सप्ताहांत है, नींद नहीं आ रही है। माताजी ने बेशक कामों की लंबी चौड़ी सूचि बना कर दे रखी है लेकिन सप्ताहांत आने पर मूड अपने आप रिलैक्स मोड में आ जाता है, रात को नींद भाग जाती है (दिन में आती है), काम पूरे नहीं होते (और फिर माताजी की फटकार सुनने को मिलती है)!! 😉

अभी भी नींद नहीं आ रही है, इसलिए ए.आर. रहमान साहब द्वारा कृत कुछ पुराने संगीत का शहद कानों में घोला जा रहा है और उपन्यास पढ़ा जा रहा है। आज के संगीत को छोड़ दिया जाए, रहमान साहब पहले बहुत झकास संगीत बनाए हैं। वर्षों पहले सीडी/कैसेट खरीदीं थी, आदतानुसार उनकी एक प्रति कंप्यूटर पर रख ली थी, अब सीडी/कैसेट पता नहीं कहाँ हैं, कोई ले गया या खराब हो गईं लेकिन डिजिटल प्रति एकदम चौकस हैं और अपनी स्कूल/कॉलेज के ज़माने में जेबखर्च जोड़कर की गई इन्वेस्टमेंट सुरक्षित है! :tup: