अभी कुछ दिन पहले ऑयरन मैन की समीक्षा के दौरान मैंने बुकमाईशो.कॉम के मोबाइल सॉफ़्टवेयर का ज़िक्र किया था कि कैसे मैंने बिना कंप्यूटर के बाज़ार में बैठे हुए मोबाइल फोन पर फिल्म की टिकट बुक करवाई थी। यह पहला वाक्या था जब मैंने मोबाइल पर टिकट बुक करवाई थी।

फिल्म देखने जाना हो तो अभी तक सिनेमा जाकर हाथों हाथ टिकट ली जाती थी, अमूमन टिकट मिल ही जाया करती थी। पहले से एडवांस में टिकट मैंने आखिरी बार आमिर खान की फिल्म “लगान” के लिए ली थी जब एक सप्ताह बाद की टिकट बुक कराने के लिए सिनेमा पर एक घंटा कतार में खड़ा रहना पड़ा था!! 😮 उसके बाद कभी एडवांस में सिनेमा से टिकट लेने का इत्तेफ़ाक नहीं हुआ।

इंटरनेट की पैठ बढ़ी, पास में क्रेडिट कॉर्ड आया तो फिल्म देखने जाने के लिए पीवीआर (PVR) के सिनेमाओं में ही जाने लगे। कारण? कारण यह कि पीवीआर ही अकेला सिनेमा था जिसकी वेबसाइट पर बुकिंग की सुविधा थी। टिकट बुकिंग के साथ-२ अपनी मनपसंद सीट चुनने की भी सुविधा मिलती थी, सिनेमा का एक नक्शा दिखा दिया जाता और उसमें मौजूद खाली सीटों में से अपनी पसंद की सीट चुन लेते और क्रेडिट कॉर्ड से भुगतान कर देते। बुकिंग होने पर एक कन्फर्मेशन नंबर मिल जाता और मोबाइल पर एसएमएस (SMS) के रुप में भी आ जाता, इससे होता यूं कि सिनेमा(जिसकी टिकट बुक करी) पर जाकर नंबर और क्रेडिट कार्ड(जिससे बुकिंग करी थी) दिखाना होता और टिकट मिल जाती सिनेमा में प्रवेश के लिए, सीट तो पहले से ही बुक हो चुकी थी।

फिर लगा कि कब तक सिर्फ़ पीवीआर तक ही बंधे रहेंगे, और कोई क्यों नहीं ऑनलाईन बुकिंग का जुगाड़ देता!! तब नेटवर्क18 (Network18) वालों की वेबसाइट बुकमाईशो.कॉम (BookMyShow.com) आई जिस पर सिर्फ़ पीवीआर ही नहीं कई अन्य सिनेमाओं की भी टिकट बुक करने की सुविधा मिली। अब अपना मामला सिर्फ़ पीवीआर तक ही सीमित न रहकर अन्य सिनेमाओं में भी फैला। बढ़िया बात यह इनकी कि दिल्ली और आसपास ही नहीं वरन्‌ भारत के कई शहरों में मौजूद सिनेमाओं की टिकट बुक कराने की सुविधा यह वेबसाइट दे रही है।

लेकिन अपने को संतुष्टि नहीं थी, जैसा शाहरुख़ खान कहते नज़र आते हैं, अपन भी “थोड़ा और विश करते”। 😀 फिर जल्द ही बुकमाईशो.कॉम के मोबाइल सॉफ़्टवेयर का लिंक उसी की वेबसाइट पर देखा और उसको डाउनलोड कर मोबाइल फोन में स्थापित कर लिया।

इस मोबाइल सॉफ़्टवेयर को डाल लो और मोबाइल में यदि जीपीआरएस (GPRS) आदि द्वारा इंटरनेट की सुविधा है तो कंप्यूटर की भी आवश्यकता नहीं, कहीं भी बैठे-२ पूरे भारत में मौजूद कई सिनेमाओं में से किसी की भी टिकट बुक करवाई जा सकती है।

