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बुडापेस्ट - एक सफ़रनामा - भाग २

….. पिछले भाग से आगे

हॉस्टल वालों की ओर से भेजे गए व्यक्ति की फिएट पुन्टो (Fiat Punto) में सवार हो अपन हॉस्टल की ओर बढ़े चले जा रहे थे। सड़कें काफ़ी चौड़ी और सपाट थी, दिल्ली के सड़क से सजे गड्ढे नहीं नज़र आए, आधे घंटे की उस सवारी में मैं प्रतीक्षा करता रहा कि अब झटका लगेगा, अब कोई गड्ढा आएगा, लेकिन सड़क निकलती जा रही थी और मुझे टेन्शन होते जा रही थी कि क्या वाकई गाड़ी सड़क पर चल रही है!! मन में आशंका हुई कि कहीं इस गाड़ी में बड़े बोस साहब का सस्पेन्शन (suspension) सिस्टम तो नहीं लगा जो गाड़ी में बैठे लोगों को गड्ढे का एहसास ही न होने देता हो, मन में आया कि ड्राईवर से पूछ लूँ लेकिन फिर यह सोच के रह गया कि अभी तो वह एक रिसर्च प्रोजेक्ट ही है इसलिए प्रोडक्शन में न आया होगा। कौतूहल था ही इसलिए खिड़की से बाहर भी सब देख रहा था, जगह-२ बड़े-२ विज्ञापन वाले होर्डिंग दिखाई दे जाते, कोई मोबाइल फोन बेचने का होता तो कोई गाड़ी का, एक समानता जो उन सब में देखी वह यह कि सभी विज्ञापन माग्यार (Magyar) भाषा में थे, अंग्रेज़ी में कोई न दिखा। और तो और, सड़क चौराहों आदि पर लगे निर्देश आदि भी सभी माग्यार भाषा में थे!! कुछ लोग इसको निज भाषा प्रेम कहेंगे जो कि गलत नहीं है लेकिन यह साथ ही साथ पर्यटन के लिए बुरा है, पर्यटकों से माग्यार भाषा की समझ की अपेक्षा करना निरी मूर्खता से अधिक नहीं। इस लिहाज़ से दिल्ली बहुत अच्छी है जहाँ पर्यटक भटक न जाएँ इसका पूरा ख्याल रखा हुआ है और सड़कों आदि पर दिशा निर्देश वगैरह हिन्दी के साथ-२ अंग्रेज़ी में भी हैं!!

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On 29, Oct 2008 | 6 Comments | In कतरन | By amit

आज पहली महिला ड्राईवर देखी जिसने मुझे कुचलने का प्रयास नहीं किया जब मैंने उसकी गाड़ी को ओवरटेक किया। लगता है समय बदल रहा है फॉर गुड!! 🙂

On 28, Oct 2008 | 8 Comments | In कतरन | By amit

 

 

हम सभी के लिए यह दीपावली मंगलमयी हो इसी मंगलकामना के साथ

शुभ दीपावली

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On 27, Oct 2008 | 5 Comments | In कतरन | By amit

इन छुट्टियों में कुछ ब्लॉग पोस्ट पहले से ही लिख के रख लेने का इरादा है। और अभी तो खजुराहो तथा ओरछा की फोटुओं को भी प्रोसेस करना बाकी है!! 😐

On 27, Oct 2008 | 5 Comments | In कतरन | By amit

मोबाइल में बारकोड स्कैनर सॉफ़्टवेयर डाला है – कंप्यूटर स्क्रीन पर मौजूद बारकोड एक के बाद एक आराम से पढ़ रहा है – पूरी तरह झकास चीज़ है!! 🙂

On 25, Oct 2008 | 4 Comments | In कतरन | By amit

त्योहारों का मौसम क्या आया मानों हर अनाड़ी एक गाड़ी लेकर दिल्ली की सड़कों पर उतर आया है और पहले से ही फटेहाल यातायात की और वाट लग गई है!!

On 24, Oct 2008 | 4 Comments | In कतरन | By amit

बस 2 घंटे का ऑफिस का काम और रह गया है, उसके बाद सप्ताह भर की छुट्टी। बॉस को कोई खासी प्रसन्नता नहीं है इस बात से, इसलिए क्योंकि वह भारतीय नहीं और मेरी तरह छुट्टी नहीं मना सकता, इसलिए हिटलरी हुक्म ज़ारी हुआ कि सप्ताह भर बेशक मौज ले लो लेकिन अगले सप्ताह शुक्रवार को तो काम करोगे ही साथ ही सप्ताहांत को भी करोगे!! इतना सारा काम पड़ा है और तुमको सप्ताह भर की मौज चाहिए जैसा भाव!! भागते चोर की लंगोट अच्छी के सिद्धांत में अपना विश्वास इसलिए हामी भर दी यह सोच कि चलो पहले सप्ताह भर का अवकाश तो मना ही लें, बाद की बाद में देखी जाएगी!! 😉

तो अब अपना दिमाग स्वतः ही लगा हुआ है सूचि बनाने में कि इस सप्ताह में क्या-२ कार्य निपटाने हैं, कौन-२ से कार्य हैं जो हो सकते हैं और फिर उनमें से कौन सा कितना महत्वपूर्ण है!! सबसे पहले तो मोबाइल फोन को फॉर्मेट मार के साफ़ करना है और दोबारा सैट करना है, बहुत कचरा डाल दिया है इस पर पिछले दो महीने में वो सब साफ़ किया जाएगा (ताकि नया कचरा आ सके)!! उसके बाद?? हुम्म….. दिमाग एनालाइज़ और प्रोसेस कर रहा है, बस डर यह है कि कहीं यही सब न करते रह जाए सप्ताह भर!! 😉