एकाध सप्ताह पहले गुड़गाँव में लैन्डमार्क स्टोर में एक उपन्यास देख रहा था पढ़ने के लिए। उससे एकाध दिन पहले ही एक उपन्यास, रिवर गॉड (River God), पढ़ के समाप्त किया था और उसका अगला भाग, द सेवन्थ स्क्रॉल (The Seventh Scroll), खोज रहा था। परन्तु वह लैन्डमार्क वालों के पास था नहीं तो फिलहाल काम चलाने के लिए मैंने एक अन्य उपन्यास ले लिया।
तभी याद आया कि एक संगीत की सीडी भी लेनी है जो कि शांत और मधुर हो, कुछ शास्त्रीय संगीत की तर्ज़ पर जिसमे मन को शांत करने की कूव्वत हो न कि उसको और उग्र करने की। संगीत सिर्फ़ वाद्य यंत्रों का हो तो बढ़िया, संस्कृत के श्लोक शांत मधुर आवाज़ में गाए हुए हों जिनके साथ वैसा ही शांत मधुर संगीत हो तो और भी बढ़िया। ऐसा संगीत प्रायः मेडिटेशन और योग करते समय भी उपयोगी होता है क्योंकि यह मन को शांत करने वाला शीतल संगीत होता है। लैन्डमार्क के संगीत वाले भाग में योग और मेडिटेशन के नाम पर बनी हुई तमाम सीडी देखी जिनमें लगभग सभी कचरा थीं जो कि आजकल बाज़ार में मौजूद योग तथा मेडिटेशन (Meditation) के फैशन (बहुत लोग सिर्फ़ फैशन के कारण ही इनको करते हैं क्योंकि इनको करने वाला फैशनेबल लगता है) से ग्रस्त लोगों को टार्गेट करके बनाई जाती हैं जिनमें तमाम तरह का कचरा परोसा जाता है।
लेकिन सभी कचरा नहीं था वहाँ, कुछेक अच्छी एल्बम भी थीं, उनमें से कुछ मेरे पास पहले से हैं। कुछ और वहाँ पंडित शिवकुमार शर्मा, पंडित हरिप्रसाद चौरसिया की थीं लेकिन मैं अब थोड़ा ज़ायका बदलने के लिए इनसे अलग कुछ और लेना चाह रहा था। पंडित शिवकुमार शर्मा, पंडित हरिप्रसाद चौरसिया, वनराज भाटिया आदि के तो अपन वैसे ही पंखे हैं। 😉 पंडित जसराज भी दिखे और कुछेक अन्य शास्त्रीय संगीत वाले पंडित भी दिखे लेकिन वह थोड़ा भारी-भरकम टाइप का संगीत लग रहा था। आखिरकार एक हल्के-फुल्के संगीत की सीडी दिखी – मूड्स ऑफ़ योग (Moods of Yoga) शृंखला की – मुद्रा (Mudra)। यह ठीक ठाक लग रही थी तो इसको ले लिया कि आज़मा के देखते हैं कि पंडित शिवकुमार शर्मा के चेले पंडित सतीश व्यास कैसा संतूर (Santoor) बजाते हैं।
उस दिन यह सीडी लाकर रख दी लेकिन सुनना नहीं हो पाया क्योंकि कंप्यूटर में डीवीडी राइटर का ड्राइवर (driver) खराब हो गया था जिस कारण दोनो डीवीडी राइटर बेजान पड़े थे। अभी बीते सप्ताहांत ही फुर्सत मिली मामले को ठीक करने की और कल रात आखिरकार वह सीडी सुनी। सुनकर वाकई मज़ा आ गया, पंडित सतीश व्यास ने वाकई बड़ी नफ़ासत और तबीयत से संगीत दिया है। इस सीडी में छह गीत हैं, जिनमें पहले तीन गीत दोपहर के राग भीमपालसी पर आधारित हैं जो कि मन को शांत करने का काम करता है। यह तीनों गीत कुल मिलाकर तकरीबन 32 मिनट की अवधि के हैं जिसमें यह अच्छे खासे अशांत मन को शांत कर दें। इसके बाद तकरीबन 31 मिनट की अवधि के तीन गीत राग पुरिया धनाश्री पर आधारित हैं जो कि शांत मन को ध्यान की ऊँचाईयों पर ले जाने में पूरी तरह सहायक है।
कुल मिलाकर एक बढ़िया सीडी है, पैसे की पूरी वसूली है। इस शृंखला की सभी एल्बम क्रमवार निम्न हैं:
Asana – The Awakening – [MP3] एमपी३ यहाँ खरीद सकते हैं
Dhyana – Evening Calm – [MP3] एमपी३ यहाँ खरीद सकते हैं
Shakti – Creativity Within – [MP3] एमपी३ यहाँ खरीद सकते हैं
अब तो बस अगला मौका लगने पर इस शृंखला की अन्य एल्बम लेनी हैं।
यदि आपको भी शांत, शीतल, मधुर वाद्य संगीत पसंद है तो पहले इस सीरीज़ की “मुद्रा” एल्बम अवश्य लेकर देखिएगा। यदि आप इस प्रकार की किसी संगीत एल्बम के बारे में जानते हैं तो अवश्य बताईये।
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