कोई महीना भर पहले जीतू भाई ने स्मार्टफोन और टैबलेट खरीदने पर एक पोस्ट ठेली थी, पढ़ के लगा कि धर्मार्थ इसको और चमकाया जा सकता है, इसलिए जन सेवा हेतु इस पोस्ट को ठेला जा रहा है। (यह कतई न समझा जाए कि वीरान पड़े ब्लॉग में रौनक करने के लिए पोस्ट ठेली गई है)

यदि स्मार्टफोन की बात की जाए, तो क्या है यह स्मार्टफोन? स्मार्टफोन एक ऐसा मोबाइल फोन होता है जो कि एक उच्चस्तरीय मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम पर आधारित होता है और जिसमें फीचर फोन के मुकाबले अधिक कंप्यूटिंग क्षमता होती है।

 

आजकल फीचर-फोन कम और स्मार्टफोन अधिक दिखाई पड़ते हैं। स्मार्टफोन अब एक स्टेटस सिंबल नहीं रहा वरन्‌ रोज़मर्रा की ज़िंदगी का एक हिस्सा हो गया है। जिसको स्मार्टफोन का कुछ नहीं भी करना वह भी स्मार्टफोन ही लेता है। तो क्या आप भी नया स्मार्टफोन लेने की सोच रहे हैं? किसी अन्य चीज़ को खरीदने की ही भांति स्मार्टफोन खरीदने से पहले उपलब्ध विकल्पों को जान लेना आवश्यक है। स्मार्टफोन लेने में स्मार्टनेस दिखानी आवश्यक है, अन्यथा अनस्मार्ट होकर स्मार्टफोन लेने का क्या लाभ! 😉

स्मार्टफोन विभिन्न फ्लेवरों में आते हैं। किसी ज़माने में स्मार्टफोनों की दुनिया में सिम्बिअन (symbian) का डंका बजता था, लेकिन समय के साथ न चल पाने के कारण उसकी भैंस गई पानी में। ऐसा ही कुछ हाल आजकल ब्लैकबैरी (blackberry) का है, किसी ज़माने में इसका सिक्का चलता था लेकिन आज यह एक डूबता जहाज़ है। इसके कई पुराने आशिक आज भी इसका दामन थामें हुए हैं इस आस में कि नैय्या कभी तो किनारे लगेगी। अब लगेगी कि नहीं यह कहना इस समय कठिन है, हम फुल कॉन्फिडेन्स के साथ नहीं कह सकते कि पप्पू पास हो जाएगा। 😀

तो यदि श्योर शॉट वाली बात की जाए तो मैदान में तीन ही खिलाड़ी हैं:

एण्ड्रॉय्ड (android): गूगल का यह मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम लिनक्स पर आधारित है। आज के समय में यह सबसे अधिक तेज़ी से बढ़ता हुआ मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम है। इस पर चलने वाली एप्लीकेशन्स (apps) बहुतया हैं और फोन विक्लप हर श्रेणी में बहुत हैं। एण्ड्रॉय्ड को आप अपने अनुसार ढाल सकते हैं, अपनी पसंद के अनुसार इसको रूप देना आदि काफ़ी सरल है।

आईओएस (iOS): एप्पल का यह मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम उसके ओएस टैन (OS X) पर आधारित है जो कि स्वयं यूनिक्स पर आधारित है। यह साल भर पहले तक तेज़ी से बढ़ रहा था लेकिन पिछले वर्ष एण्ड्रॉय्ड ने इससे अधिक तेज़ी पकड़ ली। इस पर चलने वाली एप्लीकेशन्स (apps) बहुतया हैं परन्तु फोन विक्लप नहीं हैं, केवल एक ही फोन है जिसका हर साल नया संस्करण आता है। इसका रूप रंग एक ही है, आप इसको अपने अनुसार सरलता से नहीं बदल सकते। यह सब करने के लिए इस पर लगे ताले हटाने होंगे जिससे वारंटी समाप्त ही समझें। इसको प्रयोग करने पर यदि फोन सिग्नल ठीक नहीं आता तो समझ लीजिए कि आप फोन को गलत तरीके से पकड़ रहे हैं। एप्पल के पूर्व सीईओ ने कायदे से तरीका भी बताया था कि फोन को कैसे पकड़ना चाहिए! अब फोन पकड़ने की भी तमीज़ यदि आप में नहीं है तो स्मार्टफोन लेकर क्या कीजिएगा, पहले खुदे तो स्मार्ट बनिए! 😀

