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विकट परिस्थितियों में से भी कुछ अच्छा निकल सकता है, ठीक वैसे ही जैसे कीचड़ में कमल खिलता है और आग में तपकर कुंदन बाहर आता है। एक नया दिन, और रीकिन्डल्ड स्पिरिट (rekindled spirit)।
On 23, Sep 2010 | 9 Comments | In Some Thoughts, कुछ विचार | By amit
विकट परिस्थितियों में से भी कुछ अच्छा निकल सकता है, ठीक वैसे ही जैसे कीचड़ में कमल खिलता है और आग में तपकर कुंदन बाहर आता है। एक नया दिन, और रीकिन्डल्ड स्पिरिट (rekindled spirit)।
खूबसूरत स्पिरिट है जी।
janmdin ki bahut bahut badhai
भैये …विचार तो अति उत्तम है !………साथ में जन्मदिन की बधाई भी ठेल रहा हूँ !!! क़ुबूल करें !
अमित जी,
आरज़ू चाँद सी निखर जाए,
ज़िंदगी से रौशनी से भर जाए,
बारिशें हों वहाँ पे खुशियों की,
जिस तरफ आपकी नज़र जाए।
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जन्मदिन की शुभकामनाएं 🙂
Bahut Khoob
Bahut Khoob
Shuaib
बहुत अच्छा विचार है!भैया हमको एक मोबाइल खरीदना है जो एण्ड्राएड 4.0 और फ्लेश प्लेयर व क्रोम ब्राऊजर युक्त हो, कीमत दस हजार के अंदर हो
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