आजकल हाल ये है कि कोई भी किसी भी चीज़ का गुरु बन जाता है, चाहे विषय के बारे में धेला नहीं पता हो लेकिन गुरु बन जाते हैं, जैसे मार्केटिंग गुरु, एडवरटाइज़िंग गुरु, मैनेजमेन्ट गुरु, टेक्नॉलोजी गुरु! अब इन्हीं को लीजिए, कुछ दिन पहले एक बड़े अख़बार में एक गैजेट गुरु (Gadget Guru) को पढ़ा, जनाब कैमरों पर क्या कमाल का ज्ञान रखते हैं और क्या कमाल की सलाह दे रहे थे, अपन तो भई क्लीन बोल्ड हो गए!! 🙄
ये गैजेट वाले गुरुजी सलाह दे रहे थे कि कैनन पॉवरशॉट जी9 (Canon Powershot G9) एक टॉप ऑफ़ द रेन्ज कैमरा है, इसमें 12 मेगापिक्सल हैं, वाह जी वाह!! साथ में इसकी महान फीचर बताते हैं कि इसमें मासिव (massive) यानि कि महाकाय 6x का ऑप्टिकल ज़ूम (optical zoom) है!! वाह जी वाह, ऐसी सलाहों पर तो हम जैसे निहाल हो जाएँ!! 🙄 यदि ये साहब सामने होते तो इनको बताता कि जनाब 10x के ऑप्टिकल ज़ूम वाले कैमरे आते ज़माना हो गया और अब तो 20x ऑप्टिकल ज़ूम वाले कैमरे भी आ गए हैं। तो किसी कैमरे के 6x ऑप्टिकल ज़ूम को महाकाय बताना और 12 मेगापिक्सल के कारण उसको टॉप ऑफ़ द लाइन कहना कहीं से भी समझदार आदमी की पहचान नहीं है खासतौर से तब जब वह व्यक्ति गुरु हो!! और तो छोड़िए, जब आगे पढ़ा तो तय कर लिया कि अच्छा ही है ये साहब सामने नहीं थे, ऐसे गुरुओं से मिलना मेरी खुद की तौहीन है। क्यों? इन साहब ने आगे लिखा कि यह कैनन पॉवरशॉट जी9 एक डीएसएलआर (DSLR) है!! 🙄 क्या मज़ाक हो रहा है? नहीं जी, अज्ञानी जनता को सरासर मूर्ख बनाया जा रहा है!!!
वैसे तो लगता नहीं कि इन साहब को इंटरनेट का ज्ञान होगा(यहीं कहीं इधर-उधर से थोड़ा बहुत ज्ञान हासिल कर गुरु बन गए दिखते हैं) लेकिन फिर भी यदि वे इस ब्लॉग को पढ़ रहे हों तो उनको बताना चाहूँगा कि जनाब अभी तक कैनन वालों ने पॉवरशॉट सीरीज़ में कोई डीएसएलआर नहीं निकाला है, यह उनकी प्वाइंट एण्ड शूट (Point and Shoot) कैमरों की रेन्ज है, डीएसएलआर उनके अभी तक ईओएस (EOS) सीरीज़ में ही आ रहे हैं!! अब आगे तो क्या कहें, इन गुरु जी ने निकोन (Nikon) के टंटपुँजिये से 3x ऑप्टिकल ज़ूम वाले (फीचर्स में)हल्के कैमरे भी टॉप ऑफ़ द लाइन में रखे हुए थे कदाचित् इसलिए कि उनका दाम पंद्रह हज़ार रुपए से अधिक था। खैर अपने को क्या, इन्हें ही मुबारक इनकी गुरुगिरी!!