विण्डोज़ फोन (Windows Phone): माइक्रोसॉफ़्ट का यह मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम उसके विण्डोज़ परिवार का सदस्य है और विण्डोज़ सी ई (Windows CE) पर आधारित है। यह फिलहाल एक लड़खड़ाता खिलाड़ी है जो अपनी जगह बनाने का प्रयास कर रहा है। विण्डोज़ नाम से भ्रमित न हो जाइएगा, इसका आपके कंप्यूटर पर चलने वाली विण्डोज़ से कोई लेना देना नहीं है, सिर्फ़ नाम मात्र मिलता है। इस पर चलने वाली एप्लीकेशन्स (apps) की तादाद की बात करें तो यही कह सकते हैं फिलहाल कि बूंद-२ करे के ही गागर भरे है। 😉 विकल्पों की बात की जाए तो इसके फोनों में विकल्प कई मिल जाएँगे, एण्ड्रॉय्ड जितने न मिलें लेकिन फिर भी सैमसंग, एचटीसी और नोकिआ आदि के ठप्पे वाले कई फोन हैं।

तो यह तो बात हुई मोबाइल ट्रैक पर मौजूद घोड़ों की। आप किस पर अपना पैसा लगाते हैं यह पूर्णतया आप पर निर्भर है। अपना पैसा फिलहाल एण्ड्रॉय्ड पर है लेकिन विण्डोज़ फोन पर भी निगाहें सटी हुई हैं। इसके अतिरिक्त एक नया धाकड़ खिलाड़ी मैदान में उतरने वाला है – उबुन्टू (Ubuntu)। जी हाँ, लिनेक्स वाला उबुन्टू। उबुन्टू बनाने वाली कंपनी कैनोनिकल (Canonical) ने उबुन्टू का मोबाइल संस्करण तैयार किया है और इस वर्ष इसके फोन आने की आशा है। इसके साथ ही कैनोनिकल ने उबुन्टू के टैबलेट संस्करण की घोषणा भी कर दी है। अगले दो वर्ष में यह मौजूदा खिलाड़ियों को काँटे की टक्कर देने वाला खिलाड़ी साबित हो सकता है। :tup:

इसके अतिरिक्त एक अन्य बात आती है मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम के वर्ज़न की। यदि आपका बजट है तो लेटेस्ट वाला ले सकते हैं, लेकिन यदि बजट नहीं है तो लेटेस्ट से एक वर्ज़न पहले वाला ले लें। लेटेस्ट एण्ड ग्रेटेस्ट लेना कोई अति आवश्यक नहीं है। यदि आपको फोन निर्माता बाद में अपडेट नहीं भी देने वाला तो भी कोई खास फ़र्क नहीं पड़ता। लगभग सभी मौजूदा एप्प (app) एक वर्ज़न पहले वाले संस्करण पर सहज चलेंगे, और संभवतः आपने फोन दो साल बाद (या उससे काफ़ी पहले ही) बदल लेना है, तो ऐसा भी नहीं कि कयामत के दिन तक इसको प्रयोग करना है इसलिए लेटेस्ट लें।

तो मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम के चुनाव के साथ ही हार्डवेयर चुनाव की भी बात आती है। सबसे पहली बात आती है स्क्रीन की, 4 इंच लें या 4.3 इंच या 5 इंच या 5.5 इंच, या छोटा 3-3.5 इंच लें। पुराने टाइप के फोन में 3.5 इंच या उससे छोटी स्क्रीन चल जाती थी, लेकिन अब क्योंकि सिर्फ़ टचस्क्रीन होती है और बटन नहीं होते तो बड़ी स्क्रीन प्रैक्टिकल रहती है। छोटी स्क्रीन पर फोन प्रयोग करने में कठिनाई होती है, इसलिए कम से कम 4 इंच की स्क्रीन वाला फोन बेहतर रहता है। यदि प्रैक्टिकल बात करें तो 4 से 5 इंच के स्क्रीन वाले फोन फोन कहलाने लायक होते है, 5 इंच से बड़ी स्क्रीन और फिर फोन फोन नहीं रहता, अजीब लगता है अलग। अजूबे तो खैर हर जगह होते हैं। मैंने 7 इंच स्क्रीन और 10 इंच स्क्रीन वाले टैबलेट भी कान से लगाए लोगों को देखा है। ऐसे लोगों को अमूमन क्या कहा जाता है वह मैं यहाँ लिखना मुनासिब नहीं समझता, समझने वाले समझ ही गए होंगे! 😉 स्क्रीन के आकार के अतिरिक्त उसका प्रकार भी महत्वपूर्ण है। सामान्य एलसीडी (LCD) है या सुपर-एलसीडी (SLCD) है या फिर ऐमोलेड (AMOLED) है। ऐमोलेड स्क्रीन थोड़े अच्छे रंग दिखाती है और सबसे कम बैट्री चूसती है तथा वज़न में भी कम होती है, इसलिए फोन भी हल्का होता है। पहले इसको दिन में सूर्य के प्रकाश तले प्रयोग करने में दिक्कत होती थी लेकिन आजकल की ऐमोलेड स्क्रीन काफ़ी बेहतर हो गई हैं। मैंने तीनों तरह की स्क्रीन प्रयोग की हैं और मैं ऐमोलेड को अधिक पसंद करता हूँ, उसके बाद सुपर-एलसीडी, एलसीडी लेने का कोई लाभ नहीं है।

