लगभग 6 वर्ष पूर्व एक वेब संबन्धी तकनीकी वेबसाइट(जहाँ मैं वेब तकनीक आदि संबन्धी बढ़िया लेख पढ़ने जाया करता था) पर मैंने एक लेख में पढ़ा था कि इंटरनेट पर कॉनटेन्ट इज़ किंग (content is king) यानि कि पढ़ने/देखने/सुनने लायक बढ़िया मसाला ही बादशाह है। ऐसा नहीं है कि यह बात टीवी चैनलों या फिल्मों पर लागू नहीं होती पर वहाँ शाहरुख और आमिर खान के नाम से या बिपाशा अथवा कैटरीना को देखने जाने वाले लोगों की संख्या अच्छी खासी होती है। इंटरनेट पर भी ऐसा है जहाँ प्रतिष्ठित वेबसाइटों के पास नियमित पाठक/दर्शक/श्रोता हैं लेकिन इंटरनेट पर मामला थोड़ा अलग हो जाता है सर्च-इंजनों के कारण जो कि किसी भी व्यक्ति को हज़ारों लाखों करोड़ों वेबसाइटों पर एक क्लिक में माल-मसाला ढूँढने की क्षमता प्रदान करते हैं।

आज अजय द्वारा लिखे लेख प्लानिंग हॉलिडेज़ विद यूज़र जेनरेटिड ट्रैवल कॉनटेन्ट को पढ़ा तो एकाएक ही वह कॉनटेन्ट इज़ किंग वाली बात याद आ गई। लेख में अजय ने बताया कि कैसे आजकल लोग इंटरनेट पर माल ढूँढ तय करते हैं कि घूमने जाने के लिए कौन सी जगह अच्छी है तथा जहाँ वे घूमने जा रहे हैं वहाँ के बारे में जानकारी भी इंटरनेट पर ही ढूँढते हैं। मैं भी इस तरह इंटरनेट पर ढूँढने वाला काम दो वर्षों से कर रहा हूँ और अब यह चलन बढ़ता भी जा रहा है, अधिक लोग इस तरह की सामग्री के लिए भी इंटरनेट की ओर रुख कर रहे हैं। और यह सब माल प्रोफेशनल लेखकों द्वारा असेम्बल किया गया नहीं है वरन्‌ अधिकतर यह माल स्वयं श्रोताओं द्वारा ही जमा किया गया है जो कि अपने-२ अनुभव दूसरों के साथ बाँटते हैं और दूसरों के अनुभवों से लाभ उठाते हैं। यानि कि कम्यूनिटी वाला मामला है कि सब एक दूसरे की सहायता कर रहे हैं।

अब इससे यहाँ एक अलग तरह का बाज़ार गर्मा रहा है, इस तरह का माल जमा करने के अड्डे बनाना, लोगों को आकर्षित करना कि वे आपके अड्डे पर आकर माल जमा करें और फिर विज्ञापन दिखा डॉलर कमाना, वैसे भी गूगल एडसेन्स ने यह सबके लिए काफ़ी आसान कर दिया है। लेकिन चूंकि विज्ञापन लगा माल कमाना आसान होता जा रहा है, बहुत से लोग क्विक मनी (quick money) यानि कि छापा और खर्चा टाइप तुरत-फुरत वाला पैसा कमाने के चक्कर में होते हैं। और वे जल्दी पैसे कैसे बना सकते हैं? जानकारी और माल की इंटरनेट पर कमी नहीं, भिन्न-२ जगहों से माल चोरी किया और उसको अपने अड्डे पर जमा कर पेश कर दिया और लो हो गई तुरत-फुरत आपकी वेबसाइट तैयार। बस अब विज्ञापन लगाओ और बोलो गूगलदेव ज़िन्दाबाद।

इस तरह की वारदातें पहले भी हो चुकी हैं, हिन्दी ब्लॉगजगत में भी कुछेक चोर आए जिन्होंने पहले से स्थापित लोकप्रिय अड्डों से माल उठा अपने अड्डों पर अपने नाम से छापा। मेरा माल भी चोरी हुआ था, भूतकाल में याहू भी इस हरकत में लीन हो चुका है

बहरहाल, अजय के लिखे लेख में एक नई वेबसाइट(मेरे लिए नई भई) राही.कॉम का पता चला तो मैं पहुँचा उस वेबसाइट पर। जून में हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट जाने का प्रोग्राम है तो सोचा कि इस वेबसाइट पर देखें वहाँ के बारे में कोई सामग्री है कि नहीं। तो वहाँ की जानकारी खोजते-२ मैं पहुँचा इस पन्ने पर जहाँ मुझे कुछ ऐसा माल दिखा:


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अब आप पूछेंगे कि इसमें क्या खराबी है? तो जनाब खराबी देखने के लिए हाईलाईट की गई पंक्तियाँ देखें और उनको पढ़ें, आपको लगेगा कि वाक्य अधूरे हैं, जानकारी का बहाव एकदम से रुक जाता है और फिर पता नहीं कहाँ से चल पड़ता है। मुझे भी यह अजीब लगा, और फिर संशय हुआ कि यह माल कहीं से चोरी किया गया है और ठीक से पूरा चोरी कर नहीं छपा है वरन्‌ कुछ भाग जल्दबाज़ी में छूट गए हैं। तो इन पंक्तियों को गूगल पर खोजा तो पहुँचा इस पन्ने पर जहाँ माल पूरा दिखा और विस्तृत दिखा।


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एक नज़र दोनों जगह मारने पर पता चल जाता है कि अमुक माल राही.कॉम पर चोरी का है और वह इस दूसरी वेबसाइट से उठाया गया है। चोरी भी किया जल्दबाज़ी में जिस कारण पूरा माल न छाप पाए जो कि चोरी की चुगली करने के लिए काफ़ी था। यदि पूरा कॉपी-पेस्ट मारते तो कदाचित्‌ यह निष्कर्ष निकालना कठिन हो जाता कि किसने किसका माल चोरी किया है लेकिन अधूरी चोरी ने राही.कॉम द्वारा की गई चोरी की पोल खोल दी।

यह सिर्फ़ एक चोरी का उदाहरण है, हो सकता है कि राही.कॉम पर ऐसे ही अन्य बहुत सा माल भी यहाँ वहाँ से चोरी किया हुआ हो। वैसे भी इस तरह माल चोरी कर छापने वाले बहुत हैं, विज्ञापनों की आई बाढ़ और हर किसी के प्रकाशक बन जाने की सुविधा को हर कोई कैश कराना चाहता है इसलिए ईज़ी मनी पाने वाले अनेक राही.कॉम हैं। क्या इस तरह की चोरियों पर लगाम लगाई जा सकती है? यह पूछना ठीक वैसे है जैसे यह पूछना कि क्या वास्तविक संसार के आधुनिक समाज में अपराध समाप्त हो गया है!! ढीठ और घुटे हुए अपराधियों को सिर्फ़ एक हद तक रोका जा सकता है, यह चूहे बिल्ली का खेल है और चूहा यानि कि अपराध आगे है। परन्तु चुप बिलकुल नहीं बैठना चाहिए, राही.कॉम(जो कि यात्रा.कॉम की वेबसाइट है) जैसी वेबसाइटों को बेनक़ाब कर बेइज़्ज़त अवश्य किया जा सकता है जिससे कि साख बिगड़ने के डर से वे चोरी करने से पहले दस बार सोचें!!