अभी कुछ दिन पहले ही विन्डोज़ वाला मोबाइल फोन लिया और उसके बाद लग गया उसके लिए कुछ मुफ़्त सॉफ़्टवेयर ढूँढने। सबसे पहले जीमेल का मोबाइल सॉफ़्टवेयर (Gmail Mobile App), गूगल मैप मोबाइल वर्ज़न (Google Maps Mobile), ऑपरा मिनी (Opera Mini) और याहू गो (Yahoo! Go) डालने थे क्योंकि मोबाइल के लिए मुफ़्त सॉफ़्टवेयर मुझे पहले से ये ही पता थे।

गूगल मैप का तो विन्डोज़ मोबाइल के लिए अलग सॉफ़्टवेयर है तो इसलिए उस पर जावा (Java) वाला वर्ज़न नहीं चलाना पड़ता जो कि अच्छी बात है क्योंकि अपने पिछले सिम्बिअन वाले फोन में उसको प्रयोग कर चुका हूँ, बहुत ही थका हुआ सॉफ़्टवेयर है!! तो गूगल मैप आराम से इंस्टॉल हो गया। इसी तरह पुन: शुक्र मनाया जब देखा कि याहू गो का भी विन्डोज़ मोबाइल सॉफ़्टवेयर उपलब्ध है, उसका भी जावा वाला वर्ज़न बहुत ही दुखी था, और ग्राफिकली सुन्दर होने के कारण हर काम में घंटे लेता था!! तो यह दोनों सॉफ़्टवेयर तो आराम से इंस्टॉल हो गए, अब बारी थी लफ्फाड़ी सॉफ़्टवेयरों की जो कि जावा में हैं। 😐

अब हुआ यूँ कि ऑपरा मिनी की वेबसाइट जब मोबाइल पर इंटरनेट एक्सप्लोरर (Internet Explorer) में खोली तो वह पहचान ही नहीं पाया कि कौन से ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) का मोबाइल फोन है और इसलिए उसने एक आम वर्ज़न की जावा फाइल का लिंक थमा दिया कि उसे डाउनलोड कर इंस्टॉल कर लिया जाए। मुझे बहुत आश्चर्य हुआ कि मोबाइल के लिए सॉफ़्टवेयर बनाने वाली कंपनी और ये लोग पन्ना खुलने पर यही पता नहीं लगा पा रहे कि मोबाइल पर कौन सा ऑपरेटिंग सिस्टम है, वह भी तब जब वह विन्डोज़ मोबाइल जैसा प्रसिद्ध ऑपरेटिंग सिस्टम है। 😕 खैर, इंस्टॉल करने के लिए लिंक पर क्लिक करा, और ऑपरा मिनी मोबाइल पर आराम से इंस्टॉल हो गया और चल भी पड़ा तो मैंने सोचा कि चलो क्या फर्क पड़ता है, काम तो बन गया और सॉफ़्टवेयर तो चल गया। 🙂

अब इसके बाद जीमेल इंस्टॉल करने के लिए उसकी वेबसाइट मोबाइल पर इंटरनेट एक्सप्लोरर में खोली तो उसने झट से पहचान लिया कि फोन विन्डोज़ मोबाइल पॉकेट पीसी (Windows Mobile Pocket PC) है और मैं मन ही मन मुस्कुराया कि यह गूगल बाबा हैं जो सब जानते हैं। इंस्टॉल करने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक किया और स्थापना की प्रक्रिया आरंभ हुई लेकिन प्रक्रिया बीच में ही रुक गई और सॉफ़्टवेयर इंस्टॉल न हुआ। 😮 कई बार प्रयास कर लिया लेकिन हर बार प्रक्रिया बीच में ही रुक जाती और इस कारण सॉफ़्टवेयर न इंस्टॉल हुआ!! 🙁

इसी को आएरनी (irony) कह लीजिए या मज़े की बात समझ ली जाए, कि एक ओर ऑपरा मिनी जो यह तो नहीं जाँच पाया कि मोबाइल पर कौन सा ऑपरेटिंग सिस्टम है लेकिन जो वास्तविक काम करना था वह उसने कर दिया और सॉफ़्टवेयर बिना दिक्कत इंस्टॉल भी हो गया और चल भी गया। वहीं दूसरी ओर गूगल की जीमेल का सॉफ़्टवेयर जिसकी वेबसाइट ने ऑपरेटिंग सिस्टम तो ठीक ठाक तरीके से जाँच लिया कि कौन सा है लेकिन उसका सॉफ़्टवेयर न चल के दिया, चलने की बात छोड़ो वह तो इंस्टॉल भी न हुआ!!

शायद इसलिए कहा जाता है कि कोई भी चीज़ पचास फालतू काम चाहे बेशक खूबसूरती से कर ले लेकिन जब मुख्य काम ही न हो तो वह बेकार है और दूसरी चीज़ चाहे कोई फालतू काम न करे लेकिन मुख्य काम जिसके लिए है वह कर ले तो वह बड़े काम की है!! 😉