इधर अभी तक के क्रिकेट इतिहास का सबसे मालदार टूर्नामेन्ट शुरु हुआ और उधर लोगों की बकबक भी चालू हो गई? क्या? अरे मैं आईपीएल (IPL) यानि कि इंडियन प्रीमियर लीग (Indian Premier League) की बात कर रहा हूँ भई। टीवी वाले राह चलते लोगों को रोक-२ उनके विचार इस बारे में प्रसारित करते रहे, कोई कुछ कहता तो कुछ, परन्तु अधिकतर एक ही तरह के विचारों को दिखाया गया। लोग बाग़ कहते हैं कि देशप्रेम चला गया, अब क्रिकेट को देखने का क्या फायदा। तो क्या क्रिकेट मनोरंजन की बजाय देशप्रेम के लिए देखा जाता है? खाना क्या ये लोग सिर्फ़ पेट भरने के लिए खाते हैं स्वाद के लिए नहीं? यदि नहीं तो सीधे गेहूँ काहे नहीं चबाते या आटा ही क्यों नहीं फाँक लेते, रोटी काहे सेंक के खाते हैं? और स्वाद बदलने के लिए आलू-पूरी और अन्य व्यंजन काहे खाते हैं? भई खेल को खेल की तरह देखो, मजा लो और भूल जाओ, काहे उसको देशप्रेम का पर्यायवाची बनाते हो!!
कुछ लोगों को देशप्रेम की टेन्शन नहीं है, उनको टेन्शन है कि इतना पैसा क्यों है और क्यों खिलाड़ियों को इतना पैसा मिल रहा है। अब जनाब मिल रहा है तो मिल रहा है, खिलाड़ी भी खून-पसीने और हक-हलाल की कमा रहे हैं फोकटी की नहीं। और खिलाड़ी लोग साल भर खेलते हैं, इनके पास अमूमन कोई स्पेशल क्वालिफिकेशन नहीं होती, दस-पंद्रह साल का मात्र इनका खिलाड़ी जीवन होता है(वह भी तब जब अच्छा प्रदर्शन करते रहें), नौकरी कर नहीं सकते, तो कमाएँगे खाएँगे क्या और अपने परिवार का पेट कैसे पालेंगे? और वो फ्री में आपको खेल काहे दिखा आपका मनोरंजन करेंगे? सड़क पर तमाशा थोड़े ही हो रहा है जिसको देख आप मज़ा भी ले लेंगे और पैसे दिए बिना ही पतली गली से निकल लेंगे!!
यह तो बात खैर थी लोगों की, लोगों का क्या है, हर टाइप के लोग हर जगह मिलते हैं। शुक्रवार को धूम धड़ाके से शाहरुख की कोलकाता टीम और भारतीय दारू सम्राट विजय माल्या की बैंगलोर टीम के मुकाबले से इस वर्ष की आईपीएल यानि कि इंडियन प्रीमियर लीग की शुरुआत हुई। कुछ बदसूरत सी चीयरलीडर कुड़ियाँ ठुमके लगाती भी कई बार दिखाई दीं, बाद में पता चला कि ये अमेरिकन नैशनल फुटबॉल लीग (NFL – National Football League) की टीम वाशिंग्टन रेडस्किन्स (Washington Redskins) की प्रसिद्ध चीयरलीडर थीं। अब काहे प्रसिद्ध हैं यह तो अपने को नहीं पता लेकिन ये बात समझ नहीं आई कि खिलाड़ियों पर क्या इतना अधिक पैसा खर्च दिया कि ढंग की चीयरलीडर बुलाना बजट में संभव न हो सका? या यहाँ भी बाबू गिरी के ढर्रे पर किसी ने इनका जुगाड़ कराया और इनको सबसे अधिक कमीशन मिलने के कारण लिया गया? अमां नैशनल फुटबॉल लीग लो या नैशनल बॉस्केटबॉल असोसिएशन (NBA – National Basketball Association) लो, हर किसी की लीग में एक से बढ़कर एक सुंदर चीयरलीडर हैं। विदेश छोड़ो, इससे सुंदर कुड़ियाँ तो अपने देश में ही मिल जाएँगी जो चीयरलीडर बनने को तैयार हो जाएँगी। और वैसे भी ये वाशिंग्टन रेडस्किन्स की चीयरलीडर्स की टोली सस्ते में तो आई नहीं होगी, तो काहे पैसा फेंकने पर भी भद्दा सामान लिया गया?!!
