बस अभी कुछ ही देर में बंगलूरू के लिए निकलना है, कल वहाँ पहला ब्लॉगकैम्प हो रहा है। 48 घंटे से अधिक हो गए नींद लिए हुए, पिछले दो दिनों से लगातार ऑफिस का काम कर रहा था, मामला ज़रा अर्जेन्ट था और सोमवार तक प्रतीक्षा नहीं कर सकता था। थकान और नींद भगाने के लिए कल रात्रि भोजन से पहले एस्प्रैसो (espresso) का डबल शॉट लिया, गोली की माफ़िक सारी नींद भाग गई थी।

अब ढाई घंटे की विमान यात्रा आगे है और फिर आज का पूरा दिन – मन में दुविधा है कि नींद ली जाए कि थोड़ा राग दरबारी को पढ़ लिया जाए, जब से लाया हूँ तब से एकाध ही पन्ना पढ़ना हुआ है!! नींद अधिक बड़ी प्रॉयारिटी (priority) इसलिए नहीं लग रही क्योंकि रात को लिए एस्प्रैसो के डबल शॉट का असर अभी भी अच्छा खासा है।

खैर अभी तो देर हो रही है, तैयार होकर निकलना है, बाद में भी यदि दुविधा बनी रही तो कदाचित्‌ सिक्का उछाल के निर्णय लिया जाएगा कि क्या किया जाए – राग दरबारी अथवा निद्रा रानी!! 😉