सात प्रयासों के बाद आखिरकार टचफ्लो 2डी मोबाइल पर सही तरीके से स्थापित – गैर ज़रूरी हिस्से नहीं डाले – मामला धीमा लगे है लेकिन काम चलाऊ है!!
पढ़ो और फिर याद रखो.....
On 04, Nov 2008 | 13 Comments | In Some Thoughts, कुछ विचार | By amit
साभार Overig
दो महीने पहले स्निग्धा ने मुझे टैग किया और कहा कि अपनी पढ़ी हुई किताबों में से पाँच कथन उद्धृत (quote) करूँ!! मैंने कहा कि अच्छा कर देंगे लेकिन बेध्यानी ऐसी कि बात दिमाग से ही निकल गई। अब जब पुनः एक बार टैग किया गया तब ध्यान आया कि अभी तो पिछला बकाया है। उधारी रखने की शिक्षा मिली नहीं कभी इसलिए पूरी ईमानदारी के साथ पहले वाला टैग निपटाने की ठानी ताकि आगे के मामले को भी सुलट सकें!! 😉
बुडापेस्ट - एक सफ़रनामा - भाग २
….. पिछले भाग से आगे
हॉस्टल वालों की ओर से भेजे गए व्यक्ति की फिएट पुन्टो (Fiat Punto) में सवार हो अपन हॉस्टल की ओर बढ़े चले जा रहे थे। सड़कें काफ़ी चौड़ी और सपाट थी, दिल्ली के सड़क से सजे गड्ढे नहीं नज़र आए, आधे घंटे की उस सवारी में मैं प्रतीक्षा करता रहा कि अब झटका लगेगा, अब कोई गड्ढा आएगा, लेकिन सड़क निकलती जा रही थी और मुझे टेन्शन होते जा रही थी कि क्या वाकई गाड़ी सड़क पर चल रही है!! मन में आशंका हुई कि कहीं इस गाड़ी में बड़े बोस साहब का सस्पेन्शन (suspension) सिस्टम तो नहीं लगा जो गाड़ी में बैठे लोगों को गड्ढे का एहसास ही न होने देता हो, मन में आया कि ड्राईवर से पूछ लूँ लेकिन फिर यह सोच के रह गया कि अभी तो वह एक रिसर्च प्रोजेक्ट ही है इसलिए प्रोडक्शन में न आया होगा। कौतूहल था ही इसलिए खिड़की से बाहर भी सब देख रहा था, जगह-२ बड़े-२ विज्ञापन वाले होर्डिंग दिखाई दे जाते, कोई मोबाइल फोन बेचने का होता तो कोई गाड़ी का, एक समानता जो उन सब में देखी वह यह कि सभी विज्ञापन माग्यार (Magyar) भाषा में थे, अंग्रेज़ी में कोई न दिखा। और तो और, सड़क चौराहों आदि पर लगे निर्देश आदि भी सभी माग्यार भाषा में थे!! कुछ लोग इसको निज भाषा प्रेम कहेंगे जो कि गलत नहीं है लेकिन यह साथ ही साथ पर्यटन के लिए बुरा है, पर्यटकों से माग्यार भाषा की समझ की अपेक्षा करना निरी मूर्खता से अधिक नहीं। इस लिहाज़ से दिल्ली बहुत अच्छी है जहाँ पर्यटक भटक न जाएँ इसका पूरा ख्याल रखा हुआ है और सड़कों आदि पर दिशा निर्देश वगैरह हिन्दी के साथ-२ अंग्रेज़ी में भी हैं!!
इंक ब्लॉगिंग एक लफ़ड़ा.....
On 31, Oct 2008 | 11 Comments | In Blogging, Mindless Rants, ब्लॉगिंग, फ़ालतू बड़बड़ | By amit
डिजिटल इंक ब्लॉगिंग.....
On 30, Oct 2008 | 6 Comments | In Blogging, Technology, टेक्नॉलोजी, ब्लॉगिंग | By amit
On 29, Oct 2008 | 6 Comments | In कतरन | By amit
आज पहली महिला ड्राईवर देखी जिसने मुझे कुचलने का प्रयास नहीं किया जब मैंने उसकी गाड़ी को ओवरटेक किया। लगता है समय बदल रहा है फॉर गुड!! 🙂
On 28, Oct 2008 | 8 Comments | In कतरन | By amit
शुभ दीपावली
On 27, Oct 2008 | 5 Comments | In कतरन | By amit
इन छुट्टियों में कुछ ब्लॉग पोस्ट पहले से ही लिख के रख लेने का इरादा है। और अभी तो खजुराहो तथा ओरछा की फोटुओं को भी प्रोसेस करना बाकी है!! 😐
On 27, Oct 2008 | 5 Comments | In कतरन | By amit
मोबाइल में बारकोड स्कैनर सॉफ़्टवेयर डाला है – कंप्यूटर स्क्रीन पर मौजूद बारकोड एक के बाद एक आराम से पढ़ रहा है – पूरी तरह झकास चीज़ है!! 🙂