खैर अपने को क्या, कैसी भी चीयरलीडर आएँ, अपन तो मैच देखने में रुचि रखते हैं। कोलकाता नाईट राइडर्स ने जिस तरह बैंगलोर को धोया देख के मज़ा आ गया, तबियत फड़क उठी। साथ ही राहुल द्रविड़ पर तरस भी आया। क्यों? उसकी किस्मत पर नहीं वरन् बुद्धि पर। उस बंदे में 50 ओवर का खेल खेलने का माद्दा तो है नहीं पता नहीं क्या सोचकर उससे भी अधिक तड़कते-फड़कते 20 ओवर के खेल में आ गया!! और भारतीय टीम की कप्तानी का सबक इतनी जल्दी भूल गया कि माल्या का जहाज़ डुबाने के लिए उसकी कप्तानी ले ली? :tdown: कुछ लोग समझदार होते हैं जिनको अपनी सीमाएँ पता होती हैं जिनको वे पार नहीं कर सकते और वे शराफ़त से उनको स्वीकार कर लेते हैं, इसमें तो शर्म की भी कोई बात नहीं क्योंकि परफैक्ट कोई नहीं होता खामियाँ हर किसी में होती हैं। लेकिन कुछ लोग उद्दंड टाइप होते हैं जो इस गफ़लत में रहते हैं कि वे सब कुछ कर सकते हैं और बारंबार अपनी बेइज़्ज़ती तो कराते ही हैं साथ ही दूसरे का भी नुकसान कराते हैं। द्रविड़ को भी पैसा ही खींच लाया है आईपीएल में, सोचना भी ठीक है, चार दिन का खेल जीवन बचा है जितना बटोर सकें उतना बटोर लिया जाए माल ताकि भविष्य की टेन्शन न रहे। रिटायर होने के बाद किसी न किसी टीवी चैनल में कमेन्टेटर तो बन ही जाएँगे!! 😉
जहाँ तक माल बटोरने की बात है तो कहावत दोनों हाथों से माल बटोरने की होती है लेकिन अपनी बीसीसीआई (BCCI) ने तो उसमें भी चार चाँद लगा दिए, उसने तो चार हाथ अतिरिक्त लगा लिए हैं ताकि कम समय में अधिक माल बटोरा जाए और जल्दी-२ बटोरा जाए। आईपीएल को इन्होंने सोने का अंडा देने वाली मुर्गी बना दिया है जो सबको अंडे दे रही है, सबसे ज़्यादा बीसीसीआई को क्योंकि उनकी मुर्गी है। अब इन्होंने कनाडा की मीडिया कंपनी लाइव करंट मीडिया (Live Current Media) के साथ पाँच करोड़ डॉलर का सौदा किया है!! इस सौदे के मुताबिक अगले दस साल के लिए लाइव करंट मीडिया ने बीसीसीआई से इंटरनेट पर माल दिखाने तथा बेचने के संपूर्ण अधिकार यानि कि एक्सक्लूसिव राईट्स (exclusive rights) ले लिए हैं। बीस-बाईस कर्मचारियों की यह कंपनी सालाना कम से कम पचास लाख डॉलर की रक़म अदा करेगी; तीस लाख डॉलर आईपीएल को और बीस लाख डॉलर बीसीसीआई को। और इसी सौदे के अनुसार ये कंपनी आईपीएल की वेबसाइट iplt20.com तथा बीसीसीआई की वेबसाइट bcci.tv को संभालेगी और उससे माल कमाएगी। सालाना पचास लाख डॉलर की अदायगी के बाद जो बचेगा वह लाइव करंट मीडिया और बीसीसीआई में बाँटा जाएगा। कौन कहता है छोटों में दम नहीं होता?!! 😉 :tup: (अंग्रेज़ी में खबर यहाँ और यहाँ पढ़ें)
और उधर खबर मिली है कि इंग्लैन्ड में भी आईपीएल को लेकर काफ़ी हल्ला मचा हुआ है। काहे? अरे वहाँ ईसीबी यानि कि इंग्लैन्ड एण्ड वेल्स क्रिकेट बोर्ड ने अपने खिलाड़ियों पर पाबंदी लगा दी है कि उनमें से कोई आईपीएल में नहीं खेलेगा, कदाचित् बोर्ड को डर है कि इतना पैसा देख कहीं खिलाड़ियों के भाव न बढ़ जाएँ और कम पैसों में वे उसके लिए खेलना बंद न कर दें और यदि खिलाड़ी यहाँ खेलने आ गए तो उनके घरेलू टूर्नामेन्ट का क्या होगा, वहाँ क्या बंदर खेलेंगे!! 😉 वहीं दूसरी ओर इंग्लैन्ड के खिलाड़ी हल्ला मचा रहे हैं कि उनको क्यों नहीं आईपीएल में खेलने दिया जा रहा है, आखिर पैसा किसको बुरा लगता है और वह भी इतना पैसा जो कि कोई अन्य टूर्नामेन्ट नहीं देता!! इसलिए खिलाड़ियों की असोसिएशन भी बोर्ड को धमका रही है कि वह अपना रवैया बदले नहीं तो वे लोग भी उसको देख लेंगे!! अब इस वर्ष की गाड़ी तो निकल गई है उनकी, कदाचित् अगले वर्ष समय से स्टेशन पहुँच पकड़ सकें!! 😉
कुल मिला हर ओर क्रिकेट ही क्रिकेट है, जितना वर्ल्ड कप के लिए होता है उससे अधिक हल्ला अपनी घरेलू प्रतियोगिता के लिए है, ठीक वैसे ही जैसे योरोप में यूएफा के लिए होता है। जिन लोगों को देशप्रेम चाहिए उनको उस बात से खुशी नहीं होती कि आज विदेशों के बड़े-२ खिलाड़ी हमारी घरेलू प्रतियोगिता में खेलने के लिए मरे जा रहे हैं, हर तरह का काम कर रहे हैं, जैसे कि प्रीति ज़िन्टा ने तो ब्रैट ली को काउंटर पर बिठा टिकटें तक बिकवा दी!! 😀
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