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On 29, Mar 2008 | No Comments | In कतरन | By amit

1 अक्तूबर से वेरीसाइन .com और .net डोमेन के भाव बढ़ा देगा जिस कारण सभी रजिस्ट्रारों को दाम बढ़ाने पड़ेंगे – http://is.gd/3fN

On 28, Mar 2008 | No Comments | In कतरन | By amit

सर डॉन के अतिरिक्त सहवाग अकेला बल्लेबाज़ जिसने लगातार दो सत्रों में 100-100 रन बनाए

On 28, Mar 2008 | No Comments | In कतरन | By amit

सहवाग ने फिर ठोके 300 रन, इस बार रिकॉर्ड कायम किया सबसे तेज़ ट्रिपल सेन्चुरी का!!

On 27, Mar 2008 | No Comments | In कतरन | By amit

आखिरकार मोटोरोला मोबाइल फोन विभाग को अलग कंपनी में तब्दील करेगा – गिरते बिक्रीदर के चलते यह आश्चर्य की बात नहीं – http://rurl.org/m3z

On 27, Mar 2008 | No Comments | In कतरन | By amit

अडोबी फोटोशॉप का ऑनलाइन मुफ़्त संस्करण – बेसिक लेकिन फोटो आदि सुधारने के लिहाज़ से काम चलाऊ – http://www.photoshop.com/express/

On 20, Mar 2008 | No Comments | In कतरन | By amit

कुछ बेहतरीन तस्वीरें – फोटोग्राफर ने कमाल का काम किया है – http://rurl.org/lbp

हवाई सफ़र - गूगल एनालिटिक्स को भी थाम लिया

परसों बताए रहे अडोबी की हवा और ट्वहिर्ल के बारे में, लोग बाग कुछ खास इंप्रैस नाही हुए रहे। अब कोई बात नहीं यदि प्रभावित नहीं हुए तो, ऊ तो महज़ परिचय था, तड़का तो अभी लगना बाकी है।

तो चलिए अपन चलते हैं हवाई सफ़र के अगले पड़ाव पर और देखते हैं गूगल एनालिटिक्स सुईट (Google Analytics Suite) को जो कि दमदार दिखे है। अब यदि आपको यह नहीं पता कि गूगल एनालिटिक्स क्या बला है तो जनाब साइटमीटर (sitemeter) और स्टैटकाउंटर (statcounter) नाम के जुगाड़ों से आगे बढ़िए दुनिया वहीं तक सीमित नहीं है, अपने गूगल बाबा यहाँ भी अपने हाथ-पैर सभी फैला के बैठे आपकी बाट जोह रहे हैं कि आप उनके फ्री के जुगाड़ को इस्तेमाल करें जिसको उन्होंने तगड़ा रोकड़ा खर्च कर दूसरी कंपनी को खरीद हासिल किया था। जो लोग ब्लॉगस्पॉट पर अड्डा बनाए बैठे हैं वे तो सीधे ही इसका कोड अपनी टेम्पलेट में डाल सकते हैं, वर्डप्रैस वालों के लिए(.कॉम नहीं, अपने सर्वर पर सॉफ़्टवेयर वाले) यह मुफ़्त प्लगिन है – अल्टीमेट जीए (Ultimate GA) – जिसको इंस्टॉल कर अपनी साइट का एनालिटिक्स आईडी डालिए और बाकी का काम इस पर छोड़ दीजिए। अब यदि आपको अपने ब्लॉग आदि की रिपोर्ट कॉर्ड देखनी हो कि वह कैसा कर रहा है तो गूगल बाबा का जुगाड़ आपको विस्तृत जानकारी देता है, लेकिन इसके लिए आपको ब्राउज़र में एनालिटिक्स वाली साइट खोल लॉगिन कर देखना पड़ता है। क्या यह अच्छा न हो यदि आपके कंप्यूटर पर ही कोई सॉफ़्टवेयर आ जाए जिसमें आप रिपोर्ट कॉर्ड देख लें और बार-२ लॉगिन का झंझट ही न हो? बस यही काम करेगा हवाई जुगाड़ गूगल एनालिटिक्स सुईट। अभी यह बीटा में है लेकिन काफ़ी सही दिखे है तो आईये एक नज़र मार लेते हैं इस पर भी।

