कल 31 जुलाई 2008 को प्रसिद्ध गायक मोहम्मद रफ़ी साहब की 28वीं पुण्यतिथि थी। रफ़ी साहब वैसे तो कहीं नहीं गए, अपने गीतों के रुप में अपनी कभी न मिटने वाली यादें छोड़ गए हैं लेकिन फिर भी कल टीवी चैनलों को उनकी कुछ याद आ ही गई। 😉
वैसे तो रफ़ी साहब ने हर तरह के गाने सफ़लता पूर्वक गाए, चाहे वो शम्मी कपूर की जंगली हरकतों(फिल्म में) पर फिल्माया गया हो या देव आनंद और साधना पर एक बाग में फिल्माया गया हो, लेकिन ज़ाती तौर पर मुझे तो शांत और मेलोडियस (melodious) गाने ही पसंद हैं, शोर शराबे वाले गाने अपने को नहीं भाते खास। 🙂
कुछ ऐसे लोग होते हैं जो ऐसे मुकाम पर पहुँच जाते हैं जहाँ उनसे पहले कोई नहीं पहुँचा होता और उनके बाद भी किसी का पहुँचना अत्यधिक कठिन होता है, चाहे वे रफ़ी साहब हों या स्वर्गीय किशोर कुमार या हेमंत दा, सब एक से बढ़कर एक और अपनी अलग मज़बूत पहचान बनाने वाले। :tup:
तो इसी पर सुनिए और देखिए मेरी पसंद के गीतों की सूचि में से एक:
गीत: अभी ना जाओ छोड़ के
फिल्म: हम दोनो (1961)
अभिनय: देव आनंद और साधना
गायन: मोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर
बोल: साहिर लुधियानवी
इस गीत को खूबसूरत बनाने में जितना रफ़ी साहब का योगदान है कम से कम उतना ही मशहूर कवि साहिर लुधियानवी का भी है जिनकी कलम में जादू था, एक से बढ़कर एक जिनकी रचनाएँ थी कि गायक भी उनका गायन कर धन्य हो जाते थे! 🙂
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