टिकट बुक करना भी काफ़ी आसान है। सॉफ़्टवेयर चालू होते ही आपसे पूछता है कि आपने क्या करना है, आप टिकट खरीदने के विकल्प को चुनते हैं तो आपसे पूछेगा कि किस चीज़ की टिकट बुक करनी है – फिल्म की, नाटक की या कॉन्सर्ट की। फिल्म वाला विकल्प चुनते ही वह आपके पहले से चुने हुए शहर में चल रही फिल्मों की सूचि दिखाता है, जैसे मेरे में दिल्ली की दिखाता है। यदि आपको किसी और शहर के सिनेमा की करानी है तो आप विकल्पों में से उस शहर को चुनिए और आपको उस शहर में चल रही फिल्मों की सूचि दिखेगी।

जिस फिल्म को आपने देखना है उसको चुनते ही आपको उस फिल्म को दिखा रहे सिनेमाओं की सू़चि और तारीख़ दिखने लगेगी। आप जिस तारीख़ को जिस सिनेमा में फिल्म देखना चाहते हैं उसका चुनाव करेंगे तो चुने गए सिनेमा में कितने बजे के शो हैं उनकी सूचि प्रस्तुत होगी जिसमें से मनमाफ़िक शो को चुनने के बाद आपको जितनी प्रकार की सीटें मौजूद हैं उनकी सूचि दिखाई जाएगी(दाम के साथ) और फिर आपसे पूछा जाएगा कि आपको कितनी टिकट बुक करानी हैं। यदि आपके पास डिस्काउंट कूपन है तो उसका नंबर डालने का विकल्प इसके बाद आता है, तथा तत्पश्चात सॉफ़्टवेयर मोबाइल की स्क्रीन पर सिनेमा का नक्शा प्रस्तुत करेगा, और आप अपनी मर्ज़ी की सीट चुन सकते हैं, नक्शे में यह अंकित किया हुआ होता है कि स्क्रीन किस तरफ़ है और सभी सीटें भी अंकित की गई होती हैं, जो सीटें बिक चुकी हैं वह अलग से अंकित होती हैं और आप उनको नहीं चुन सकते। सीटें चुनने के बाद अगली स्क्रीन पर भुगतान की सुविधा होती है, बस आप अपने क्रेडिट कार्ड का नंबर इत्यादि भरें और बुकमाईशो.कॉम वाले आपके कार्ड पर चार्ज कर लेंगे।

इस सबके बाद आपको स्क्रीन पर बुकिंग नंबर दिखा दिया जाएगा और एसएमएस द्वारा भी आपको भेज दिया जाएगा। सीट बुक हो चुकी इसलिए कोई टेन्शन नहीं, फिल्म शुरु होने से 10 मिनट पहले पहुँच आराम से बुकिंग नंबर दिखा टिकट हासिल की जा सकती है, घंटे भर पहले पहुँच टिकट हासिल करने के लिए लाइन में लगने का कोई झंझट नहीं। :tup:

इस तरह या कंप्यूटर पर वेबसाइट खोल टिकट बुक कराने का मुझे एक सबसे बड़ा लाभ यह नज़र आता है कि जल्दी पहुँचने अथवा लाइन में लगने की सिरदर्दी तो जाती ही है, सीट भी अपनी पसंद की बुक की जा सकती है अन्यथा बुकिंग काउंटर वाले को कितना बता दो कि कैसी सीट चाहिए लेकिन अधिकतर हमेशा दाएँ-बाएँ की बेकार सी ही सीट मिलती थी, बीच की और पीछे वाली बढ़िया सीटें वे लोग देते ही नहीं थे!!

इन लोगों का अभी सभी सिनेमाओं से गठबंधन नहीं हुआ है, इसलिए कई सिनेमा ऐसे हैं जिन पर जाकर ही टिकट लेनी पड़ती है, लेकिन धीरे-२ आशा है कि उन सिनेमाओं की भी ऑनलाईन बुकिंग होनी शुरु हो जाएगी। दिल्ली में भी कुछेक सिनेमा ऐसे हैं जिनकी ऑनलाईन बुकिंग नहीं होती, तो जब तक नहीं होती तब तक अपन तो उनसे दूर ही हैं! 😉