स्काइप अब मोबाइल पर भी, अंतर्राष्ट्रीय कॉल इससे काफ़ी सस्ती पड़ेंगी – अभी यह भारत में नहीं आया है, जल्द आए तो मज़ा आ जाए – http://is.gd/amP
वर्ड वेरिफिकेशन की दीवानगी या सनक?
On 30, Apr 2008 | 7 Comments | In Mindless Rants, Technology, टेक्नॉलोजी, फ़ालतू बड़बड़ | By amit
हर किसी के सब्र की एक सीमा होती है, जब वह सीमा पार हो जाती है तो व्यक्ति झल्ला जाता है। समीर जी ने भी वर्ड वेरिफिकेशन (word verification) यानि कि कैप्चा (captcha) से पीड़ित हो अपनी झल्लाहट निकाल ही दी। 😉
वास्तव में कैप्चा यानि कि वर्ड वेरिफिकेशन का प्रयोग इसलिए होने लगा क्योंकि अवांछनीय माल, जिसे स्पैम भी कहा जाता है, की सप्लाई स्वचालित कंप्यूटर प्रोग्रामों (automated computer programs) द्वारा बहुत अधिक बढ़ गई थी। अब समीर जी ने तो सुझाव दिया है कि भई मॉडरेशन लगा लो, काहे लोगों को ऊलजलूल अक्षर पढ़ने/लिखने को कहते हो, परन्तु यह सुझाव सिर्फ़ कम ट्रैफिक वाले ब्लॉग के लिए ही कारगर है। क्यों? वह इसलिए कि यदि आपके ब्लॉग पर रोज़ की 100-200 स्पैम टिप्पणियाँ आती हैं तो दिन का अच्छा खासा समय आप वायग्रा और अन्य दवाओं की टिप्पणी पढ़ने और उनमें से प्रकाशनीय टिप्पणियाँ छाँटने में ही लगा देंगे। फिर अपने ब्लॉग पर लिखेंगे कब और दूसरे ब्लॉग पढ़ेंगे कब? यह मैं अपने निजी अनुभव से कह रहा हूँ क्योंकि ऐसी स्थिति मैं लगभग चार वर्ष पूर्व भुगत चुका हूँ जब अपने ब्लॉग पर मैं मॉडरेशन लगाए हुए था। ऐसा नहीं है कि वर्ड वेरिफिकेशन ही एकमात्र उपाय है परन्तु यह उपाय लगाने में सरल है और इसकी सफलता की दर ऊँची है।
On 29, Apr 2008 | 2 Comments | In Sports, कतरन, खेल | By amit
और लो, मुम्बई ने आखिरकार अपना जीत का खाता खोला, कोलकाता को 7 विकेट से रौंद डाला!! अब मौजूदा हाल में चेन्नई ही सबसे ताकतवर टीम नज़र आ रही है!!
On 29, Apr 2008 | No Comments | In Sports, कतरन, खेल | By amit
शुरुआती चढ़ाई के बाद कोलकाता नाइट राइडर्स ने अब नीचे जाना शुरु कर दिया है – लगातार दूसरा मैच एक घसियारी टीम से हारने की कगार पर; लानत है!!
ई का हो रहा है भई?
On 21, Apr 2008 | 5 Comments | In Sports, खेल | By amit
इधर अभी तक के क्रिकेट इतिहास का सबसे मालदार टूर्नामेन्ट शुरु हुआ और उधर लोगों की बकबक भी चालू हो गई? क्या? अरे मैं आईपीएल (IPL) यानि कि इंडियन प्रीमियर लीग (Indian Premier League) की बात कर रहा हूँ भई। टीवी वाले राह चलते लोगों को रोक-२ उनके विचार इस बारे में प्रसारित करते रहे, कोई कुछ कहता तो कुछ, परन्तु अधिकतर एक ही तरह के विचारों को दिखाया गया। लोग बाग़ कहते हैं कि देशप्रेम चला गया, अब क्रिकेट को देखने का क्या फायदा। तो क्या क्रिकेट मनोरंजन की बजाय देशप्रेम के लिए देखा जाता है? खाना क्या ये लोग सिर्फ़ पेट भरने के लिए खाते हैं स्वाद के लिए नहीं? यदि नहीं तो सीधे गेहूँ काहे नहीं चबाते या आटा ही क्यों नहीं फाँक लेते, रोटी काहे सेंक के खाते हैं? और स्वाद बदलने के लिए आलू-पूरी और अन्य व्यंजन काहे खाते हैं? भई खेल को खेल की तरह देखो, मजा लो और भूल जाओ, काहे उसको देशप्रेम का पर्यायवाची बनाते हो!!
वर्डप्रैस अपग्रेड टेन्शन रहित
On 17, Apr 2008 | 2 Comments | In Blogging, Technology, टेक्नॉलोजी, ब्लॉगिंग | By amit
लो, जीतू भाई वर्डप्रैस अपग्रेड करने के लिए आसान जुगाड़ बता ही चुके हैं। लेकिन फिर भी इस जुगाड़ में थोड़ी मेहनत तो करनी ही पड़ती है, कई बार क्लिकियाना तो पड़ता ही है, चाहे बैकअप लेने के लिए या अगले पन्ने पर जाने के लिए!! क्या यह बेहतर न होगा कि यदि यह थोड़ा और आसान हो जाए, एक ही क्लिक में बैकअप भी हो जाए और अपग्रेड भी हो जाए, मतलब आप एक ही क्लिक करें और सब काम हो जाए। आईटी ने सबको आलसी बनाने का ठेका लिया है तो क्यों ना थोड़े और आलसी बन जाएँ? 😉 😀
On 16, Apr 2008 | No Comments | In कतरन | By amit
भेजिए भविष्य में ईमेल – http://www.timemachiner.com/
On 16, Apr 2008 | No Comments | In कतरन | By amit
फोकट का संगीत क्रिएटिव कॉमन्स लाइसेन्स के अंतर्गत – http://ccmixter.org/
बलात्कार हुआ तो क्या हुआ .....
यह कार्टून दर्शाता है अपनी पुलिस का रवैया। एक ही शहर के दो थाने आपस में एक दूसरे पर मामला टालते रहे अधिकार-क्षेत्र का बहाना लेकर और जिस 17 वर्षीय लड़की का बलात्कार हुआ उसके माता-पिता काटते रहे इन दोनों थानों के चक्कर। 🙄 👿 अंग्रेज़ी में समाचार यहाँ पढ़ें।
On 11, Apr 2008 | No Comments | In कतरन | By amit
याहू की बैन्ड बजाने वाली कई वजहों में से एक – मैनेजमैन्ट का औकात से ऊँचे बोल बोलना और कर्मचारियों का उनको गलत सबित करना – http://is.gd/5kN