आमिर खान की लगान फिल्म में यह नारा था – ओ भईया क्यों दें लगान। वहाँ बात थी कि अंग्रेज़ हाकिमों को लगान क्यों दिया जाए जब उसके बदले में कुछ नहीं मिलता। तो ऐसे ही मन में आया कि आज के समय में हम टैक्स क्यों देते हैं? अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई में से एक हिस्सा टैक्स में देते हैं, जितनी अधिक मेहनत कर हम अधिक कमाते हैं उतना ही अधिक आयकर देते हैं। उसी तरह उस मेहनत की कमाई (जिस पर टैक्स ऑलरेडी दे चुके हैं) से कुछ खरीदते हैं तो सर्विस टैक्स और वैट (VAT) देते हैं। आखिर टैक्स देने से हमको क्या मिलता है?

 

आईडियली टैक्स इत्यादि सरकार को इसलिए दिए जाते हैं कि उस धनराशि का उपयोग जनता के हित में किया जाए। सड़कें, बिजली, पानी, सुरक्षा आदि में प्रयोग किया जाए। इस धनराशि को सीड कैपिटल की भांति प्रयोग कर सरकार व्यापार में लगाए ताकि अर्जित होने वाले मुनाफ़े को भी जनहित में उपयोग किया जा सके।

लेकिन हम टैक्स वास्तविकता में इसलिए देते हैं कि:

  • कुछ लोगों के सैर सपाटे का इंतज़ाम हो सके
  • कुछ लोगों के ऐशो आराम से जीवन यापन का प्रबंध हो सके
  • रिटायरमेंट फण्ड और वंशजों के लिए संपत्ति एकत्र की जा सके
  • हमसे धन लेकर चलने वाली सरकार मनमाने कानून अपनी इच्छा से बना हम पर थोप सके
  • रोड टैक्स तो हम दें लेकिन रोड की अपेक्षा न करें
  • टोल रोड पर टोल टैक्स दें चाहे रोड बनी हो अथवा न बनी हो
  • कुछ खास लोगों को खास सुविधाएँ मुहैय्या कराई जाएँ क्योंकि वे वोट बैंक हैं

टैक्स देने के कारण तो हमारे और भी हैं, क्या क्या गिनाया जाए। धन कमाने पर तो ऑलरेडी टैक्स देना पड़ता है, घर में रहते हैं तो उस पर भी टैक्स देते हैं। पानी पीते हैं तो उसके लिए भी देते हैं, खाना खाते हैं तो उस पर भी टैक्स देते हैं। बस अब प्रतीक्षा उस दिन की है जब सांस लेने पर भी टैक्स देना होगा।

मेरे मत अनुसार वोट देने का अधिकार एक प्रिविलेज होना चाहिए। उदाहरणत: जिसका पैन कार्ड बना हुआ है और जो आयकर रिटर्न फाइल करता है सिर्फ़ उसी को वोट देने का अधिकार मिलना चाहिए। यदि आप देश के प्रति योगदान नहीं देते हैं तो आपको देश चलाने के विषय में निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं होना चाहिए। किसी भी व्यक्ति को नागरिक अधिकार तभी मिलने चाहिए जब वह अपने नागरिक कर्तव्यों का पालन करता हो।

 

 

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