इस बार की परीक्षाओं में आखिरी पर्चा बचा है जो 19 जनवरी को है, तो इसलिए अभी बीच में चार दिन की राहत है, वैसे राहत कहाँ, कहने को ऑफिस से छुट्टी पर हैं लेकिन आज और कल ऑफिस के कुछ महत्वपूर्ण कार्य निपटाने हैं, पन्द्रह दिन से छुट्टी पर हैं तो ऑफिस को जुदाई सहन नहीं हो रही!!
उधर अनूप जी बारात कांड बाँचे तो इधर एक प्रश्न पुनः मुँह उठा सामने आ खड़ा हुआ जिसको मैं पिछले कुछ दिनों से टाल रहा था। फरवरी के आरंभ में मौसेरी बहन की शादी है, प्रश्न है कि क्या पहना जाए! तीन दिन फंक्शन है तो तीन दिन के लिबास पर ध्यान देना है। इधर घरवालों ने और एकाध मित्रगण ने डपट दिया कि हमेशा की तरह कम से कम शादी में मौजी बाबा बनकर मत जाना, थोड़ा सलीके के कपड़े पहन बन-ठन के जाना। कहा गया कि जिसकी शादी है उसका बन-ठन के जाना इतना महत्वपूर्ण न हो लेकिन शादियों में शिरकत करने वाले तुम जैसों का बन-ठन के जाना आवश्यक हो जाता है, कि क्या पता किसी लड़की वाले को तुम पसंद आ जाओ। तौबा!! 😕 और यही अविवाहित लड़कियों को भी झेलना पड़ता होगा!!
लेकिन फिर सोच में पड़ जाता है मन कि क्या बन-ठन के जाना, छोड़ो, वही मौजी बाबा टाइप बन के चल लेंगे! शादी के लिए बन-ठन के जाने का मतलब है इस रिसेशन (recession) वाली इकॉनमी (economy) में जेब पर मार, तगड़ी मार। पिताजी को सूट पहनने का शौक था और उन पर जँचता भी था लेकिन मैंने तो सिर्फ़ एक बार सूट पहना है, सात-आठ वर्ष की उम्र में दूसरे नंबर वाले मामाजी की शादी में पहनने के लिए सिलवाया था पिताजी ने बिलकुल अपने जैसा थ्री पीस सूट!! उसके बाद से आजतक कभी नहीं पहना। यदि एक ब्लेज़र लेकर जीन्स के साथ जोड़ा बना भी लिया जाए कि बन-ठन भी जाएँगे और मॉडर्न भी लगेंगे तो भी सस्ता सौदा न होगा। कुछ ही दिन पहले लुई फिलिप (Louis Philippe) के शोरूम में देखा था – कमबख्त छह-सात हज़ार से तो शुरु होते हैं!! 😮 अन्य देशी ब्रांड रेमण्ड (Raymond) भी कौन सी सस्ती है, पिताजी की बात अलग है, वो तो रेमण्ड की ही सलाह देते हैं आखिर वही उनकी पसंदीदा ब्रांड रही है सारी ज़िन्दगी!!
तो सोचते-२ विचार धारा विलायती बन-ठन से देशी बन-ठन पर आती है लेकिन आज के टैम में देशी बन-ठन विलायती बन-ठन से अधिक महँगी है। शेरवानी आदि का लिबास लिया गया तो भी सात-आठ हज़ार पानी में जाएँगे!! 😮 और फिर दिल्ली की सर्दी है, रात को तापमान अच्छे अच्छों की कड़का देता है, बन-ठन के चक्कर में कहीं अपनी भी न कड़क जाए, पहले ही खर्चे के कारण कड़क चुकी होगी!! 🙁 और फिर मेरी शादी थोड़े ही है, तो मैं अपनी जेब काहे कटवाऊँ!! 🙁
कुछ विचार निश्चित नहीं हो पा रहा, इसलिए इस प्रश्न को थोड़ा और आगे खिसका देते हैं। थोड़ा टैम बीत जाएगा तो बहाना मारा जा सकेगा कि भई टैम न निकला इसलिए बन-ठन न हो पाई तो मौजी बाबा इश्टाईल में हैं – टीशर्ट, जीन्स और जैकेट – जिसको न पसंद आए वो तेल ले, हमें क्या!! 😎
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