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अडोबी की हवा और ट्वहिर्ल

अडोबी हवा यानि कि अडोबी एयर (Adobe AIR), पर ये हवा है कैसी? तो मामला ये है जनाब कि ये है अडोबी वालों का नया शगूफ़ा, एयर बोले तो अडोबी इंटीग्रेटिड रनटाइम (Adobe Integrated Runtime)। अब इसकी तकनीकी पेचीदगियों में मत जाईये, बस इतना समझिए कि यह माइक्रोसॉफ़्ट के डॉट नेट रनटाइम (Microsoft .NET Runtime) की तरह है। बस इस रनटाइम को डाउनलोड(तकरीबन 11 मेगाबाइट) कर इंस्टॉल कीजिए और आपके कंप्यूटर पर इसके लिए बने सभी सॉफ़्टवेयर चलने लगेंगे। माइक्रोसॉफ़्ट का डॉट नेट तो सिर्फ़ उन्होंने विन्डोज़ के लिए निकाला लेकिन अडोबी वालों का कोई अपना ऑपरेटिंग सिस्टम तो है नहीं इसलिए उन्होंने सबके लिए निकाल दिया – विन्डोज़ के लिए भी और सेब के मैक के लिए भी। लिनक्स वालों को अभी कदाचित्‌ प्रतीक्षा करनी पड़ेगी क्योंकि लिनक्स वाला वर्ज़न अभी इन लोगों ने रिलीज़ नहीं किया है पर जल्दी ही करने का विचार रखते हैं।

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फोकट के एन्टीवॉयरस सॉफ़्टवेयर और उनका दमखम .....

अस्वीकरण (disclaimer): इस लेख में प्रदान की गई जानकारी की कोई गारंटी नहीं है, यह जैसी है वैसी ही दी जा रही है। यहाँ मौजूद जानकारी को प्रयोग अपनी ज़िम्मेदारी पर करें। किसी भी नुकसान के लिए लेखक की कोई ज़िम्मेदारी नहीं होगी।
 
अभी हाल ही में चिट्ठाकार गूगल समूह में एन्टीवॉयरस पर चर्चा का गर्म दौर रहा जिस दौरान फोकट के एन्टीवॉयरस जुगाड़ों के बारे में भी बात हुई और कौन सा अच्छा है कौन सा बेकार इस पर भी चर्चा हुई। लगभग ढ़ाई वर्ष पहले मैंने डिजिट ब्लॉग पर इंटरनेट पर सुरक्षित विचरण के लिए सरवाइविंग ऑनलाईन (surviving online) नाम से तीन भाग की एक शृंखला लिखी थी जिसमें स्पैम (spam), फिशिंग (phishing), वॉयरस (virus) आदि पर और उनसे बचने के जुगाड़ों के विषय में लिखा था; इसके तीनों भाग आप यहाँ पढ़ सकते हैं – भाग 1, भाग 2 और भाग 3 (तीनों अंग्रेज़ी में हैं)। वह शृंखला ज्ञानवर्धन के उद्देश्य से लिखी गई थी इसलिए उसमें मुख्यतः वैसी ही जानकारी है, फोकट के जुगाड़ों का भी उल्लेख है लेकिन मुख्य फोकस वे नहीं थे।

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बाँटने से बढ़ती है.....

कभी-२ ऐसा हो जाता है कि कोई व्यक्ति ईमेल भेजना किसी को चाहता है और गलती से भेज किसी अन्य को देता है। मैं स्पैम या विज्ञापन वाली ईमेलों की बात नहीं कर रहा, मैं ईमानदार गलती की बात कर रहा हूँ। जैसे कुछ समय पहले मुझसे हुआ था, पंकज भाई को ईमेल भेज रहा था लेकिन गलती से किसी अन्य का ईमेल टाइप हो गया और उन साहब को चला गया। उनका जवाबी ईमेल आया कि जिसमें उन्होंने कहा कि मैं शायद किसी और को ईमेल भेज रहा था और उनको भेज बैठा तो मुझे गलती का एहसास हुआ और उनसे माफ़ी माँग पंकज भाई को ईमेल पुनः भेजा। यह गलती हुई एक जैसे लगने वाले ईमेल पते के कारण। फोन पर यह आम बात होती है, रांग नंबर लग जाता है और आ भी जाता है।

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