
इंक ब्लॉगिंग एक लफ़ड़ा.....
On 31, Oct 2008 | 11 Comments | In Blogging, Mindless Rants, ब्लॉगिंग, फ़ालतू बड़बड़ | By amit

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जलवे हैं। धांसू!
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सुंदर लिखावट अमित जी.
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ईर्ष्या हो रही है – खालिस!
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बढ़िया लिखा। अगर यह सोफ्टवेर के जरिये लिखा है तो बहुत ही बढ़िया है। साथ ही साथ उस सोफ्टवेर की जानकारी भी मिल जाती तो..!!
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कमाल कर दिया
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बढ़िया लिखा।
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इंक ब्लॉगिंग की बात ही अलग है। परये तो मानोगे ही कि बिना लिंक के भी क्या ब्लॉगिंग इसलिए हस्तलिखित छवि को तभी इंक ब्लॉग पोस्अ माना जाना चाहिए जब उसमें हॉट-स्पॉट बनाकर लिंक लगाए जाएं। तरीका आपकसे आता ही होगा,समीरजी एक पोस्ट पहले लिख चुके हैं। हमने इस पोस्ट में अपनाया था।
http://chitthacharcha.blogspot.com/2007/06/blog-post_10.html -
nice hai ji
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😀 😀 😀 😀 😀 😀 😀 😀 😀 😀
एक और नया बवाल …..?????
😛 😛 😛 😛 😛 😛 😛 😛 😛 😛
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