लेकिन लगता है कि उस दिन मेरा महान लोगों से अप्रत्यक्ष (indirectly) रुप में रुबरु होने का ही दिन था। पिछली रात को स्टॉर न्यूज़ पर बारह बजे तीन देवियाँ देखना भूल गया था, मुझे पूरा विश्वास है कि टैरो नहीं तो चन्द्र राशिफल अन्यथा अंक ज्योतिष में तो अवश्य ही मेरे बारे में ऐसा कुछ बताया होगा कि मेरा महान लोगों से रुबरु होने का दिन है। 😀 पहले से पता होता तो हो सकता है कुछ जुगाड़ लगा मैं ऐसी अनहोनी होने से रोक देता! 😉
हाँ तो अभी दिन पूरा बीता नहीं था कि एक और महान आत्मा से अप्रत्यक्ष रुप में रुबरु हुआ। ये भारत की एक प्रसिद्ध टेक्नॉलोजी पत्रिका में डॉक्टर साहब हैं जो पाठकों के तकनीकी मर्ज़ का उपचार करते हैं। एक पाठक ने इनसे प्रश्न किया(जो उन्होंने छापा वही बता रहा हूँ):
डॉक्टर साहब….. डॉक्टर साहब….. लिनक्स में माउस के द्वारा ही किसी भी फाइल को कॉपी कर चिपका देने की सुविधा होती है, कीबोर्ड द्वारा Ctrl + C और Ctrl + V का झंझट ही नहीं होता। क्या माइक्रोसॉफ़्ट विन्डोज़ में भी ऐसी कोई सुविधा हो सकती है?
उत्तर में डॉक्टर साहब का कहना था कि यह सुविधा विन्डोज़ में पाने के लिए पाठक को टीएक्समाउस (TxMouse) नामक सॉफ़्टवेयर लगाना होगा। लगता है इन तथाकथित डॉक्टर साहब को यह नहीं पता कि लिनक्स में ग्राफिकल यूज़र इंटरफेस (Graphical User Interface) आने से काफी पहले से विन्डोज़ में माउस द्वारा किसी भी फाइल अथवा फोल्डर को कॉपी और पेस्ट करने की सुविधा मौजूद है!! सिर्फ़ फाइल अथवा फोल्डर को चुन के राइट-क्लिक करना होता है और कॉपी आदि के विकल्प हाज़िर हो जाते हैं, कीबोर्ड की आवश्यकता ही नहीं है इस कार्य के लिए। और यदि एक खिड़की से दूसरी खिड़की में कॉपी-पेस्ट करना हो तो फाइल/फोल्डर को चुन के माउस का दाहिना बटन दबाए हुए उसको दूसरी खिड़की में घसीट देने से फाइल/फोल्डर कॉपी हो जाता है!! आईला, ये तो फिल्म कोई मिल गया में रितिक रोशन को भी पता होता है, पर उसे यह तब पता चलता है जब जादू उसके दिमाग को विकसित करता है!! इन डॉक्टर साहब को भी लगता है वही मर्ज़ है पर जादू तो वापस गया, कोई नहीं, रितिक रोशन से जादू को बुलाने वाला कंप्यूटर लेकर बुला सकते हैं, रितिक भईया मना थोड़े ही करेंगे!! 😉 😀
और डॉक्टर साहब के साथ-२ मुझे लगता है कि इस सॉफ़्टवेयर को बनाने वाले जनाब को भी जादू से दिमाग का इलाज कराने की ज़रूरत है क्योंकि सॉफ़्टवेयर की वेबसाइट पर वे भी ऐसी ही अंट-शंट बातें कर रहे हैं कि विन्डोज़ में कॉपी-पेस्ट करने के लिए पहले माउस से माल को सेलेक्ट करना होता है फिर एडिट मेनू में जाना होता है और फिर कॉपी के विकल्प पर क्लिक करना होता है!! इन साहब को भी राइट-क्लिक मेनू का नहीं पता!!
यदि माइक्रोसॉफ़्ट वालों को यह पता चले तो वे लोग या तो हंस-हंस के पागल हो जाएँगे या अपना सिर पीट लेंगे!! अब इससे ख्याल आ रहा है कि अपने एक मित्र को, जो कि माइक्रोसॉफ़्ट में कार्यरत है, यह पोस्ट दिखा ही दूँगा, उसको भी हंसने के लिए एक बहाना मिल जाएगा दिन में, ही ही ही!! 😀
ऐसे गुरुओं और डॉक्टरों से बचकर रहने में ही भलाई है। लगता है कि यदि यही हाल रहा तो मैं टेक्नॉलोजी पत्रिकाएँ कुछ टेक्नॉलोजी पर पढ़ने की जगह मूर्खता भरे चुटकुले पढ़ने के लिए ले रहा होऊँगा और जल्द ही वह लेना भी बंद कर दूँगा, 125 रुपए में बेवकूफ़ नहीं हूँ कि चुटकुले की पत्रिका खरीदूँ, पंद्रह रुपए में अच्छी खासी पॉकेट बुक मिल जाती है चुटकुलों की!! 👿
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