संसार रूपी कटु-वृक्ष के केवल दो फल ही अमृत समान हैं;
पहला, सुभाषितों का रसास्वाद और दूसरा, अच्छे लोगों की संगति।

— चाणक्य

एक वर्ष में कितना कुछ बदल जाता है, व्यक्ति पहले से अधिक समझदार(अथवा मूर्ख) हो जाता है, पहले से अधिक अनुभवी हो जाता है, आस पास के लोग बदल जाते हैं, स्वयं व्यक्ति पहले सा नहीं रहता। एक पड़ाव पार हुआ और अगले पड़ाव की यात्रा आरंभ हुई। :tup: