अभी इंक ब्लॉगिंग का भूत दिमाग से उतरा नहीं कि मन में कुटिल विचार आया कि पुराने इश्टाईल में भी ज़रा ब्लॉग पर छाप देते हैं जैसा ऑनलाइन हिन्दी के प्रागैतिहासिक काल में हिन्दी टाइप कर उसकी इमेज बना वेबसाइट पर डाला जाता था ताकि वेबसाइट के पाठक हिन्दी पाठ को आराम से पढ़ सकें। यह उस दौर की बात है जब डॉयनामिक फाँट का युग नहीं आया था, एक तरह से कहा जा सकता है कि इंटरनेट पर हिन्दी का पाषाण युग था। अब हिन्दी फाँट आपके कंप्यूटर पर है, आपने टाइप कर लिया तो आपको दिख रहा है लेकिन किसी अन्य पाठक को वह पाठ पढ़ाना है तो या तो उसके कंप्यूटर पर भी वह फाँट हो अन्यथा कोई और जुगाड़। तो इस कोई और जुगाड़ के रूप में यही तरीका लोगों को समझ आया था कि इमेज फाइल बना के डाल दी जाए तो वह सबको सही दिखेगी भी और सभी लोग उसको पढ़ भी पाएँगे!! अब जैसे हस्तलिखित मसौदे को इमेज के रूप में छापने को