्तु मैं कुछ कारणों की वजह से भाग नहीं ले पाया था, पर इस बार मैं अवश्य जा रहा हूँ। 🙂

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