क्वानटम ऑफ़ सोलेस (Quantum of Solace) 6 नवंबर को भारत में रिलीज़ हुई, अमेरिका से पहले यह भारत में रिलीज़ हुई इससे कई लोगों की बाछें खिल गई। ऑफिशियली यह जेम्स बांड की बाईसवीं फिल्म है और पिछली फिल्म कसीनो रोयाल (Casino Royale) का अगला भाग है। तो बुकमाईशो पर मॉर्निंग शो की टिकट बुक करवाई (दिन के शो के मुकाबले पचास रूपए कम लगे) और रिलीज़ के अगले ही दिन यानि कि शनिवार 7 नवंबर को पहुँच गए फिल्म देखने।
कसीनो रोयाल के बारे में मैंने लिखा था कि फिल्म की कहानी ठीक ठाक है, सुन्दर जगहों पर फिल्माया गया है लेकिन नए नवेले बांड बने अभिनेता डेनिएल क्रेग का अभिनय कुछ खास न था। इस नई फिल्म क्वानटम ऑफ़ सोलेस में ठीक इसका विपरीत हुआ लगा। इस फिल्म में लोकेशन फालतू सी थीं क्योंकि उनको कहानी में फिट बैठाना था और कहानी का क्या कहें, मैंने इससे वाहियात कहानी वाली शायद ही कोई बांड फिल्म देखी हो (मैंने लगभग सभी बांड फिल्म देख रखी हैं एक-दो को छोड़ जिनको शीघ्र ही देखा जाएगा)!! सिर्फ़ एक बात जो इस फिल्म में अच्छी लगी वह थी डेनिएल क्रेग का अभिनय जो कि पिछली फिल्म के मुकाबले काफ़ी बेहतर लगा, डेनिएल ने काफ़ी मेहनत की है ऐसा साफ़ दिखाई दिया। अभिनय सधा हुआ था और एक खास बात इस फिल्म की यह लगी कि बांड का किरदार शो ऑफ़ (show off) करने की अपेक्षा काम पूरा करने की सोच लिए दिखा। इससे पहले ऐसा मैंने सिर्फ़ बीसवीं बांड फिल्म डाई अनदर डे (Die Another Day) में देखा था जिसमें बांड के किरदार को मेरे अभी तक के सबसे अधिक पसंदीदा बांड अभिनेता पियर्स ब्रॉसनेन ने निभाया था।
खैर, इस फिल्म पर आएँ तो बहुत ही वाहियात सी कहानी लिए हुए है। एक अमेरिकन कंपनी और उसका मालिक दक्षिण अमेरिकी देश बोलिविया के पानी पर कब्जे के चक्कर में होता है ताकि उस देश को ऊँचे दाम पर पानी बेच सके। इसके लिए वह एक तड़ीपार किए गए फौजी जनरल की मदद करता है ताकि जनरल देश की सत्ता पर काबिज़ हो सके और फिर जनरल से पानी खरीदने के करार पर दस्तखत करने को कहता है। जब जनरल आनाकानी दिखाता है तो विलेन जनरल को धमकाता है कि यदि दस्तखत नहीं किए तो जनरल का सहयोगी खुद जनरल को गोली मार देगा और मजबूरन जनरल दस्तखत कर देता है। मुझे यह समझ नहीं आया कि यदि विलेन इतना ही ताकतवर था तो इस जनरल को सत्ता पर बिठाकर क्या लाभ स्वयं अपना ही कोई बंदा क्यों नहीं बिठा दिया जो विलेन की सभी बातें आराम से मानता?? और बोलिविया जैसे फटीचर देश के पानी पर काबिज़ होकर कौन सी दौलत पाने की फिराक में था जब वह देश और उसकी जनता खुद ही गरीबी का शिकार है?? 🙄
कुल मिलाकर इस फिल्म के बारे में कहने को कुछ नहीं है, मामला एकदम बकवास और पैसे की बर्बादी दिखा। कहानी किसी नौसिखिए फालतू कहानीकार द्वारा लिखी गई जान पड़ी, लोकेशन आदि कहानी के साथ फिट बिठाई हुई थीं। इस फिल्म में भी पिछली फिल्म की ही भांति गैजेट्स आदि नहीं दिखाए गए हैं जिनसे कोई खास फर्क नहीं पड़ता। मुझे याद नहीं इससे पहले किसी बांड फिल्म में बांड गर्ल को कम ग्लैमरस दिखाया गया हो लेकिन इस वाली फिल्म में एक नया यह भी दिखा कि बांड गर्ल बनी यूक्रेनियन सुन्दरी ओल्गा कुरल्येन्को की सुन्दरता को दबा के कम ग्लैमरस दिखाया गया है। :tdown:
मैंने तो इस बात का शुक्र मनाया कि मॉर्निंग शो देखा और पचास रूपए बचा लिए वर्ना 115 की जगह 160 रूपए खर्च होते दिन वाले शो में। कायदे से तो मॉर्निंग शो वाले 115 रूपए भी बर्बाद ही गए इस फिल्म पर!!
रेटिंग की कहें तो मैं इसको पाँच में से सिर्फ़ एक अंक दूँगा और वह भी डेनिएल क्रेग के सुधरे हुए अभिनय के लिए जो कि इस फिल्म में अकेली अच्छी चीज़ दिखी, अन्यथा यह फिल्म पाँच में से शून्य की ही हकदार है!! :tdown:
Comments