खुशी का समावेश धन अथवा संपत्ति में नहीं है, यह वह भावना है जो आत्मा में बसती है

— डेमॉक्रिटस

वर्ष भर में वाकई काफ़ी कुछ बदल जाता है, चाहे पसंद हो या न हो, कई उतार चढ़ाव आ जाते हैं और वर्ष भर बाद पलट के देखने पर सारा लैंडस्केप (landscape) बदला-२ दिखाई पड़ता है। कुछ ऐसा ही मैंने पूरे तीन वर्ष पूर्व छपी ऐसी ही एक पोस्ट में ऑब्ज़र्व किया था, मेरे ख्याल से पुनः ऐसा करने पर कोई हर्ज़ न होगा, यह ऑब्ज़र्वेशन सही जान पड़ती है क्योंकि ऐसा होते मैंने देखा तथा महसूस किया है।

मन में, आत्मा में समाहित उस खुशी को समर्पित जिसकी तलाश जारी रहेगी। :tup: