उधर इलाहाबाद और आसपास के लोग एक के बाद एक ब्लॉगर मीट ठेले जा रहे थे और इधर मैं सोचने में लगा हुआ था कि ऐसा क्या हुआ कि यहाँ दिल्ली में बेतकल्लुफ़ी वाली कॉफ़ी छाप ब्लॉगर मीट बंद हो गईं??!! दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में फौज है ब्लॉगरों की, एक समय था जब दूसरे शहरों के लोग हमसे ईर्ष्या किया करते थे कि हम लोग आए दिन ब्लॉगर चौपाल लगाए चाय-कॉफ़ी सुड़क रहे होते थे और वे लोग सोचते थे कि हम लोग वेल्ले हैं जो इतना टाइमपास किया करते हैं!! कहाँ गई वो ईर्ष्या? अब कोई क्यों नहीं करता? कोई ईर्ष्या करेगा कैसे, सोवियत यूनियन की ही भांति लोगों के पास फालतू टैम खत्म हो गया, जैसे बर्लिन (Berlin) की दीवार गिरी थी वैसे ही ब्लॉगर मीटों की कतार टूट गई!!
एक अदद कैमरे की चाह.....
On 01, Jun 2009 | 13 Comments | In Blogging, Photography, Technology, टेक्नॉलोजी, फोटोग्राफ़ी, ब्लॉगिंग | By amit
सभी लोग हर चीज़ का ज्ञान नहीं रखते, ऑलराऊंडर अति दुर्लभ (या विलुप्त) प्रजाति है, हम जैसे आम जन एक-दो चीज़ों का ही ज्ञान डिटेल में रख पाते हैं।
अभी कुछ दिन पहले एक परिचित बोले कि डिजिटल कैमरा लेने की सोच रहे हैं। अभी तक वे फिल्म वाला कोडेक (Kodak) चला रहे थे, अब डिजिटल होना चाहते हैं, फिल्म में झंझट बहुत है और बारंबार फिल्म डालनी पड़ती है। मुझसे बोले कि यार तुम बड़ा सा औकात वाला कैमरा लिए हुए हो, जानकारी भी रखते हो तो एक कैमरा हमें भी सुझाओ।
On 31, May 2009 | 7 Comments | In Music, कतरन, संगीत | By amit
न था कुछ तो खुदा था, कुछ न होता तो खुदा होता।
अस्सी के दशक के अंत में दूरदर्शन पर नसीरूद्दीन शाह का एक धारावाहिक आया था, मिर्ज़ा ग़ालिब, जिसे गुलज़ार साहब ने बनाया था और जगजीत सिंह और चित्रा सिंह ने जिसमें गज़लें गाई थी। पापा के पास इसकी दोनो कैसेट थी (जगजीत सिंह की अन्य सभी एल्बमों की भांति, अभी भी कहीं पड़ी होगी) और जब वे इसको सुना करते तो मुझे इसका सिर्फ़ कवर पसंद आता था, बाकी सब बेकार लगता था, हाल यह था कि मैं जगजीत सिंह को सुन पक गया था, पसंद बिलकुल नहीं था वह गायन लेकिन यह रट गया था कि फलानी गज़ल या गीत फलानी एल्बम में है!! 😉
उस समय इसकी तारीफ़ करने लायक अक्ल नहीं थी, आज एहसास होता है कि यह वाकई सोने जैसी चीज़ है। जगजीत सिंह साहब की आवाज़ और मिर्ज़ा ग़ालिब के लिखे बोल – नशीली चीज़ जिसे सुनकर मज़ा आ जाए। 🙂 रात के इस समय उसी को सुना जा रहा है, आहा, आनंदम!! :tup:
On 31, May 2009 | 9 Comments | In Blogger Meetups, कतरन | By amit
आज दो ब्लॉगर मीट में शिरकत करी। पहली वाली थी दिल्ली ब्लॉगर मीट जो शाम को क्नॉट प्लेस से शुरु होकर चांदनी चौक स्थित परांठे वाली गली के परांठों पर खत्म हुई। दूसरी हिन्दी ब्लॉगर मीट थी जो रात साढ़े नौ बजे आलोक भाई और चिट्ठाजगत वाले डॉ. विपुल के साथ बरिस्ता की चाय/कॉफी से शुरु होकर बरकोस के थाई खाने पर साढ़े बारह समाप्त हुई!
एक्सक्लूसिविटी का चक्कर .....
