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द ग्रेट इंडियन ड्रामा .....

तमाशा….. नौटंकी….. सब को पसंद है, पर भारतीयों से अधिक किसी को पसंद है ऐसा मुझे नहीं लगता!! कहीं भी कुछ भी कोई बात हो, भारतीय लोग मजमा लगा नौटंकी देखने के लिए खड़े हो जाते हैं, उनके पास करने को कोई काम नहीं होता, कदाचित्‌ दुनिया में सबसे अधिक वेल्ले लोग हम भारतीय ही हैं!!

कैसे?

कुछ वर्ष पूर्व की बात है, इधर घर के पास एक मंदिर है और उसके बाहर सड़क किनारे एक नाली है। एक रोज़ सामान से लदी लॉरी गुज़र रही होगी कि किसी कारणवश उसकी बायीं ओर के अगले और पिछले पहिए नाली में चले गए और वह वहाँ पर फंस गई। निकल नहीं सकी तो ड्राईवर उसको वहीं छोड़ के चला गया होगा, अगले दिन उसको निकालने क्रेन आई। क्रेन वाले सामान को उतार कर लॉरी को नाली से निकालने का प्रयत्न कर रहे थे और आलम यह था कि आजू बाजू की सभी दुकान वाले आदि और सड़क पर चलते लोग घेरा बनाकर तमाशा देखने के लिए खड़े हो गए कि मानो क्रेन लॉरी को नाली से बाहर न निकाल रही हो वरन्‌ किसी फिल्मी हसीना का आईटम चल रहा हो!! सभी लोग ऐसी रूचि से उस रंगारंग कार्यक्रम को देख रहे थे कि जितनी रूचि से तो उन्होंने ज़िन्दगी में कदाचित्‌ ही कुछ देखा होगा। और बेतकल्लुफ़ी से ऐसे खड़े थे जैसे दुनिया जहान में उनको इससे अधिक महत्वपूर्ण कोई काम ही नहीं था!! 🙄

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ट्विट्टर और हिटलर.....

ट्विट्टर कदाचित्‌ सबसे लोकप्रिय माइक्रोब्लॉगिंग सेवा है। साथ ही शुरुआत में घटिया तरीके से बनाई जाने के कारण इसका कोड शापित है और इस वर्ष के शुरुआत से दो-तीन महीने पहले तक यह रोज़ाना बैठ जाती थी। हालात ऐसे हो गए थे कि ट्विट्टर की मैनेजमेन्ट ने अपने चीफ़ टेक्नॉलोजी ऑफिसर को दरवाज़ा दिखा दिया था जिसकी घटिया प्लानिंग के कारण यह सेवा रोगग्रस्त हो गई थी!! तो ट्विट्टर के इन रोज़ाना के डाऊनटाइम से बहुत लोग खफ़ा थे, आए दिन टीका टिप्पणी करती ब्लॉग पोस्ट कई लोकप्रिय तकनीकी ब्लॉगों पर आती रहती थी।

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तीन साल से चली आ रही बकबक.....

हम्म….. कल, 18 नवंबर 2008, इस ब्लॉग का हैप्पी बड्डे था, बोले तो तीन वर्ष पूर्व यानि कि 18 नवंबर 2005 को मैंने अपने पहले हिन्दी ब्लॉग पर पहली पोस्ट छापी थी। उस समय यह ब्लॉग वर्डप्रैस.कॉम नामक सेवा पर था और मैंने यूँ सोच आरंभ किया था कि ज़रा हिन्दी में भी ब्लॉगिंग आज़मा के देख ली जाए, यानि कि महज़ एक प्रयोग के तौर पर यह ब्लॉग चालू हुआ था जिसका दूसरा मकसद नई नवेली सेवा वर्डप्रैस.कॉम को जाँचना भी था यह देखने के लिए कि उसमें क्या अलग आता है वर्डप्रैस सॉफ़्टवेयर के मुकाबले। और फिर इस वर्ष 2 मार्च को इस ब्लॉग को यहाँ अपने डोमेन पर स्थानांतरित कर दिया

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On 18, Nov 2008 | No Comments | In कतरन | By amit

वेषभूषा को अनदेखा कर दें तो एक्ता कपूर द्वारा बनाया महाभारत का स्क्रीन वर्ज़न अच्छा लग रहा है – उसका आरंभिक गीत भी पसंद आया, बोल अच्छे हैं।

On 16, Nov 2008 | 2 Comments | In कतरन | By amit

एक बात जो मुझे मैथ्यू रेली (Matthew Reilly) के उपन्यासों में भाती है वह यह कि कहानी चाहे कितनी ही वाहियात क्यों न लगे, उनको पाठक को मंत्रमुग्ध कर बाँधे रखना आता है। उनके उपन्यास एक रोलरकोस्टर की सवारी की भांति होते हैं जो कि ना बीच में रुकती है न ही धीमी होती है, बस एक बार शुरु हो गई तो अनवरत चलती हुई अंत पर जाकर ही रुकती है!!

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On 14, Nov 2008 | 5 Comments | In कतरन | By amit

अभी गुड़गाँव के एक मॉल में एक व्यक्ति को पार्किंग के पैसे बचाने के लिए “स्टाफ़” चलाने की नाकाम कोशिश करते देखा!! तौबा, कैसे लोग होते हैं!!

ये है टच फ्लो 2D.....

अभी पिछले सप्ताह मैंने पोस्ट किया कि कैसे सात प्रयासों बाद टचफ्लो 2डी (TouchFlo 2D) को मोबाइल सही तरीके से स्थापित कर ही लिया तो समीर जी ने कहा कि उनके समझ में तो नहीं आया पर यह मान के चल रहे हैं कि मैं कह रहा हूँ तो कुछ अच्छा ही होगा। इतना विश्वसनीय समझने के लिए उनका बहुत आभार प्रकट करने पर मैंने कहा कि बताएँगे ही नहीं दिखा भी देंगे कि क्या मामला है।

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On 07, Nov 2008 | 2 Comments | In कतरन | By amit

यूट्यूब दिखाएगा फीचर फिल्में एक बड़े हॉलीवुड स्टूडियो की अगले माह से – http://is.gd/6uzf – बहुत ही दिल्चस्प खबर – शायद क्रांतिकारी भी!!

On 06, Nov 2008 | 4 Comments | In कतरन | By amit

सात प्रयासों के बाद आखिरकार टचफ्लो 2डी मोबाइल पर सही तरीके से स्थापित – गैर ज़रूरी हिस्से नहीं डाले – मामला धीमा लगे है लेकिन काम चलाऊ है!!

पढ़ो और फिर याद रखो.....

साभार Overig

दो महीने पहले स्निग्धा ने मुझे टैग किया और कहा कि अपनी पढ़ी हुई किताबों में से पाँच कथन उद्धृत (quote) करूँ!! मैंने कहा कि अच्छा कर देंगे लेकिन बेध्यानी ऐसी कि बात दिमाग से ही निकल गई। अब जब पुनः एक बार टैग किया गया तब ध्यान आया कि अभी तो पिछला बकाया है। उधारी रखने की शिक्षा मिली नहीं कभी इसलिए पूरी ईमानदारी के साथ पहले वाला टैग निपटाने की ठानी ताकि आगे के मामले को भी सुलट सकें!! 😉

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