इसके बाद बात आती है प्रोसेसिंग और ग्राफिक चिप की। आजकल क्वाड कोर (4 कोर वाली चिप) का ज़माना है, जल्द ही डुअल क्वाड कोर (4 कोर वाली 2 चिप यानि 8 कोर) वाली चिप भी आ जाएँगी। नई चिप आते ही लोगों का मन उसी को लेने का करता है, इसी की चिप निर्माताओं को अपेक्षा होती है (वर्ना कमाएँगे कैसे) और मुझे दस एक साल पहले तक की कंप्यूटर इण्डस्ट्री याद आती है जब सेलेरॉन, पेंटियम, पेंटियम 2, पेंटियम 3, पेंटियम 4, डुअल कोर चिप के मामले में होड़ लगी होती थी। यहाँ लोग यह नहीं सोचते कि क्या उनको वाकई 4 कोर वाली चिप की फोन में आवश्यकता है? जितना चिप में दमखम होगा उतना ही वो बैट्री चूसेगी। मैंने सिंगल कोर, डुअल कोर, क्वाड कोर सब खरीदे हैं इसलिए इस विषय में अच्छा अनुमान है। फिलहाल क्वाड कोर चिप फोन में लेने की कोई तुक मुझे नज़र नहीं आती, यदि आप गेम आदि भी खेलते हैं तो भी डुअल कोर में आपका काम चल सकता है। फोन की स्क्रीन इतनी छोटी होती है कि कोई भी ढंग की प्रोसेसर खाऊ गेम उस पर खेलने में मज़ा नहीं आता। इसलिए फोन के मामले में मेरे अनुसार क्वाड कोर के पीछे न भागें, यदि कोई विकल्प नहीं है तो बात अलग है। बात एक अच्छे ग्राफिक चिप की भी है। आज के समय में सैमसंग की एक्सीनोस (exynos) चिप (आर्म कोर्टेक्स प्रोसेसर और माली ग्राफिक्स प्रोसेसर) तथा एनविडिया टेग्रा (nvidia tegra) से बेहतर कोई मोबाइल चिप नहीं है। इनके अलावा क्वालकाम का स्नैपड्रैगन (snapdragon) एक बड़ा खिलाड़ी है लेकिन उसके तिलों में वह तेल नहीं। मेरे पास पहले स्नैपड्रैगन वाला फोन था, अभी एक्सीनोस वाला फोन और एनविडिया टेग्रा वाला टैबलेट है, नए स्नैपड्रैगन वाले फोन भी मैंने प्रयोग कर देखे हैं। स्नैपड्रैगन तो ठीक चलता है लेकिन उसके साथ प्रयोग होने वाली अड्रेनो (adreno) ग्राफिक चिप क्वालिटी के मामले में कोई दम-खम वाली नहीं है।

अब यदि रैम (RAM) की बात करें तो यह जितनी ज़्यादा मिले उतना अच्छा। यदि आप एण्ड्रॉय्ड फोन ले रहे हैं तो 512 मेगाबाइट से कम रैम वाला फोन लेने की कोई तुक नहीं है, 1 गीगाबाइट मिले तो बहुत ही बढ़िया, आजकल 2 गीगाबाइट वाले फोन भी आ गए हैं। यदि आप विण्डोज़ फोन लेने की सोच रहे हैं तो मैंने 512 मेगाबाइट वाले फोन पर भी विण्डोज़ फोन ऑपरेटिंग सिस्टम को सरपट दौड़ते देखा है। :tup: आईओएस का ऐसा है कि उसके विषय में आपके पास कोई विकल्प नहीं है, एक ही फोन है, लेना हो तो लो वर्ना पतली गली से कट लो। 👿

