….. अब तानाशाही और अनुचित दबाव है तो है।
कहाँ? अरे भई दुनिया में और कहाँ!! चीन की सेन्सरशिप से मामला गर्म हुआ, सबकी नज़र में आया और उसके बाद से हर ब्लॉगर आदि का ब्लॉग हटाने या ब्लॉगर को ही जेल की हवा खिलाने का समाचार सबकी निगाह में तभी से तुरंत आता है। चाहे चीन ने किसी ब्लॉगर को जेल में डाला, या फलां वेबसाइट को बैन कर दिया, इरान में किसी ब्लॉगर के नाम फतवा निकला, मिस्र में किसी को धर-दबोचा या अभी हाल ही का सउदी अरब में एक ब्लॉगर को जेल में डालने का मामला, हर बार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की दुहाई दी जाती है। लेकिन हम ये क्यों नहीं समझने का प्रयत्न करते कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आखिर है क्या? हम सभी ये मानने में यकीन रखते हैं कि हमको तो सब पता है जबकि होता ठीक विपरीत है, यानि कि नहीं पता होता!!