On 25, May 2009 | 16 Comments | In Mindless Rants, Technology, टेक्नॉलोजी, फ़ालतू बड़बड़ | By amit
एक मित्र हैं, वो अपनी पसंद के मामलों में ज़रा टची (touchy) हैं, इसलिए जब मौका लगता है तो उनसे मौज ली जाती है। 😉 उनसे मौज लेने का सबसे बढ़िया तरीका ये है कि पहले किसी तरह बात को एप्पल (apple) और उसके किसी उत्पाद पर ले आया जाए तदोपरान्त उसकी बखिया उधेड़ी जाए। ट्राईड एण्ड टैस्टिड (tried & tested) नुस्खा है और काम करने की 99% गारंटी होती है!! 😀 अब अपन फुरसतिया जी जितने काबिल नहीं हैं मौज लेने में लेकिन काम चलाने भर मौज ले ही लेते हैं!! 😉
अब होंगे नॉकआऊट मुकाबले
On 20, May 2009 | 7 Comments | In Sports, खेल | By amit
अभी दिल्ली डेयरडेविल्स के रॉयल चैलेन्जर्स बंगलोर से हारने के कारण आईपीएल (IPL) में टीमों की हालत अब रोचक हो गई है। सभी टीमों के एक मैच बाकी हैं और सिर्फ़ तीन टीम ऐसी हैं जो चैन की सांस ले सकती हैं। एक दिल्ली डेयरडेविल्स हैं जो चैन की सांस ले सकते हैं फिलहाल क्योंकि सेमी फाइनल में पहुँच चुके हैं और दूसरी ओर कोलकाता नाईट राईडर्स तथा मुम्बई इंडियंस हैं जो इसलिए चैन की सांस ले सकते हैं कि एक बार फिर सेमी फाइनल में जगह बनाने से पहले ही उनकी हवा निकल गई!! 😀 बाकी सभी पाँच टीमों में अभी मारा मारी होनी बाकी है और यकीनन अगले चार मैच नॉकआऊट (knockout) मुकाबले जैसे होंगे।
On 16, May 2009 | 7 Comments | In Music, कतरन, संगीत | By amit
सप्ताहांत है, नींद नहीं आ रही है। माताजी ने बेशक कामों की लंबी चौड़ी सूचि बना कर दे रखी है लेकिन सप्ताहांत आने पर मूड अपने आप रिलैक्स मोड में आ जाता है, रात को नींद भाग जाती है (दिन में आती है), काम पूरे नहीं होते (और फिर माताजी की फटकार सुनने को मिलती है)!! 😉
अभी भी नींद नहीं आ रही है, इसलिए ए.आर. रहमान साहब द्वारा कृत कुछ पुराने संगीत का शहद कानों में घोला जा रहा है और उपन्यास पढ़ा जा रहा है। आज के संगीत को छोड़ दिया जाए, रहमान साहब पहले बहुत झकास संगीत बनाए हैं। वर्षों पहले सीडी/कैसेट खरीदीं थी, आदतानुसार उनकी एक प्रति कंप्यूटर पर रख ली थी, अब सीडी/कैसेट पता नहीं कहाँ हैं, कोई ले गया या खराब हो गईं लेकिन डिजिटल प्रति एकदम चौकस हैं और अपनी स्कूल/कॉलेज के ज़माने में जेबखर्च जोड़कर की गई इन्वेस्टमेंट सुरक्षित है! :tup:
नया समझ लूट लये.....
On 12, May 2009 | 15 Comments | In Mindless Rants, फ़ालतू बड़बड़ | By amit
उँगली की हड्डी उतर गई सीधे हाथ की, क्रिकेट खेलते हुए (ये न समझें कि आईपीएल का बुखार चढ़ा था)। तो फिलहाल दाहिना हाथ क्रेप बैन्डेज में लिपटा हुआ है, तर्जनी उँगली और अंगूठे ही आज़ाद हैं कि कुछ काम किया जा सके उस हाथ से, 8-10 दिन ये हाल रहना है, चार दिन बीत चुके हैं। इस कारण मोटरसाइकल की सवारी नहीं हो सकती, इसलिए कहीं आजू बाजू बाज़ार आदि जाना हो तो रिक्शे पर जाना पड़ता है। कुछ दिन पहले ज्ञान जी लिखे थे रिक्शे और उनके माइक्रोफाईनेन्स पर जो उनके इलाहाबाद में होता है और कैसे उससे रिक्शे वालों की ज़िंदगी बदलेगी। लेकिन यहाँ दिल्ली की बात करें तो अधिकतर रिक्शे वाले $%^& टाइप बर्ताव करते हैं।
बद्तमीज़ ठुल्ला
On 08, May 2009 | 14 Comments | In Mindless Rants, फ़ालतू बड़बड़ | By amit
कई बार ऐसे वाकये सामने आते हैं कि मन में आता है लोग पुलिस वालों को माँ-बहन की और अन्य हाई फाई गालियाँ देते हैं तो गलत नहीं देते। ऐसा नहीं है कि सभी पुलिस वाले बुरे होते हैं लेकिन कई पुलिस वालों का व्यवहार ऐसा होता है कि लगता है उनको गाली देना भी गाली का घोर अपमान है, जो पुलिस के अयोग्य तो हैं ही साथ ही मनुष्य योनि के भी अधिकारी नहीं हैं।
बद्तमीज़ ह$^# वेटर .....
On 06, May 2009 | 12 Comments | In Mindless Rants, फ़ालतू बड़बड़ | By amit
रीमा के ब्लॉग पर एक पुरानी पोस्ट पढ़ रहा था जिसमें उन्होंने अपने साथ बीते तीन वाकयों का ज़िक्र किया है जिसमें उनका पाला रेस्तराओं में अशिष्ट वेटरों से पड़ा। उनके अनुभव को पढ़ मैंने अपने अभी तक के अनुभवों को टटोला तो पाया कि दिल्ली और गुड़गाँव के तमाम हाई क्लास तथा मिडल क्लास और कुछ लो क्लास (आम तबके वाले) रेस्तराओं में भटक चुकने के बाद मैं यह बात विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि ऐसे अनुभव मेरे साथ अधिक नहीं हुए जहाँ बैरे ने प्रोफेशनलिस्म की जगह अपना गंवारपन दिखाया हो!