अभी गुड़गाँव के एक मॉल में एक व्यक्ति को पार्किंग के पैसे बचाने के लिए “स्टाफ़” चलाने की नाकाम कोशिश करते देखा!! तौबा, कैसे लोग होते हैं!!
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   मंदी के दौर में अभी बहुत कुछ देखोगे जिस पर अचरज होगा. 
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   देखते हम भी है “अमित जी की आंखों से” ..ख़ुद तो सोंचते – सोंचते आते-जातें है रास्तों में …आपकी और ज्ञान जी की यही बात अच्छी लगती है आप लोग सुक्ष्म चीजों को देख लेते हैं..फ़िर आपकी नजर से हम भी. 
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   बहाने बनाने में बहुत क्रियेटिविटी लगती है! 😀 
 प्रॉविडेण्ट फण्ड से तगड़ी रकम निकालने के लिये एक सज्जन ने अपनी पत्नी को “बीमार” किया। बीमारी का हाई-फाई नाम लिखा। उसका सरल अंग्रेजी में अनुवाद होता है – इनडाइजेशन! :tup:
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   भाई अभी बहुत कुछ देखना बाकि है… 
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