इसके बाद स्टोरेज की बात करें तो फोन में कम से कम 8 गीगाबाइट होना आवश्यक है। यदि मेमोरी कार्ड लगाने की सुविधा नहीं है तो 16 गीगाबाइट तो होना ही चाहिए। वजह यह है कि आजकल के मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम अच्छी खासी जगह घेरते हैं, तो फोन की स्टोरेज में एक बड़ा हिस्सा तो ऑपरेटिंग सिस्टम ने ही घेर लेना है। फिर मामला यह है कि यदि आप अपने ऑपरेटिंग सिस्टम के ऑफिशियल एप्प स्टोर (app store) से एप्प (app) इंस्टॉल करते हैं तो आप मेमोरी कार्ड पर नहीं कर पाएँगे। बाद में आप उसको मेमोरी कार्ड पर स्थानांतरित कर सकें या नहीं वह अलग बात है। इसलिए यह न सोचें कि फोन पर 4 गीगाबाइट है तो कोई बात नहीं, मेमोरी कार्ड 32 गीगाबाइट का लगा के चक्क दे फट्टे कर लेंगे, क्योंकि ऐसे मामले में फोन निर्माता आपके फट्टे चक्क रहा है। बात यह है कि फोन वाली स्टोरेज चिप थोड़ी महंगी होती है, मेमोरी कार्ड जितनी सस्ती नहीं होती, इसलिए फोन निर्माता फोन की स्टोरेज कम रख अपनी लागत बचाते हैं।

अब यदि कैमरे की बात करें तो यह बात मैं अनेक बार अनेक लोगों को कह चुका हूँ, मेगापिक्सल ज़्यादा होना अच्छे कैमरे का मापदण्ड नहीं है। उदाहरण के लिए, अभी परसो लाँच हुए एचटीसी वन (HTC One) में चार मेगापिक्सल का कैमरा है लेकिन वह 12 मेगापिक्सल वाले फोन कैमरे को भी पानी पिला सकता है। मेगापिक्सल से अधिक लेन्स की गुणवत्ता और फोन में मौजूद कैमरे का सॉफ़्टवेयर मायने रखता है। फुल एचडी (HD 1080p) का रेज़ोल्यूशन 1920 x 1080 पिक्सल होता है, यानि सामान्यत: 2 मेगापिक्सल से ऊपर का कोई भी कैमरा फुल एचडी वीडियो खींच सकता है। लेन्स की गुणवत्ता के साथ इसलिए कैमरे के सेन्सर का महत्व है कि वह कितना बड़ा है और प्रति इंच कितने पिक्सल छाप रहा है (जितने ज़्यादा उतना बढ़िया)। तो यदि आपको मेगापिक्सल जानने हैं तो 3 मेगापिक्सल से ऊपर कोई भी चलेगा, मेगापिक्सल ना देख कैमरे की गुणवत्ता देखें (फोटो और वीडियो खींच कर)। यदि आप वीडियो कॉल फोन पर करते हैं तो आगे कैमरा होना आपके लिए आवश्यक है, यदि नहीं करते तो न होने पर आपको फर्क नहीं पड़ना चाहिए। :tup:

इन सब के अतिरिक्त वाईफाई (wifi) और 3जी आजकल सभी स्मार्टफोन में आम बात है। :tup:

जब आप कुछ संभावित उम्मीदवारों का चयन कर लें (अपने बजट और ऊपरलिखित ज्ञान के तराज़ू में तोल के) तो विश्वस्नीय सूत्रों द्वारा उनकी समीक्षाओं पर भी एक बार गौर करें। हर ऐरी गैरी वेबसाइट की समीक्षा को मान न दें और सिर्फ़ एक वेबसाइट की समीक्षा को ही सही न मान लें। कम से कम दो-तीन समीक्षकों के विचार जानें और पूर्णतया उनके विचारों को मानने की जगह उनके विचारों की सहायता से अपना निर्णय स्वयं लें। यदि आप दुकान में जाकर फोन देख सकते हैं तो अवश्य देखें, किसी परिचित के पास है तो प्रयोग कर अवश्य देखें और उस परिचित के विचार भी अवश्य पूछें। और कुछ नहीं तो यूट्यूब (youtube) पर उस फोन की वीडियो समीक्षा तो मिल ही जाएगी।

 
तो, किस बात की प्रतीक्षा है? जाईये और अपना स्मार्टफोन स्मार्टली चुनिए। यदि आपने स्मार्टफोन चुन लिया है तो अवश्य बताईये कि आपने स्मार्टली चुना या किसी अन्य क्रिया/प्रक्रिया आदि द्वारा चुना। 🙂