तीन महीने बाद कहीं हवाखोरी के लिए जाना होगा, आज सांयकाल की रवानगी, मन में उत्साह और समय शीघ्र बीते ऐसी बेचैनी – आखिर मन चंचल और बावरा है!!
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प्रेम रोग के सिम्टम्स हैं?! 😆
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ज्ञानजी तो ज्ञाता है :tup:
ठीक है भाई, लौट के हाल सुनाना 🙂
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घूमिये-फिरिये और लौटकर शुरू हो जाईये यहां पर :tup:
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निकल लिये कि अभी हो यहीं पर?
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अमित ये बिना टाइटल वाली पोस्ट क्या फोन से लिखी होती हैं, फोन से पोस्ट लिखने पर टाइटल क्यों नहीं आता?
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