कहाँ से मैं आया, मेरा परिचय क्या?
कौन हूँ मैं, मेरी पहचान क्या?
हड़प्पा भी मैं, मोहनजोदारो भी मैं,
बसाई सिंधु की सत्ता मैंने,
आर्य भी मैं, आक्रांता भी मैं,
उजाड़ी सिंधु की गलियाँ भी मैंने,
धृतराष्ट्र भी मैं, विदुर भी मैं,
कंस भी मैं, रणछोड़ भी मैं,
वीभत्सु भी मैं, दानवीर भी मैं,
मैं शिखण्डी, भीष्म भी मैं,
द्रोण भी मैं, धृष्टद्युम्न भी मैं,
मैं ही अभिमन्यु, परीक्षित भी मैं,
बुद्ध भी मैं, महावीर भी मैं,
मैं धननंद, डरपोक और विलासी,
अडिग पर्वत, पौरव भी मैं
मैं चंद्रगुप्त, चाणक्य भी मैं,
मैं अशोक, चण्ड अशोक,
सम्राट भी मैं, देव प्रिय भी मैं,
मैं समुद्रगुप्त, मैं विक्रमादित्य,
मैं कालिदास, आर्यभट भी मैं,
मैं ही पुलकेसि, युवा हर्षवर्धन भी मैं,
मैं दिल्ली की शान, वीर राजपूत पृथ्विराज चौहान,
मैं सखा मैं कवि, मैं ही चाँद बरदई,
कृष्णदेव भी मैं, तेनाली भी मैं,
मैं ही अलाऊद्दीन, मंगोल विजेता मैं,
पहर के साथ बदले मिजाज़ मेरा, सनकी तुग़लक जो मैं ठहरा,
मैं ही लोदी, मैं ही सांगा,
मैं ही कबीर, मैं ही मीरा,
मैं ही अकबर, प्रताप भी मैं,
मैं शाहजहाँ, रचियता ताजमहल का,
दारा शिकोह भी मैं, औरंगज़ेब भी मैं,
मैं ही शिवाजी, वीर मराठा, सिखाई जिसने शिव सूत्र की कला,
मैं ही कान्होजी, अजेय राज सागर पर मेरा,
मैं ही टीपू, मैं ही रणजीत,
मैं ही नाना, मैं ही मंगल,
वीरता है मेरी पहचान, लक्ष्मी और तात्या भी मेरे नाम,
मैं विवेकानंद, मैं राम मोहन,
मैं करतर सिंह सराभा, हुआ लड़कपन में अमर,
चला भागां वाला पदचिन्हों पर मेरे, अमरत्व की राह दिखाई मैंने,
मैं भगत, मैं सुखदेव, वीर मराठा राजगुरु भी मैं,
मैं बिस्मिल, मैं अश्फ़ाकुल्ला,
मैं गांधी, नेहरू भी मैं,
मैं ही बादशाह खान, पहचानो मुझे, मैं खान अब्दुल गफ़्फ़ार खान,
ऐ परदेसी, तू पूछे मेरा नाम,
सदियों में न समाए ऐसी मेरी पहचान,
मैं भारतीय, भारत मेरी जान।
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